भोपाल :आमतौर पर माता रानी को प्रसन्न करने के लिए लोग फूल, तरह-तरह के प्रसाद और चुनरी आदि कई चीजें अर्पित करते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के भोपाल के कोलार में माता रानी का एक ऐसा मंदिर भी है, जहां मुराद लेकर पहुंचने वाले भक्त मैया को प्रसाद के साथ चप्पल, सैंडल और चश्मा तक अर्पित करते हैं. अपनी इस अनोखी परंपरा के लिए कोलार का सिद्धिदात्री पहाड़ा वाली मंदिर प्रसिद्ध है. (Maa Siddhidatri Pahada Wali Maiya) यहां कई लोग विदेश से भी मैया के दर्शन करने हर साल आते हैं.
बेटी रूप में होती है मैया की पूजा:भोपाल के कोलार में एक पहाड़ी पर मां सिद्धिदात्री पहाड़ा वाली मैया विराजमान हैं. मंदिर की स्थापना करीब 30 साल पहले ओम प्रकाश महाराज ने की थी. उस वक्त यह क्षेत्र शहर से बाहर हुआ करता था, लेकिन अब मंदिर के आसपास के इलाकों में घनी आबादी हो गई है. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 300 सीढ़ियां चढ़कर पहाड़ी पर पहुंचना होता है, जहां माता विराजमान हैं. लोग पहाड़ा वाली मंदिर को जीजी बाई मंदिर भी कहते हैं. मंदिर की स्थापना करने वाले पंडित ओम प्रकाश महाराज कहते हैं कि उन्होंने मंदिर की स्थापना के बाद शिव पार्वती का विवाह कराया था. विवाह में उन्होंने पार्वती जी का खुद कन्यादान किया था.
भोपाल को कोलार में मां सिद्धिदात्री का मंदिर मां सिद्धिदात्री को अपनी बेटी मानकर पूजा करते हैं पुजारी: पंडित ओम प्रकाश महाराज मां सिद्धिदात्री को अपनी बेटी मानकर पूजा करते हैं और जिस तरह बेटी के हर शौक पूरे किए जाते हैं, मां सिद्धिदात्री के शौक का भी पूरा ख्याल रखा जाता है. यही वजह है कि वह खुश करने के लिए नई चप्पल, सैंडल, चश्मा, गर्मियों में कैप और घड़ी तक अर्पित करते हैं. नवदुर्गा में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. लोग माता को नई चप्पल, सैंडल, चश्मा भेंट करते हैं. कई भक्त विदेश से मैया को चप्पल चढ़ाने के लिए भी भेजते हैं.
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सालभर चलते हैं धार्मिक कार्यक्रम :मंदिर पर साल भर समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम चलते रहते हैं. पंडित ओम प्रकाश महाराज बताते हैं कि पिछले करीब 25 सालों में मंदिर में 10 लाख से ज्यादा की पोशाक, चप्पल सैंडल लोग अर्पित कर चुके हैं. मंदिर में माता रानी को हर रोज नई पोशाक पहनाई जाती है. सालभर में चढ़ावे के रूप में इकट्ठे होने वाली चप्पल सैंडल को समय-समय पर कन्याओं को बांट दिया जाता है. भोपाल के कोने-कोने से भक्त यहां आते हैं. लोग बताते हैं कि यहां जो कोई पूरी आस्था से आता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है.