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MP News: सागर में बनेगा COW Hostel और कामधेनु पीठ, गौ संवर्धन और शोध और अध्ययन का केंद्र बनेगा सागर विश्वविद्यालय

मध्यप्रदेश के सागर जिले में एक अनूठी पहल होने जा रही है. डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर देश का पहला विश्वविद्यालय होगा, जहां गौ हास्टल का भी निर्माण किया जा रहा है. बता दें हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय और केंद्र सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के बीच एक करार हुआ था.

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सागर में बनेगा गौ हॉस्टल

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Published : Jul 4, 2023, 9:29 PM IST

सागर में बनेगा गौ हॉस्टल

सागर। मध्यप्रदेश का इकलौता केंद्रीय विश्वविद्यालय डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर देश का पहला विश्वविद्यालय होगा. जो गौ संवर्धन, संरक्षण और गौ वंश पर शोध और अध्ययन के मामले में देश में अलग पहचान बनाने जा रहा है. दरअसल सागर विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग की मदद से कामधेनु पीठ की स्थापना की जा रही है. कामधेनु पीठ के साथ एक गौ हास्टल का भी निर्माण किया जाएगा. इसके अलावा विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने इसी सत्र से डेयरी इंजीनियरिंग का नया पाठ्यक्रम शुरू किया है. नवम्बर 2021 में केंद्र सरकार से करार के बाद कामधेनु पीठ के लिए फंडिग की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गयी है, तो गौ हास्टल के लिए स्थान चयन कर लिया गया है. इसके अलावा डेयरी इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम भी शुरू हो गया है. इस तरह सागर का डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय गौ संरक्षण, शोध और अनुसंधान के लिए एक अलग पहचान बनाता नजर आ रहा है.

कामधेनु पीठ स्थापित करने केंद्र सरकार से करार: दरअसल 12 नवम्बर को सागर के डा हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय और केंद्र सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के बीच एक करार हुआ था. जिसके तहत सागर विश्वविद्यालय में कामधेनु पीठ की स्थापना के साथ गौसंवर्धन और संरक्षण के लिए मंत्रालय और विश्वविद्यालय की भूमिका को लेकर करार पर हस्ताक्षर हुए. सागर विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने और मंत्रालय प्रतिनिधि संयुक्त सचिव ओ पी चौधरी ने करार पर हस्ताक्षर किए थे.

सागर में बनेगा गौ हॉस्टल

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की मौजूदगी में हुए करार का उद्देश्य गाय आधारित नीति, गाय के संवर्धन और संरक्षण के साथ गाय पर शोध और अध्ययन को बढ़ावा देना है. इसी कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने इच्छा व्यक्त की थी कि जिस तरह छात्र-छात्राओं के लिए हॉस्टल बनाए जाते हैं, वैसे ही हॉस्टल गायों के लिए बनाये जाए. ताकि जो लोग गाय पाल नहीं सकते, वे लोग अपनी गायों को हॉस्टल में रख सकें. केंद्रीय मंत्री का कहना था कि सागर विश्वविद्यालय ने कामधेनु पीठ की स्थापना कर गौ संवर्धन और संरक्षण के लिए बड़ी पहल की है और विश्वविद्यालय के पास काफी विशाल परिसर है, जहां गौ हास्टल स्थापित किया जा सकता है.

कामधेनु पीठ स्थापित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय: खास बात ये है कि गाय और गौ वंश पर शोध और अध्ययन के लिए केंद्र सरकार के साथ कामधेनु पीठ की स्थापना का करार करने वाली सागर यूनिवर्सिटी देश की पहली यूनिवर्सिटी है. जिसके साथ भारत सरकार ने कामधेनु पीठ के लिए एमओयू किया है. करार के तहत गौ-संवर्धन के क्षेत्र में केंद्र सरकार मत्स्य पालन,पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाओं को कामधेनु पीठ के माध्यम से विश्वविद्यालय क्रियान्वित कर व्यापक सामुदायिक क्रांति में बदलने के प्रयास करेगा. गाय और गौ वंश पर शोध और अध्ययन के लिए विश्वविद्यालय के पास आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से युक्त प्रयोगशालाएं मौजूद है. कामधेनु पीठ की स्थापना से सागर ही नहीं, बुंदेलखंड के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन और पशुधन संरक्षण के तौर-तरीकों, गौ पालन के प्रति उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को आकर्षित करने के अलावा गौ उत्पाद जैसे पंचगव्य, गोबर, गौमूत्र आदि पर अनुसंधान किया जाएगा.

गायों के लिए बनेगा हॉस्टल

डेयरी इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम भी शुरू: इसी कड़ी में डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने मौजूदा सत्र से चार इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू किए हैं. जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम भी शुरू किया गया है. मौजूदा सत्र 2023-24 से डेयरी इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम संचालित होने लगेगा. कामधेनु पीठ और डेयरी इंजीनियरिंग विभाग दोनों मिलजुलकर गौ और गौवंश के संवर्धन और संरक्षण के लिए शोध और अध्ययन करेंगे.

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क्या कहना है विश्वविद्यालय प्रशासन का: मीडिया प्रभारी डॉ विवेक जायसवाल का कहना है कि जब केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला सागर विश्वविद्यालय आए थे. तब सागर विश्वविद्यालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के बीच विश्वविद्यालय में कामधेनु पीठ की स्थापना के लिए करार हुआ था. कामधेनु पीठ की स्थापना का उद्देश्य गौपालन, गौ संवर्धन, गौ संरक्षण और गाय के पंचगव्य, गोबर, गौमूत्र आदि पर अनुसंधान किया जाना था. इसके लिए केंद्र सरकार से जो करार हुआ था, उसके लिए फंडिग की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. विश्वविद्यालय द्वारा कामधेनु पीठ और केंद्रीय मत्री पुरुषोत्तम रूपाला की इच्छा के अनुरूप गौ हास्टल स्थापित किया जाना है. इसके लिए स्थान का चयन कर लिया गया है. इसी के साथ मध्यप्रदेश के गौपालन और गौ संवर्धन बोर्ड के साथ भी हमारी बातचीत चल रही है और गौ संवर्धन और संरक्षण से जुडे़ दो प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय को दिए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. खुशी की बात ये है कि शोध और अध्ययन के मामले में विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के चार नए पाठ्यक्रम शुरू किए गए है. इसके पहले इंजीनियरिंग के दो पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे थे. इन नए चार पाठ्यक्रमों में डेयरी इंजीनियरिंग का कोर्स भी रखा गया है. डेयरी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट और कामधेनु पीठ मिलकर काम करेंगी और गौ संवर्धन और संरक्षण के साथ अनुसंधान और शोध में मददगार साबित होगी.

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