मुंबई: शिवसेना विधायकों की बगावत से महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार संकट में घिर गई है. महाविकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन ठाकरे सरकार को बचाने की कोशिश में लगा है. शिवसेना ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई का मन बना लिया है. इसी कड़ी में शिवसेना ने 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को अर्जी दी है.
जिन विधायकों की सदस्यता रद्द करने के लिए अर्जी दी गई है, उनमें एकनाथ शिंदे, तानाजी सावंत, बालाजी किन्नीकर, अनिल बाबर, भरत गोगावले, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, यामिनी जाधव, संदीपन भुबरे, संजय शिरथ, लता सोनावणे शामिल हैं. विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के अगले सोमवार तक इस पर फैसला लेने की संभावना है.
साथ ही 34 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग साथ ही विधानसभा अध्यक्ष को 46 पेज की अर्जी भी सौंपी गई है. एकनाथ शिंदे द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर इसमें उल्लेखित 34 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. शिवसेना का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 10 के तहत कार्रवाई की मांग की जानी चाहिए.
विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने कहा कि कानून में पार्टी प्रमुख को नेता नियुक्त करने की आवश्यकता है. एकनाथ शिंदे ने निष्कासन के बाद समूह के नेता होने का दावा किया था. नरहरि जिरवाल ने भूमिका स्पष्ट की है. उन्होंने यह भी कहा कि मुझे जो सूची मिली है वह संदिग्ध है. उन्होंने कहा कि हमारे पास जो सूची है वह संदिग्ध है.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शिवसेना दल के नेता एकनाथ शिंदे को पद से हटा दिया था. और उनकी जगह अजय चौधरी को विधानसभा में विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया है. सुनील प्रभु प्रस्तावक के रूप में बने हुए हैं. वहीं, शिंदे गुट ने शिवसेना पर अपना दावा ठोंकते हुए भरत गोगावले को विधायक दल का नेता नियुक्त किया है. गुट का कहना है कि वो असली शिवसेना हैं, क्योंकि उनके पास 34 विधायक हैं.