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मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का नहीं होगा सर्वे, मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर कोर्ट ने किया स्थगित

29 मार्च को सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने के आदेश जारी करने के बाद मुस्लिम पक्ष में हड़कंप मच गया था. मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने दलील प्रार्थना पत्र और आपत्तियां न्यायालय में पेश कीं, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए कहा है कि फिलहाल सर्वे अमीन के द्वारा स्थगित कर दिया गया है.

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Published : Apr 5, 2023, 3:33 PM IST

कोर्ट के आदेश के बारे में बताते अधिवक्ता तनवीर अहमद

मथुरा: हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका पर सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट ने 29 मार्च को शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने के आदेश दिए थे. इस आदेश के तहत सरकारी अमीन को सर्वे करने के लिए जाना था. आदेश होते ही मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति और दलील दाखिल कर दी थी. इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सर्वे को स्थगित कर दिया है. साथ ही प्रकरण की अगली सुनवाई 18 अप्रैल के बजाय 11 अप्रैल को तय की है. मामला स्थगित होने के बाद अब शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे करने के लिए सरकारी अमीन नहीं जाएगा.

कब हुआ था सर्वे का आदेशःहिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका पर 29 मार्च को सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट ने विवादित स्थान का सर्वे कराने के आदेश जारी किए थे. इसके बाद तीन अप्रैल को कोर्ट ने सरकारी अमीन शिशु पाल यादव को रिट जारी करते हुए कहा था कि 17 अप्रैल तक न्यायालय में विवादित स्थान की आख्या और भौगोलिक स्थिति के मौका मुआयना की रिपोर्ट पेश की जाएगी. आख्या बनाते समय प्रतिवादी गण के अधिवक्ता भी उस स्थान पर मौजूद रहेंगे लेकिन, बुधवार को मुस्लिम पक्ष की आपत्ति न्यायालय में दाखिल होने के बाद कोर्ट ने सर्वे मामले को स्थगित कर दिया.

पहले भी दिए थे सर्वे के आदेशःविष्णु गुप्ता ने पिछले वर्ष न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए मांग की थी कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर अवैध शाही मस्जिद का निर्माण किया था, उस स्थान का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा कराना चाहिए और रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जानी चाहिए. वादी के अधिवक्ता शैलेश दुबे ने न्यायालय सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट में अहम तथ्य को रखा था. इसके बाद आठ दिसंबर 2022 को विवादित स्थान का सर्वे सरकारी अमीन से कराने के आदेश किए थे. प्रतिवादी अधिवक्ताओं ने अभी तक कोर्ट में कोई आपत्ति दाखिल नहीं की थी. उसी का फायदा उठाते हुए वादी अधिवक्ता ने 29 अप्रैल को एफटीसी कोर्ट में पिछले आदेश को पुनः कार्य में लिया और आदेश कर दिए.

अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया सिविल जज सीनियर डिविजन एफटीसी कोर्ट ने सरकारी अमीन के द्वारा सर्वे के मामले को स्थगित कर दिया है. मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दस्तावेज न्यायालय में दाखिल किए थे, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए आदेश जारी किया है. फिलहाल विवादित स्थान पर सरकारी अमीन सर्वे के लिए नहीं जाएगा. प्रकरण की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी.

क्या है आज की स्थितिःअधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह श्रीकृष्ण जन्मस्थान का भाग है. ईदगाह वाली जो संपत्ति है वह कुल संपत्ति का खेवट नंबर 255 खसरा संख्या 825 है. उसका रकबा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मलकियत के रूप में दर्ज है. प्रॉपर्टी हाल में मंदिर और ईदगाह नगर पालिका, अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही है. ईदगाह के पास मलकियत से सम्बंधित कोई दस्तावेज नहीं है और ना ही कोर्ट में कोई दस्तावेज जमा नहीं कराए हैं.

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है 11एकड़ मैं श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्री कृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है कि पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए, 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था उसे जमीन डिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.

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