हैदराबाद :देश में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 15वें दिन भी जारी है. ऐसे में देशभर से किसानों को समर्थन मिल रहा है. बता दें, सरकार और किसान संगठनों के बीच कई बार बातचीत बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हुई. किसान संगठनों का कहना है कि सरकार को ये तीनों कानून जल्द से जल्द वापस लेना चाहिए, वरना परिणाम भयंकर होंगे.
गौरतलब है कि किसान नेताओं ने केंद्र सरकार के संशोधन के लिखित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और सभी किसान नेता 3 कृषि कानून रद्द करवाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) गारंटी कानून लागू करवाने पर अडिग हैं. किसानों की ओर से आगे की रणनीति भी तैयार की गई है.
आज हम यहां बात कर रहे हैं कि देश में इससे पहले किसानों ने कितनी बार विरोध-प्रदर्शन किए. एक नजर...
1.2020:केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्रदर्शन में खासकर पंजाब और हरियाणा में ज्यादा विरोध-प्रदर्शन हुए.
2.2019: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में किसानों ने विरोध-प्रदर्शन किया था. सितंबर में किसानों ने गन्ने की बिक्री के भुगतान और बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ दिल्ली की ओर मार्च निकाला था. उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिली थी.
3.2018:नवंबर में 24 राज्यों के लगभग 35 हजार किसानों ने गारंटी वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनाने और कर्जों से मुक्ति के लिए देश की राजधानी नई दिल्ली की ओर कूच किया. रैली में भूमि-स्वामी और भूमिहीन किसानों को एकसाथ देखा गया था. विपक्षी दलों से भी इनको समर्थन मिला था.
4.2018:इसी साल जून में किसान संगठनों ने अपनी कर्ज माफी, भूमि सुधार और मुफ्त बिजली की मांगों को लेकर पांच राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन किया. किसानों ने अपने इस प्रदर्शन को 'गांव बंद' नाम दिया.
5.महाराष्ट्र के 40,000 आदिवासी किसानों ने इसी साल लोन माफी योजना, भूमि का शीर्षक और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों जैसी मांगों को लागू करने के लिए नासिक से मुंबई तक 180 किमी की यात्रा तय की थी.
6.2017: मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने अपनी फसल के बाजार मूल्य की मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस घटना में गोलीबारी भी हुई. जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई और 8 घायल हुए थे.