नालंदा:पढ़ने लिखने की कोई उम्र नहीं होती और जब पढ़ने का मौका मिले तो उसे गंवाना नहीं चाहिए. नालंदा की चार बहुओं और उनकी सास ने भी ज्ञान पाने के मौके को गंवाया नहीं बल्कि पिछले 6 महीने से घर और खेत में काम करने के साथ-साथ पढ़ाई भी कर रहीं थीं. दरअसल चंडी मध्य विद्यालय में बुनियादी महापरीक्षा में अपनी चार बहुओं के साथ सास भी परीक्षा देने पहुंची थीं.
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बहुओं संग सास ने दी परीक्षा: 4 बहुओं के साथ महापरीक्षा देकर सास सिवारती देवी चर्चा का विषय बनी हुई है. रविवार को मुख्यमंत्री अक्षर आंचल योजना के तहत परीक्षा का आयोजन किया गया था. इस दौरान नव साक्षर महिलाओं की बुनियादी महापरीक्षा हुई. नालंदा की बात करें तो 9 हजार 698 महिलाएं परीक्षा में शामिल हुईं थी. इस दौरान एक अलग नजारा उस वक्त दिखा जब चंडी प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय में चार बहुओं के साथ सास भी साक्षरता परीक्षा देने पहुंची थी.
6 महीने में पाया अक्षर का ज्ञान: वहीं सास सिवारती देवी ने बताया कि वह अपनी चार बहुओं के साथ साक्षरता की परीक्षा में शामिल हुई हैं. इस दौरान छोटी बहू ने बताया कि करीब छह महीने में हम सभी ने नाम लिखना और बोलकर पढ़ना सीखा है. काम चलाने लायक जोड़-घटाव भी आ गया है. सास सिवारती देवी की बहुएं शोभा देवी, सीमा देवी, वीणा देवी और बिन्दी देवी भी पढ़ लिखर काफी खुश हैं. इस दौरान शिक्षक रत्नेश चौधरी ने बताया कि रविवार को यह परीक्षा आयोजित की गयी थी. हर 6 महीने में यह परीक्षा आयोजित होती है.
"घर का काम खत्म करके हम सभी परीक्षा देने के लिए पहुंचे हैं. हमें अपना नाम पता लिखना और पढ़ना आ गया है. हस्ताक्षर भी कर लेते हैं."-शोभा देवी, सिवारती देवी की बहू
"परीक्षा में 534 महिला ही शामिल हो पाईं. इस परीक्षा में 15 से लेकर 45 साल तक की महिलाएं शामिल होती हैं. इन्हें 6 महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है. जिसमें अक्षर का ज्ञान, जोड़ घटाव के साथ हस्ताक्षर एवं सरकारी योजनाओं का पाठ पढ़ाया जाता है. इसी तरह हर 6 माह पर इसकी परीक्षा आयोजित की जाती है."- रत्नेश चौधरी, शिक्षक, चंडी हाई स्कूल
"रविवार को बुनियादी महापरीक्षा आयोजित की गई थी. इसमें चंडी प्रखंड के डीह गांव से एक घर की 5 महिलाओं ने हिस्सा लिया था. परीक्षा में 45 वर्षीय सास और 4 बहु शामिल हुईं. ये लोग घर का काम पूरा करने के बाद दूसरे के खेत में जाकर मजदूरी करती हैं और चारों के पति परदेस में रहकर मजदूरी करते हैं."- अवधेश कुमार, शिक्षक सेवक