हैदराबाद:तेलंगाना में माओवादी फिर सक्रिय होने की योजना बना रहे हैं. वह विदेशी संगठनों से संबंध सुधारने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने दक्षिण एशिया की माओवादी पार्टियों और संगठनों की समन्वय समिति (CCOMPOSA) का सहारा लेने की योजना बनाई है. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अभी से दूसरे देशों के तथाकथित क्रांतिकारी संगठनों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है.
भारतीय माओवादियों ने दक्षिण एशिया की माओवादी पार्टियों और संगठनों की समन्वय समिति या कोकम्पोसा (CCOMPOSA) के रास्ते पर चलने का फैसला किया है.
तेलंगाना खुफिया विभाग को माओवादी पार्टी में ताजा घटनाक्रम की जानकारी मिली है, जिसके मुताबिक अमृत नाम के एक माओ नेता को खास जिम्मेदारी दी गई है. सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस को शक है कि पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू दादा, सैन्य मामलों के प्रभारी टिप्पीरी तिरुपति उर्फ चेतन और वरिष्ठ नेता ऊके गणेश... इन तीनों में से ही कोई एक अमृत है.
खुफिया सूत्रों को शक है कि अमृत ने हाल ही में ऑनलाइन जूम रिव्यू मीटिंग में हिस्सा लिया था. सूत्रों ने कहा कि फिलीपींस की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष, जोस मारिया सिसन, जिनकी मृत्यु 16 दिसंबर को हुई थी उनकी स्मृति में 16 जनवरी को प्रदर्शन आयोजित करने का निर्णय इसका प्रमाण माना जाता है.
अतीत की बात करें तो माओवादियों के नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, फिलीपींस, जर्मनी, फ्रांस, तुर्की, इटली और अन्य देशों में क्रांतिकारी संगठनों के साथ संबंध थे. माओवादी पार्टी बनने के बाद 2005-2011 के बीच सबूत मिले कि माओवादी पार्टी के कैडर को फिलीपींस की कम्युनिस्ट पार्टी के विशेषज्ञों द्वारा सशस्त्र प्रशिक्षण दिया गया था.
2009 में दिल्ली में कोबाड गांधी की गिरफ्तारी, 2010 में आदिलाबाद के जंगलों में आजाद की मुठभेड़ और पश्चिम बंगाल के लालगढ़ में किशनजी की मुठभेड़ में पार्टी को भारी नुकसान हुआ. ज्यादातर माओवादी नेताओं को जेल होने के बाद माओवादियों का ध्यान अंतरराष्ट्रीय मामलों से हट गया था. अब यह फिर से सक्रिय होने की कोशिश कर रहा है.
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