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Martyrdom of Santosh Tamo : सरेंडर के बाद बने जवान, नक्सलियों को चटाई थी धूल - आत्मसमर्पित नक्सली

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने एक बार फिर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है. दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट करके डीआरजी जवानों की जान ले ली है. इनमें से एक शहीद संतोष तामो भी थे. संतोष सरेंडर के बाद डीआरजी जवान बने थे.

SANTOSH TAMO
संतोष तामो

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Published : Apr 27, 2023, 8:24 PM IST

रायपुर / दंतेवाड़ा : छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने एक बड़ी घटना को अंजाम दिया है. अरनपुर इलाके में नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया है. इसमें सर्चिंग से लौट रहे डीआरजी के 10 जवान शहीद हो गए. घटना बुधवार की है. इसमें 8 जवान ऐसे हैं, जो आत्मसमर्पित नक्सली थे. वहीं दो जवान डीआरजी में सीधे भर्ती हुए थे. इसमें से एक थे प्रधान आरक्षक संतोष तामो.

संतोष तामो

कहां के निवासी थे संतोष :संतोष दंतेवाड़ा जिले के बड़ेकमेली गांव का रहने वाले थे. संतोष 13 फरवरी 2017 में डीआरजी में गोपनीय सैनिक के तौर पर भर्ती हुए थे. भर्ती के बाद से ही संतोष ने कई मुठभेड़ों में नक्सलियों को धूल चटाया है. फिलहाल आईईडी ब्लास्ट में संतोष वीर गति को प्राप्त हो गए हैं.

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लोकल स्तर पर थी अच्छी पकड़ :बस्तर के अंदरूनी इलाकों में से एक दंतेवाड़ा के बड़ेकमेली गांव में एक जून 1988 में संतोष तामो का जन्म हुआ था. संतोष के घर में उसके पिता सोमलू तामो, माता सोमली तामो, पत्नी सरिता तामो के अलावा भैया भाभी और उसकी दीदी रहती है. यह इलाका भी नक्सल प्रभावित है. संतोष न केवल हल्बी गोंडी भाषा का जानकार थे, बल्कि उसकी हिंदी भी अच्छी थी. अति संवेदनशील इलाका होने की वजह से अक्सर नक्सलियों की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता था. ऐसे में संतोष ने पुलिस में शामिल होने की ठानी और 2017 में आरक्षक बने. इसके बाद से लगातार संतोष कई ऑपरेशनों में शामिल रहे. पुलिस को लोकल लड़ाके होने की वजह से बहुत मदद भी मिली. इनकी ही वजह से कई नक्सल कैंपों पर धावा बोला जा चुका है. इनकी शहादत के बाद घर समेत पूरे गांव में मातम छाया हुआ है.

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