जबलपुर।मध्यप्रदेश में कुछ महीनें में विधानसभा चुनाव है. चुनाव के मद्देनजर एमपी में नेताओं द्वारा लगातार अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का दौरा जारी है. हालांकि प्रदेश स्तर के नेता चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंच रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं द्वारा चुनावी सभा को संबोधित करने की शुरुआत 12 जून से होगी, क्योंकि 12 जून को प्रियंका गांधी जबलपुर दौरे पर आ रही हैं. प्रियंका गांधी के दौरे को लेकर जहां एक तरफ कांग्रेस की तैयारियां युद्ध स्तर की चल रही है, तो वहीं हम आपको बताते हैं गांधी परिवार का एमपी और जबलपुर से खास कनकेशन के बारे में. मोतीलाल नेहरू से प्रियंका गांधी तक बीते लगभग 100 सालों से अलग-अलग समय में नेहरू परिवार जबलपुर आता रहा है. जबलपुर की जनता ने कई बार नेहरू परिवार की बात पर भरोसा जता कर जबलपुर से कांग्रेसियों को जीत दिलाती रही है.
मोतीलाल नेहरू:राष्ट्रीय विधान परिषद के बाद विवाद की सरकारी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि मोतीलाल नेहरू जबलपुर आए थे. जहां उन्होंने सेठ गोविंद दास और जबलपुर की स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ बैठकर तिरंगे झंडे को सरकारी इमारतों पर फहराने का विचार किया था. इसके बाद भारत में पहली बार किसी अंग्रेजों की सरकारी इमारत पर झंडा जबलपुर में ही फहराया गया था और यह घटना जबलपुर के टाउन हॉल में हुई थी.
जवाहरलाल नेहरू: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जबलपुर में आगमन कई बार हुआ. 1957 में जब जबलपुर यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई, इस स्थापना के समारोह में जवाहरलाल नेहरू जबलपुर आए थे. बाद में इस यूनिवर्सिटी का नाम रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के नाम पर किया गया था. इसके अलावा 12 जुलाई 1961 को भी जवाहरलाल नेहरू जबलपुर आए थे और उन्होंने यहां पर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी का भूमि पूजन किया था. इस दौरान उन्होंने जबलपुर के किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की थी. 1962 में जबलपुर में एक बड़ा दंगा हुआ था. इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला देशपांडे को जबलपुर भेजा था. यहां उन्हें तत्कालीन कांग्रेसियों ने मदद नहीं की थी और उन्हें कॉफी हाउस की टेबल पर सोना पड़ा था. इसके बाद ही जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि जबलपुर गुंडों का शहर है.
इंदिरा गांधी कई बार जबलपुर आईं: इंदिरा गांधी सबसे पहले 2 अक्टूबर 1964 को जबलपुर आईं थीं. जब जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ था, उस समय इंदिरा गांधी देश की सूचना और प्रसारण मंत्री थीं. इस दौरान उन्होंने भी जबलपुर के कांग्रेसी नेताओं के साथ ही कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े हुए किसानों और वैज्ञानिकों को संबोधित किया था. इसके बाद भी 1971, 1977 और 1980 में चुनाव प्रचार के लिए जबलपुर आईं. जबलपुर में उनका एक छोटा रोड शो भी हुआ था. जो सीएमएम से शुरू होकर और गैरिसन मैदान तक चला था. जबलपुर के वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा बताते हैं कि इंदिरा गांधी सेठ गोविंद दास परिवार की बहुत गरीबी थीं, इसलिए हितकारिणी कॉलेज के कार्यक्रमों में भी 1982 में वे जबलपुर आई थीं. इंदिरा गांधी की सभा जबलपुर के सिविक सेंटर और सुपरमार्केट कॉफी हाउस में हुई है. इंदिरा गांधी को सुनने के लिए हजारों की भीड़ खुद-ब-खुद यहां इकट्ठी हो जाती थी.
राजीव गांधी के दौरे: 1985 में कर्नल अजय नारायण मुश्रान के चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी जबलपुर आए हुए थे. उन्होंने यहां पर सिविक सेंटर में एक सभा को संबोधित किया था. इसके अलावा 1991 में भी राजीव गांधी जबलपुर में श्रवण भाई पटेल के चुनाव प्रचार के लिए जबलपुर पहुंचे थे. उस समय राजीव गांधी की लोकप्रियता चरम पर थी और जबलपुर के एयरपोर्ट डुमना से लेकर सुपर मार्केट तक लंबा रोड शो हुआ था. इसमें उन्हें तीन बार अपनी गाड़ी बदलनी पड़ी थी और हजारों की तादाद में लोग राजीव गांधी को सुनने के लिए आए थे, लेकिन दुर्भाग्यवश जबलपुर से ही दक्षिण की यात्रा पर निकले थे. जहां उनको बम विस्फोट के जरिए मार दिया गया था.