नई दिल्ली : मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में भारत-म्यांमार सीमा के पास असम राइफल्स के काफिले पर गत शनिवार हुए हमले में मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट (MNPF) के शामिल होने की जानकारी सामने आई है. यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में, विशेष रूप से संघर्षग्रस्त राज्यों में उग्रवाद दोबारा पनपने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. एमएनपीएफ एक अपेक्षाकृत अज्ञात सशस्त्र संगठन है, जो उग्रवादी गतिविधियों में शामिल है.
उग्रवादियों ने शनिवार को घात लगाकर सेना के काफिले पर हमला किया गया था, जिसमें 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और छह साल के बेटे सहित सात लोगों की जान चली गई थी. जिसमें क्विक रिएक्शन टीम के चार जवान शामिल थे.
यह 2015 के बाद पहला बड़ा हमला है. इससे पहले 4 जून, 2015 को पड़ोसी चंदेल जिले में उग्रवादी हमले में सेना के 18 जवान शहीद हुए थे.
उग्रवादी संगठन रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया गया था कि यह हमला इसकी सशस्त्र शाखा पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) और एमएनपीएफ द्वारा किया गया. साथ ही आरपीएफ ने कहा है कि हमलावरों को काफिले में शामिल अधिकारी के परिवार के सदस्यों के बारे में पता नहीं था.
पीएलए एक दशक पुराना सशस्त्र संगठन है, जिसमें ज्यादातर मणिपुरी मीतेइ समुदाय (Manipuri Meiteis) के सदस्य शामिल हैं. जबकि एमएनपीएफ में जेलियांग नगा (Zeliang Naga) समुदाय से संबंधित कैडर शामिल हैं जो मणिपुर, नागलैंड और असम के तीन राज्यों में फैले हुए हैं.
एमएनपीएफ का गठन जून 2013 में किया गया था, जो मुख्य रूप से मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में स्थित बताया जाता है. एनएससीएन (आईएम) के कुछ जेलियांग नगा कैडर ने अलग होकर इसका गठन किया, जिसका उद्देश्य जेलियांग समुदाय (Zeliang community) के अधिकारों की रक्षा और सुरक्षा करना है.