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अधिकांश बिल्ली के बच्चे मालिकों को 'माता-पिता' के रूप में देखते हैं: अध्ययन

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि बिल्लियाँ अपने मालिकों से उतनी ही भावनात्मक रूप से जुड़ी होती हैं जितना की कुत्ते। यहाँ तक की वे उन्हे अपने माता-पिता के रूप में देखती है और उसी अनुसार उनसे लगाव भी प्रदर्शित करती है।

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Published : Aug 19, 2021, 3:16 PM IST

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बिल्ली का बच्चा

आमतौर पर माना जाता है की कुत्ते अपने मालिकों के साथ भावनात्मक रूप से बहुत ज्यादा जुड़े हुए होते हैं, लेकिन करंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्धयन में ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता बताते हैं की बिल्ली के बच्चे भी अपने मालिकों या देखभाल करने वालों से काफी ज्यादा भावनात्मक जुड़ाव महसूस करते हैं। यहाँ तक की बिल्ली के बच्चे अपने मालिकों को अपने 'माता-पिता' के रूप में देखते हैं।

शोध में प्रयोग के दौरान पाया गए की अधिकांश बिल्ली के बच्चे का उनके मालिकों के प्रति स्नेह 'सुरक्षित लगाव शैली' वाला था। यानी जब उनके मालिक प्रयोग के दौरान उन्हें एक कमरे में छोड़ने के बाद पुनः उनके पास वापस लौटे तो उन्हें बिल्लियों के स्नेह के तरीके से "कम तनाव प्रतिक्रिया" का अनुभव हुआ, यानी बिल्ली के बच्चों का व्यवहार सहज और स्नेहपूर्ण था।

गौरतलब है की इस अध्ययन में चार से आठ महीने की उम्र के बिल्ली के बच्चे के समूह के व्यवहार का विश्लेषण किया गया था। इस अध्धयन में एक प्रयोग किया गया जिसमें पहले बिल्लियों ने अपने कार्यवाहक मालिकों के साथ दो मिनट का समय बिताया। जिसके उपरांत कार्यवाहक मालिकों ने उन्हे दो मिनट के लिए अकेला छोड़ दिया, और उसके बाद वे फिर दो मिनट के लिए वापस बिल्ली के बच्चों के पास आए।

बिल्ली की सुरक्षित लगाव शैली

इस अध्धयन में मानव शिशुओं और कुत्तों के लिए उपयोग किए जाने वाले समान मापदंडों का उपयोग करके विशेषज्ञ अनुलग्नक कोडर्स द्वारा बिल्लियों के बच्चों को अनुलग्नक शैलियों में वर्गीकृत किया गया था। ये चार श्रेणियां हैं,

  • सुरक्षि
  • उभयभावी (दो अलग-अलग तरह की भावनाएं रखने वाली)
  • परिहार (अलगाव की भावना रखने वाली)
  • अव्यवस्थित

अध्धयन में शोधकर्ताओं ने बताया कि लगभग 64 प्रतिशत बिल्ली के बच्चों ने अपने मालिकों के लिए एक सुरक्षित लगाव शैली का प्रदर्शन किया और जब वे फिर से मिले तो कम तनाव में और सहज थे।

वहीं अन्य 36 प्रतिशत बिल्ली के बच्चो ने असुरक्षित लगाव शैली का प्रदर्शन किया, यानी जब उनके मालिक चले गए या उनके पास वापस लौटे तो बिल्लियों ने उनसे भावनात्मक निकटता का प्रदर्शन नहीं किया।

इस प्रयोग के नतीजों के आधार पर इस बात की पुष्टि हुई की “अलग-अलग बिल्लियाँ अपने मालिकों या देखभाल करने वालों के प्रति सुरक्षित और असुरक्षित लगाव दोनों तरह के भाव रख सकती हैं।”

आमतौर पर बिल्लियों को ज्यादा मेलजोल न रखने वाले, मिलने पर ज्यादा गर्मजोशी न दिखाने वाले, भावनात्मक जुड़ाव न रखने वाले और स्वतंत्र व्यवहार प्रदर्शित करने वाले जानवर के रूप में देखा जाता है। लेकिन इस अध्धयन के परिणाम, बिल्लियों के व्यवहार को लेकर आश्चर्यजनक तथ्य बताते हैं। इस अध्धयन में शोधकर्ता यह तो कहते ही हैं कि बिल्ली के बच्चे लंबे समय तक सुरक्षित लगाव शैली से बाहर नहीं निकलते हैं, साथ ही अध्धयन के निष्कर्षों में इस बात का भी उल्लेख करते हैं की “बिल्लियों में लगाव शैली अपेक्षाकृत स्थिर प्रतीत होती है, यानी जो बच्चे बचपन में सुरक्षित लगाव शैली प्रदर्शित करते हैं उनमें वयस्क होने पर भी लगाव का वो ही पैटर्न मौजूद होता है।”

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