ग्वालियर।श्योपुर के कूनो अभ्यारण में शनिवार मतलब 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर नीमीबिया से आए चीतों को छोड़ेंगे. एक तरफ पीएम मोदी के आगमन को लेकर जिले में जोर-शोर से तैयारियां चल रही है. वहीं दूसरी तरफ मोदी के कार्यक्रम में पालपुर रियासत के वंशज को न्योता नहीं मिला है, जिस पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की है.
पालपुर रियासत के वंशज को नहीं मिला न्योता:पालपुर रियासत के वंशज गोपाल देव सिंह ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि जिस पालपुर रियासत ने कूनो अभ्यारण के लिए जमीन दान दी. उनको ही इस कार्यक्रम में न्योता नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा है उनके वंशजों ने कूनो अभ्यारण को बसाया और अपनी जमीन दान दी. उनके परिवार को इस कार्यक्रम में बुलाना चाहिए था. अभी तक कार्यक्रम के लिए कोई बुलावा नहीं आया है. अभी हम इंतजार में बैठे हैं कि शायद सरकार और प्रशासन की तरफ से मोदी और चीते के कार्यक्रम को लेकर कुछ बुलावा आये.
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गोपाल देव सिंह ने जताई नाराजगी: पालपुर रियासत के वंशज गोपाल देव सिंह ने दावा किया है कि उन्होंने अपना किला और जमीन कूनो पालपुर अभ्यारण में बब्बर शेरों को बसाने घर के तौर पर बने कूनो पालपुर अभ्यारण के लिए दी थी, लेकिन अब कूनो पालपुर अभ्यारण में शेरों की जगह चीतों बसाने का काम किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने ने कहा कि अपना किला और 260 बीघा जमीन कूनो पालपुर सेंचुरी के नाम दी थी, लेकिन इसके बावजूद धीरे-धीरे सरकार और प्रशासन ने इस कूनो पालपुर अभ्यारण को अपने कब्जे में ले लिया. सबसे दुख की बात यह है कि कल पीएम मोदी का कार्यक्रम है, चीते भी आ रहे हैं, लेकिन जिसने कूनो और जंगली जानवरों को बचाने के लिए जमीन दान में दी थी, उसको ही इस कार्यक्रम से दूर रखा जा रहा है.
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17 सितंबर को भारत आएंगे चीते: बता दें भारत की सरजमीं पर 70 साल बाद चीते आ रहे हैं. 17 सितंबर को ये अफ्रीकन चीते मध्यप्रदेश आ जाएंगे. चीतों को खाली पेट भारत लाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क में तीन चीतों को बाड़े में छोड़कर देश को समर्पित करेंगे. 16 सिंतबर को एक स्पेशल फ्लाइट से 8 चीते, जिसमें 5 मादा और 3 नर हैं, इसमें दो सगे भाई हैं. कूनो लाए जा रहे चीतों की उम्र ढाई से 6 साल के बीच है. नर चीते दो या दो से अधिक के ग्रुप में रहते हैं. नर चीतों के ग्रुप में एक साथ रखा जाएगा. हर मादा चीता अलग-अलग बाड़ों में रखी जाएंगी. बड़े बाड़ों में माहौल सही होने पर पहले नर चीतों को और उसके बाद मादा चीतों को खुले में छोड़ा जाएगा.