श्रीनगर :आतंकवादी अल्ताफ भट के हाल में मारे जाने के बाद हुई जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों ने 2015 और 2019 के बीच जारी किए गए पासपोर्ट का अध्ययन किया और पाया कि जो 40 नौजवान पढ़ाई के लिए बांग्लादेश या पाकिस्तान गए थे, उनमें से 28 ने प्रशिक्षित आतंकवादियों के रूप में देश में वापस घुसपैठ की थी.
इसके अलावा 100 से अधिक कश्मीरी युवाओं ने कम अवधि के लिए वैध वीजा पर पाकिस्तान की यात्रा की और या तो वापस नहीं आए या पिछले तीन वर्षों में अपनी वापसी के बाद गायब हो गए. सुरक्षा एजेंसियों को आशंका है कि ये सीमा पार से सक्रिय आतंकी समूहों के स्लीपर सेल हो सकते हैं. बांदीपुरा में 24 जुलाई की मुठभेड़ में जिले के निवासी भट समेत तीन आतंकवादी मारे गए थे.
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि भट ने आतंकवाद का रास्ता छोड़कर नेता बने उस्मान माजिद की हत्या करने का लक्ष्य रखा था. माजिद पर पूर्व में भी तीन बार हमले के प्रयास किए गए थे. अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल एक से छह अप्रैल के बीच, दक्षिण कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों के कुछ युवकों को आतंकवादियों के घुसपैठ करने वाले समूहों के हिस्से के रूप में देखा गया था और उन सभी ने वैध दस्तावेजों पर पाकिस्तान की यात्रा की थी और उसके बाद कभी नहीं लौटे.
उन्होंने कहा कि वाघा सीमा पर और नई दिल्ली हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों के साथ सुरक्षा एजेंसियों ने करीबी निगरानी की. इस दौरान यह पाया गया कि कम से कम 40 युवा जो पढ़ाई के लिए बांग्लादेश या पाकिस्तान गए थे, वे लापता हो गए. अधिकारियों ने कहा कि एहतियात के तौर पर घाटी के उन युवाओं से भी पूछताछ की गई, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में सात दिनों से अधिक की अवधि के लिए वैध वीजा पर यात्रा की थी.
आंकड़ों ने अधिकारियों को हैरान कर दिया क्योंकि कुछ मामलों में यह पाया गया कि युवा कभी वापस नहीं लौटे और अन्य मामले में वे अपनी वापसी के बाद गायब हो गए. जिससे संदेह पैदा हो गया कि वे स्लीपर सेल बनकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई या सीमा पार स्थित आतंकी समूहों के अपने आकाओं के निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. जिन युवकों ने दो साल पहले भी पाकिस्तान की यात्रा की थी, उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया है और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उनकी वापसी के बाद उनकी गतिविधियों का उचित विश्लेषण किया जा रहा है.