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Modi Surname Defamation Case में राहुल गांधी को मिली राहत, SC ने सजा पर लगाई रोक

मोदी सरनेम आपराधिक मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने इस मामले में राहुल गांधी को राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है.

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Published : Aug 4, 2023, 12:37 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 7:16 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरनेम टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत दे दी है. राहुल गांधी को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा पर शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोई शख्स टिप्पणी देते वक्त अच्छे मूड में नहीं होता है. एक व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है. इस अदालत ने अवमानना याचिका में राहुल गांधी के हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा, "उन्हें (राहुल गांधी) अधिक सावधान रहना चाहिए था.

शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा कि ट्रायल जज ने अधिकतम सजा देने की आवश्यकता पर किसी ने कुछ नहीं कहा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन पर असर पड़ा, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ. न्‍यायमूर्ति बी.आर. गवई, पी.एस. नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, इसलिए अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है.

गौरतलब है कि गुजरात उच्च न्यायालय ने मोदी सरनेम टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उसकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. राहुल गांधी ने इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. इससे पहले सुनवाई की शुरुआत में राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल सरनेम 'मोदी' नहीं है. उन्होंने बाद में यह सरनेम अपनाया है. वहीं, राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया. यह 13 करोड़ लोगों का एक छोटा सा समुदाय है और इसमें कोई एकरूपता या समानता नहीं है. सिंघवी ने कहा, "इस समुदाय के केवल उन्हीं लोगों को आपत्ति है, जो भाजपा के पदाधिकारी हैं और मुकदमा कर रहे हैं.

सिंघवी ने कहा कि यह गैर-संज्ञेय, जमानती और समझौता योग्य अपराध है. यह अपराध न समाज के खिलाफ था, और न ही किसी प्रकार का अपहरण, बलात्कार या हत्या का मामला था. उन्होंने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल कोई कुख्यात अपराधी नहीं है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं द्वारा उनके खिलाफ कई मामले दर्ज कराए जाने के बावजूद उन्हें किसी भी मामले में कोई सजा नहीं हुई है. वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि राहुल पहले ही संसद के दो सत्रों से चूक चुके हैं.

शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि राहुल गांधी का पूरा भाषण 50 मिनट से अधिक समय का था और भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भाषण के ढेर सारे सबूत और क्लिपिंग संलग्न हैं. जेठमलानी का कहना है कि राहुल गांधी ने रंजिश के चलते एक पूरे वर्ग को बदनाम किया है. सुप्रीम कोर्ट ने जेठमलानी से पूछा कि कितने नेताओं को याद होगा कि वे एक दिन में 10-15 सभाओं के दौरान क्या बोलते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "पीठ जानना चाहती है कि अधिकतम सजा क्यों दी जाए. सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वह (राहुल गांधी) अयोग्य नहीं ठहराए जाते. महेश जेठमलानी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले राहुल गांधी को आगाह किया था, जब उन्होंने राफेल मामले में शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को कांग्रेस नेता द्वारा दायर विशेष याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दी थी और नोटिस जारी किया था कि क्या उनकी सजा को याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक निलंबित रखा जाना चाहिए. पीठ ने दोनों पक्षों को सुने बिना गांधी की याचिका पर कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. उसने भाजपा नेता पूर्णेश मोदी और अन्य को अपनी बात रखने के लिए 10 दिन का समय देते हुए मामले की अगली तारीख 04 अगस्त तय की थी.

कांग्रेस नेता ने हलफनामे में अदालत को बताया था कि शिकायतकर्ता ने उन्‍हें 'अहंकारी' बताया था, क्योंकि उन्होंने 'मोदी सरनेम' मानहानि मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया था. इसमें कहा गया है कि गांधी ने हमेशा कहा है कि वह निर्दोष हैं और अगर उन्हें माफी मांगनी होती तो वह काफी पहले ऐसा कर चुके होते. भाजपा विधायक ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि गांधी ने 'अहंकार' दिखाया है और सर्वोच्च न्यायालय को उनकी याचिका खारिज कर उनसे कीमत वसूली जानी चाहिए. इसमें कहा गया है कि राहुल गांधी ने देश के चयनित प्रधानमंत्री के प्रति व्यक्तिगत द्वेष के कारण मानहानिकारक बयान दिए, और वह दी गई सजा के मामले में किसी सहानुभूति के पात्र नहीं हैं.

बता दें कि राहुल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा केस में तत्‍काल सुनवाई के लिए 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर अदालत सुनवाई के लिए तैयार हुई थी. इससे पहले 15 जुलाई को कांग्रेस नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. गुजरात उच्‍च न्‍यायालय में न्‍यायमूर्ति हेमंत प्रच्‍छक की पीठ ने निचली अदालत द्वारा उन्‍हें दी गई सजा पर रोक से इनकार कर दिया था.

मार्च में सूरत की एक अदालत द्वारा अप्रैल 2019 के इस मामले में दोषी ठहराये जाने और दो साल की जेल की सजा सुनाये जाने के बाद कांग्रेस नेता को लोकसभा की सदस्‍यता से अयोग्‍य करार दिया गया था. अप्रैल 2019 में एक नामांकन रैली के दौरान उन्‍होंने कहा था, "सभी चोरों के उपनाम मोदी ही क्‍यों होते हैं." उनका अभिप्राय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगोड़े घोटालेबाजों ललित मोदी तथा नीरव मोदी के बीच कटाक्षपूर्ण तुलना से था.

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Last Updated : Aug 4, 2023, 7:16 PM IST

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