छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में एक छिंदवाड़ा विधानसभा भी है. जहां जीतने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई केंद्रीय मंत्रियों ने छिंदवाड़ा में ताकत झौंक दी, लेकिन छिंदवाड़ा विधानसभा के 2003 के बाद नतीजा देखें तो यहां की जनता ने किसी भी विधायक को दूसरी बार मौका नहीं दिया है. यह कमलनाथ का दूसरा मौका है. जब वे विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. क्या जनता रिवाज कायम रखेगी या फिर वोटर अपना ट्रेंड कायम रखेगा.
2003 के बाद किसी भी विधायक को एकसाथ दोबारा नहीं मिला मौका: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा से चुनाव मैदान में थे. 17 नवंबर को इसके लिए मतदान हुआ और परिणाम 3 दिसंबर को आने हैं. छिंदवाड़ा विधानसभा के पिछले 20 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो छिंदवाड़ा विधानसभा की जनता ने किसी भी विधायक को एक साथ दो बार मौका नहीं दिया है. 2003 के विधानसभा में जब छिंदवाड़ा की आठों विधानसभा भाजपा के कब्जे में थी. उस दौरान छिंदवाड़ा विधानसभा से चौधरी चंद्रभान सिंह चुनाव जीत कर आए थे, लेकिन 2008 के चुनाव में यहां से जनता ने कांग्रेस के दीपक सक्सेना को मैदान में उतारा और जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया.
साल 2013 में एक बार फिर से कांग्रेस ने दीपक सक्सेना को मैदान में लाया तो भारतीय जनता पार्टी ने चौधरी चंद्रभान सिंह पर विश्वास जताया था, लेकिन जनता ने भारतीय जनता पार्टी के चौधरी चंद्रभान सिंह को चुनाव 2018 के चुनाव में एक बार नकार दिया. कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरे दीपक सक्सेना को टिकट दिया और जनता ने उन्हें जिता दिया.