भोपाल।अगर आप शरीर के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ हैं, तो परिवार ही नहीं देश और प्रदेश का विकास भी कर सकते हैं. किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक उन्नति वहां के रहवासियों के मानसिक स्तर से बनती है. अगर मानसिक रूप से रहवासी स्वस्थ होंगे तो निश्चित ही वहां विकास के साथ देश और राज्य की उन्नति होना भी निश्चित है. इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने आनंद मंत्रालय की स्थापना की थी. लेकिन एक सामान्य आंकड़े के अनुसार 2016 में मध्य प्रदेश में सवा करोड़ से अधिक लोग मानसिक रोग से ग्रसित हैं. मनोरोग विशेषज्ञों के अनुसार, अब संख्या 2 करोड़ के पास पहुंच गई है.
मध्यप्रदेश में हर चौथे में से एक व्यक्ति मानसिक रोगी:मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर.एन साहू के अनुसार ''मध्यप्रदेश में हर चौथे में से एक व्यक्ति मानसिक और मनोरोग का शिकार हो चुका है और वह इस बीमारी से कहीं ना कहीं ग्रसित है. इस हिसाब से अगर देखा जाए तो मध्यप्रदेश मे साढे़ 8 करोड़ की आबादी में लगभग दो करोड़ लोग मानसिक रोग से ग्रसित माने जाएंगे.'' मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर साहू कहते हैं कि ''एक और मध्य प्रदेश सरकार ने आनंद मंत्रालय खोला है लेकिन ऐसे मंत्रालय के खोलने का क्या फायदा जिसके परिणाम ही बेहतर ना हों.'' डॉक्टर साहू के अनुसार ''कोई कानून या मंत्रालय बनाने से कोई फायदा नहीं होगा, जब तक आप उस भावना से काम नहीं करते कि यह मेरा काम है और इसमें मुझे सुधार लाना है, तब तक ऐसे मंत्रालयों का कोई औचित्य ही नहीं है.''
कोविड के बाद बढ़े मनोरोगी:डॉ. साहू कहते हैं कि ''मनोरोगियों की संख्या में इजाफा कोविड के बाद भी ज्यादा देखने में आया है. जिसका एक कारण लोगों का घरों में रहना भी माना गया है. सामाजिक और आर्थिक स्थितियों में बदलाव कोविड के दौरान देखा गया. इस वजह से इसके रोगियों में 40% की बढ़ोतरी सामने आई है. मध्यप्रदेश में अगर बात की जाए तो यहां की 30% से अधिक जनसंख्या किसी ना किसी तरह की मानसिक समस्या से जूझ रही है. जिसमें चार में से एक व्यक्ति मनोरोग का शिकार है.''
सोशल मीडिया और मोबाइल मनोरोग की वजह: वहीं, देश के नामी डॉक्टरों में शुमार मनोरोग विशेषज्ञ और पद्मश्री अवार्ड से नवाजे गए डॉक्टर बीएन गंगाधर से भी ईटीवी भारत ने बात की. डॉक्टर गंगाधर कहते हैं कि ''बदलते समय के साथ ही मनोरोगियों की परिस्थिति और दशा व व्यवहार में भी परिवर्तन आया है. आज के समय में बढ़ते सोशल मीडिया और मोबाइल यूज के कारण भी मनोरोग की समस्या बड़ी है. फेस टू फेस कांटेक्ट बंद हुआ है, जिस वजह से लोगों में मानसिक रोग ज्यादा सामने आ रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया भी है. सोशल मीडिया में जब वह ऐसी चीजें देखते हैं जिससे वह पैनिक हो जाते हैं तो उस कारण तनाव में लोग आ जाते हैं और मानसिक रोग की स्थिति में भी पहुंच जाते हैं . लेकिन यह समय बदलाव का है और हम देख भी रहे हैं कि मानसिक अस्पताल में ऐसे लोग कम है जो कहते हैं कि हमें इलाज चाहिए.''