मंडी:हिमाचल में आया जल प्रलय साल 2013 में उत्तराखंड में आई केदारनाथ आपदा की याद ताजा कर रहा है. हिमाचल में आए जल तांडव के बीच मंडी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें ब्यास नदी के तांडव के बीच मंडी शहर में सुकेती और ब्यास के संगम पर बना पंचवक्त्र मंदिर को आंच भी नहीं आई है. कुछ ऐसी ही तस्वीर साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में आई आपदा में देखने को मिली थी, जिसमें बादल फटने से पूरी केदारपुरी बह गई थी, लेकिन बाबा केदारनाथ मंदिर को आंच तक नहीं आई थी. इसी तरह ब्यास नदी में आये जल सैलाब में पंचवक्त्र मंदिर अडिग खड़ा दिखाई दिया. जो चर्चा का विषय हुआ.
केदारनाथ आपदा की याद हुई ताजा: हिमाचल में आसमान से बरसती आफत से 28 सालों बाद ब्यास नदी ने एक बार फिर से रौद्र रूप धारण कर लिया. जिससे मंडी में हालात बद से बदत्तर हो गए हैं. 48 घंटे से ज्यादा बरसी इस आफत की बारिश से जहां सभी नदी नाले उफान पर थे तो, वहीं खतरे के निशान से कहीं ऊपर जाकर बह रही ब्यास अपने साथ सब कुछ बहा कर ले गई. जबकि ब्यास के तांडव के बीच मंडी शहर में सुकेती और ब्यास के संगम पर बना पंचवक्त्र मंदिर को आंच भी नहीं आई है. यह मंदिर आधे से ज्यादा ब्यास नदी में डूब गया था और इसका ऊपर का ही हिस्सा डूबने से बचा था. लारजी डैम प्रंबंधन के अनुसार करीब 2 लाख क्यूसिक पानी पर सेकंड पंडोह डैम से छोड़े जाने के बावजूद भी ब्यास नदी में उठी लहरें पंचवक्त्र का कोई नुकसान नहीं कर पाई. अब मंदिर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं और केदारनाथ मंदिर से इसकी तुलना हो रही है.
सोशल मीडिया रक पंजवक्त्र मंदिर का वीडियो वायरल: सोशल मीडिया पर लोग लगातार पंचवक्त्र मंदिर की तस्वीर शेयर करते हुए लिख रहे हैं कि सारा आधुनिक निर्माण धराशाई हो गया है, जबकि यह मंदिर टिका हुआ है. पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने भी सोशल मीडिया पर पंचवक्त्र महादेव मंदिर को लेकर एक पोस्ट शेयर की है. भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध यह मंदिर पुरानी मंडी और नए मंडी शहर के बीचोबीच ब्यास व सुकेती नदी के संगम पर है. ब्यास नदी के तट पर बना यह मंदिर हर मानसून सीजन में एक-दो बार आधे से ज्यादा जलमग्न हो जाता है.