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Mental Problem in MP: आनंद मंत्रालय वाले मध्यप्रदेश में बढ़े मनोरोगी, विशेषज्ञ बोले-सिर्फ मंत्रालय बनाने से नहीं होगा फायदा

आनंद मंत्रालय वाले एमपी में इतना डिप्रेशन क्यों. जिस प्रदेश में लोगों को खुश रखने आनंद मंत्रालय की स्थापना की गई है. उसी प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति ये है कि 2 करोड़ से ज्यादा लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं. कोरोना के बाद ये आंकड़ा ओर बढ़ा है.

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आनंद मंत्रालय वाले मध्यप्रदेश में बड़े मनोरोगी

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Published : Aug 6, 2023, 9:46 AM IST

Updated : Aug 6, 2023, 10:38 AM IST

विशेषज्ञों ने बताई मानसिक रोग की वजह

भोपाल।अगर आप शरीर के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ हैं, तो परिवार ही नहीं देश और प्रदेश का विकास भी कर सकते हैं. किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक उन्नति वहां के रहवासियों के मानसिक स्तर से बनती है. अगर मानसिक रूप से रहवासी स्वस्थ होंगे तो निश्चित ही वहां विकास के साथ देश और राज्य की उन्नति होना भी निश्चित है. इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने आनंद मंत्रालय की स्थापना की थी. लेकिन एक सामान्य आंकड़े के अनुसार 2016 में मध्य प्रदेश में सवा करोड़ से अधिक लोग मानसिक रोग से ग्रसित हैं. मनोरोग विशेषज्ञों के अनुसार, अब संख्या 2 करोड़ के पास पहुंच गई है.

मध्यप्रदेश में हर चौथे में से एक व्यक्ति मानसिक रोगी:मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर.एन साहू के अनुसार ''मध्यप्रदेश में हर चौथे में से एक व्यक्ति मानसिक और मनोरोग का शिकार हो चुका है और वह इस बीमारी से कहीं ना कहीं ग्रसित है. इस हिसाब से अगर देखा जाए तो मध्यप्रदेश मे साढे़ 8 करोड़ की आबादी में लगभग दो करोड़ लोग मानसिक रोग से ग्रसित माने जाएंगे.'' मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर साहू कहते हैं कि ''एक और मध्य प्रदेश सरकार ने आनंद मंत्रालय खोला है लेकिन ऐसे मंत्रालय के खोलने का क्या फायदा जिसके परिणाम ही बेहतर ना हों.'' डॉक्टर साहू के अनुसार ''कोई कानून या मंत्रालय बनाने से कोई फायदा नहीं होगा, जब तक आप उस भावना से काम नहीं करते कि यह मेरा काम है और इसमें मुझे सुधार लाना है, तब तक ऐसे मंत्रालयों का कोई औचित्य ही नहीं है.''

कोविड के बाद बढ़े मनोरोगी:डॉ. साहू कहते हैं कि ''मनोरोगियों की संख्या में इजाफा कोविड के बाद भी ज्यादा देखने में आया है. जिसका एक कारण लोगों का घरों में रहना भी माना गया है. सामाजिक और आर्थिक स्थितियों में बदलाव कोविड के दौरान देखा गया. इस वजह से इसके रोगियों में 40% की बढ़ोतरी सामने आई है. मध्यप्रदेश में अगर बात की जाए तो यहां की 30% से अधिक जनसंख्या किसी ना किसी तरह की मानसिक समस्या से जूझ रही है. जिसमें चार में से एक व्यक्ति मनोरोग का शिकार है.''

एमपी में बढ़े मनोरोगी

सोशल मीडिया और मोबाइल मनोरोग की वजह: वहीं, देश के नामी डॉक्टरों में शुमार मनोरोग विशेषज्ञ और पद्मश्री अवार्ड से नवाजे गए डॉक्टर बीएन गंगाधर से भी ईटीवी भारत ने बात की. डॉक्टर गंगाधर कहते हैं कि ''बदलते समय के साथ ही मनोरोगियों की परिस्थिति और दशा व व्यवहार में भी परिवर्तन आया है. आज के समय में बढ़ते सोशल मीडिया और मोबाइल यूज के कारण भी मनोरोग की समस्या बड़ी है. फेस टू फेस कांटेक्ट बंद हुआ है, जिस वजह से लोगों में मानसिक रोग ज्यादा सामने आ रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया भी है. सोशल मीडिया में जब वह ऐसी चीजें देखते हैं जिससे वह पैनिक हो जाते हैं तो उस कारण तनाव में लोग आ जाते हैं और मानसिक रोग की स्थिति में भी पहुंच जाते हैं . लेकिन यह समय बदलाव का है और हम देख भी रहे हैं कि मानसिक अस्पताल में ऐसे लोग कम है जो कहते हैं कि हमें इलाज चाहिए.''

आनंद मंत्रालय वाले मध्यप्रदेश में बड़े मनोरोगी

दो तरह के होते हैं मनोरोगी: डॉक्टर गंगाधर ने बताया कि ''दो तरह के मनोरोगी होते हैं, एक कॉमन है, और दूसरे मेजर. कॉमन मनोरोगी जो होते हैं उनको नॉर्मल ट्रीटमेंट दिया जाता है. जिसमें काउंसलिंग, योगा आदि का प्रावधान होता है. जबकि मेजर कंडीशन में दवाओं के साथ उसे योगा आदि कराया जाता है. लेकिन इसमें दवाओं का उपयोग ज्यादा होता है. पिछले 10 सालों में देखा जाए तो मनोरोगियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. जबकि 2 साल से केंद्र सरकार ने टेली मेडिसिन की व्यवस्था की गई है. इसके माध्यम से फोन के माध्यम से ही टेलीमेडिसिन दी जाती है और किस डॉक्टर से उन्हें मिलना है, उसके बारे में क्या-क्या काम हो सकते हैं या यूं कहें उस मरीज को क्या इलाज देना है यह बताया जाता है. इसके माध्यम से अभी तक 2 लाख से अधिक पेशेंट इसका उपयोग कर चुके हैं और फायदा ले चुके हैं.''

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अवेयरनेस की कमी:अभी ये कहना भी सही नहीं है कि लगातार मानसिक अस्वस्थता बढ़ रही है. अभी यह स्थिति हुई है कि लोगों को मानसिक चिकित्सा की आवश्यकता पड़ रही है. जिसका एक कारण अवेयरनेस भी है. जब-जब लोगों में अवेयरनेस बड़ी है तो उन्हें मानसिक स्थिति का पता चला है और वह इसके बारे में इलाज भी ले रहे हैं. वैसे तो यह रोग पहले से ही था, लेकिन लोगों को अवेयरनेस न होने के कारण पता नहीं रहता था. अब अवेयरनेस बढ़ी तो लोग जागरुक हुए हैं, तो उन्हें पता चलने लगा है.

यह हैं डिप्रेशन के कारण:डॉक्टर गंगाधर का कहना है कि ''आज के समय में डिप्रेशन के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन इसका कारण क्या है इस पर अभी भी रिसर्च चल रही है. लेकिन इसके पीछे बहुत से कारण हैं. रिलेशनशिप, अनइंप्लॉयमेंट का इशू, फाइनेंशली इशू, कॉन्पिटिशन का इशू आज के समय में सोसाइटी के अंदर सबसे बड़ा इशू बना हुआ है.''

कैसे बचें डिप्रेशन से: तनाव से बचने के लिए डॉक्टर गंगाधर ने बताया कि ''देश और मानसिक रूप से दूर होने के लिए प्रसन्न रहना लोगों को सीखना होगा. एक दूसरे से बात करना सीखना होगा. योगा आदि भी लोगों को करते रहना चाहिए. आज के समय में कन्वर्सेशन कम हुआ है. घर में भी जब टीवी देखते हैं तो हर व्यक्ति मोबाइल पर लगा होता है. लेकिन आपस में बातचीत कम होती है, इसलिए तनाव बड़ा है. इसके लिए लोगों को बात करना जरूरी है. कम्युनिकेशन करना जरूरी है. जिससे वह इस तनाव से दूर हो पाएगा. दुनिया में अधिकतर मनोरोग के रोगी हिंदुस्तान में ही पाए जाते हैं.'' डॉक्टर गंगाधर कहते हैं ''एक फ्रेंड डॉक्टर ने उनसे कहा था कि जब भी मुझे ट्रीटमेंट करने आना होता है तो वह भारत ही ज्यादा आते हैं.''

Last Updated : Aug 6, 2023, 10:38 AM IST

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