शिमला : कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने दुनिया को एक बार फिर पुरानी स्थिति के करीब लाकर खड़ा कर दिया है. बच्चे पहली लहर के मुकाबले ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. इस बार बच्चों में संक्रमण के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में भी बच्चे कोरोना महामारी से अछूते नहीं हैं. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 10 साल तक की उम्र के दो हजार के करीब बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं.
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों के मुकाबले आधिक होती है. ऐसे में कोरोना संक्रमित बच्चे एक या दो सप्ताह में पूरी तरह से कोरोना को मात दे रहे हैं. इसके बावजूद अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतनी चाहिए. साथ ही, उन्हें कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचाने की बात कही जा रही है.
हिमाचल में 2025 बच्चे हो चुके हैं संक्रमित
हिमाचल स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 0 से 10 वर्ष उम्र के 2025 बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए हैं. 11 से 20 वर्ष के 7,441 बच्चों में कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं. जो कि चिंता का कारण है. ज्यादातर बच्चे संक्रमित होते हैं पर वो उतना बीमार नहीं पड़ते हैं. ऐसे में इन बच्चों से वयस्कों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल सकता है. दूसरी बड़ी दिक्कत यह है कि इनकी देखभाल करते समय परिजनों को भी बेहद सावधानी अपनानी पड़ती है.
व्यस्कों में तेजी से फैल रहा कोरोना संक्रमण
हिमाचल में बच्चों की तुलना में वयस्कों में यह संक्रमण बड़ी तेजी से फैल रहा है. 21 से 30 वर्ष के 15,987 युवा कोरोना संक्रमण से प्रभावित हुए हैं. 31 से 40 वर्ष के 16,184 युवा कोरोना संक्रमण की चपेट में आए, यह आंकड़ा किसी भी आयु वर्ग में सबसे अधिक है. 41 से 50 आयु वर्ग के 14 हजार 78 लोग कोरोना के शिकार हुए. 51 से 60 आयु वर्ग के 11,345 लोग संक्रमित हुए. 61 से 70 आयु वर्ग की बात की जाए तो 5,951 लोग संक्रमित हुए. 71 से 80 आयु वर्ग के 2,642 संक्रमित हैं. प्रदेश में सबसे कम 80 से ऊपर की आयु के लोग कोरोना से संक्रमित हुए इनकी संख्या महज 722 है.
शिशुओं में कोविड-19 का खतरा ज्यादा
एक साल से नीचे के शिशुओं में कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बड़ी उम्र के बच्चों के मुकाबले ज्यादा होता है. ऐसा उनके अपरिपक्व इम्यून सिस्टम और छोटे वायुमार्ग की वजह से होता है, जो उन्हें वायरस के श्वसन संक्रमण के साथ सांस की समस्या विकसित करने की अधिक संभावना रखता है. नवजात कोविड-19 की वजह बनने वाले वायरस से जन्म के समय या डिलीवरी के बाद देखभाल करने वालों के संपर्क में आने से संक्रमित हो सकते हैं.
बच्चों में हो सकते हैं कोविड-19 के ये लक्षण !
- बुखार या ठंड लगना
- नाक का बंद होना या बहना
- खांसी, गले में खराश
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान, सिर दर्द
- मांसपेशी में दर्द या शरीर का दर्द
- मतली या उल्टी जैसा लगना
- डायरिया, भूख कम लगना
- स्वाद या सूंघने की क्षमता घटना
- पेट में दर्द
लक्षण नजर आने पर डॉक्टर की लें मदद
हिमाचल स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रमेश का कहना है कि बच्चे के संक्रमित होने की सूरत में डॉक्टर की मदद लें. जहां तक संभव हो सके बच्चे को घर पर अन्य लोगों से दूर रखें. अगर संभव हो सके, तो उसके लिए पारिवारिक सदस्यों से अलग बेडरूम और बाथरूम की व्यवस्था करें. डॉक्टर टेस्टिंग पर भी विचार कर सकते हैं कि क्या आपके बच्चे को गंभीर बीमारी का ज्यादा खतरा है.
केंद्र ने बच्चों के इलाज के लिए जारी किया नया प्रोटोकॉल
कोरोना महामारी के बेकाबू प्रकोप के बीच केंद्र सरकार ने बच्चों में कोरोना संक्रमण और इलाज के लिए नया प्रोटोकॉल जारी किया है. केंद्र सरकार के मुताबिक अधिकतर बच्चों को संक्रमण के हल्के लक्षण हैं, कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं. लक्षण रहित बच्चों को इलाज की जरूरत नहीं है. लेकिन इनके स्वास्थ्य की निगरानी बहुत जरूरी है.
- कुछ बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फलैमेट्री सिंड्रोम की तकलीफ हो रही है. ऐसे बच्चों को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है. इस तरह की तकलीफ से गुजरने वाले बच्चों को 100.4 डिग्री का बुखार भी हो सकता है.
- अगर बच्चे को बुखार है, तो उसके वजन और उम्र के अनुसार हर चार से छह घंटे पर पैरासिटामॉल दवा दे सकते हैं. गले में खराश होने पर गुनगुने पानी से गरारा कर सकते हैं.
- शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए तरल पदार्थ अधिक मात्रा में देना है. हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमित बच्चों को एंटीबायोटिक देने की जरूरत नहीं है. अभिभावक अपने अनुसार बच्चों को हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमडेसिविर और डेक्सामेथासन आदि दवाएं न दें.
- बच्चे का ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी है, तो वो सामान्य श्रेणी में आएगा. दो माह से कम बच्चे को संक्रमण होने पर सांस लेने की दर प्रति मिनट 60 से कम नहीं होनी चाहिए. दो से 12 माह के बच्चे में ये दर 50 से अधिक होनी चाहिए. एक से पांच वर्ष के उम्र के बच्चों में ये दर 40 प्रति मिनट होनी चाहिए. इसी तरह 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों में सांस लेने की दर तीस बार प्रति मिनट होना चाहिए.
- सामान्य लक्षण वाले बच्चों को निमोनिया की भी तकलीफ हो सकती है. हालांकि, कोरोना जांच जरूरी नहीं है. मध्यम लक्षण वाले बच्चों को बिना देरी किए कोविड अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराना होगा.
- बच्चे के बुखार से लेकर ऑक्सीजन के स्तर को मापते रहना होगा. तरल पदार्थ अधिक मात्रा में देना है जिससे शरीर में पानी की कमी न हो.
- बच्चे का ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी से कम है, तो उसे गंभीर संक्रमण है. खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से उसके होंठ नीले पड़ सकते हैं. सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
- बेचैनी और घबराहट के साथ वो बार-बार अच्छा महसूस न होने की बात कहेगा. इस तरह की तकलीफ वाले बच्चों के सीने में गंभीर संक्रमण हो सकता है. कुछ बच्चों में झटका आने के साथ थकान की भी तकलीफ हो सकती है. ऐसे बच्चों का इलाज अस्पताल में ही संभव है.
हिमाचल में तेजी से ठीक हो रहे कोरोना संक्रमित
हिमाचल प्रदेश में कोरोना महामारी से ठीक होने वाले मरीजों की दर लगभग 78 प्रतिशत है. अबतक 83,679 संक्रमित ठीक होकर अपने घरों को लौट गए हैं, इनमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं. हालांकि, कोविड की दूसरी लहर पहली लहर से काफी भयावह है. इससे लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग और वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाई है. ताकि समय रहते कोरोना के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाई जा सके.
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