अगरतला: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को पश्चिमी त्रिपुरा में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद कहा कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज के शीर्ष पर स्थित केसरिया रंग ताकत और साहस, बलिदान और जोश को दर्शाता है, जिसे हमारे प्राचीन राजाओं के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और दर्शन में देखा जा सकता है. यह कहते हुए कि भारत प्रकृति की पूजा करता है, भागवत ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज को देवी लक्ष्मी के अनुपालन में प्रगति के प्रतीक के रूप में हरे रंग के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, हमें समाज के सभी वर्गों के लोगों के कल्याण के लिए धार्मिक व्यवहार और आचरण को बनाए रखना है.
पश्चिमी त्रिपुरा के खयेरपुर के सेवा धाम में तिरंगा फहराने के बाद आरएसएस प्रमुख ने कहा कि चूंकि भारत प्राचीन काल से एक आध्यात्मिक देश रहा है, हमारे राष्ट्रीय ध्वज के बीच में स्थित धर्मचक्र (पहिया) सामाजिक-सांस्कृतिक दर्शन के महत्व को दशार्ता है, जिसका पालन और अभ्यास हम भारत के लोग करते हैं. उन्होंने कहा कि भारत की वर्तमान गणतंत्र प्रणाली में एक सम्मानजनक व्यवहार के माध्यम से सही मायने में लोकतंत्र की स्थापना करना और बैशाली, लिच्छबी जैसे प्राचीन गणराज्यों के उन प्रचलित दर्शन को लागू करना हमारा संकल्प है.
भारत के गणतंत्र दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भागवत ने कहा कि प्राचीन गणराज्य में भारत के तत्कालीन नागरिकों के जीवन और दर्शन में लोकतंत्र की सच्ची भावना का चित्रण किया जाता था. आरएसएस सरसंघचालक ने कहा, भारत के प्राचीन गणराज्यों में प्रचलित लोकतांत्रिक व्यवस्था की भावना के साथ भारत में आज के लोकतंत्र का महिमामंडन किया जाना चाहिए.