पुरी/अहमदाबाद :ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के अलावा चक्रराज सुदर्शन के विशालकाय रथों के साथ शुक्रवार को नौ दिवसीय रथयात्रा उत्सव आरंभ हो गया. इस दौरान लाखों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने 'जय जगन्नाथ' और 'हरिबोल' का उद्घोष किया. घंटे, ढोल, मंजीरे और नगाड़ों की ध्वनि से आकाश गूंज उठा तथा सिंहद्वार के आसपास एकत्र हुए देशभर से आए श्रद्धालुओं ने रथों पर सवार देव प्रतिमाओं के दर्शन किए. जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर अहमदाबाद में भी भगवान जगन्नाथ की 145वीं रथयात्रा शुरू हुई.
पुरी में गत दो साल महामारी के दौरान रथयात्रा उत्सव का आयोजन नहीं हो सका था. रथयात्रा के आयोजन के लिए जिला प्रशासन और ओडिशा पुलिस की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर इस पर्व का आयोजन किया जाता है जिसमें भगवान जगन्नाथ और उनके भाई तथा बहन गुंडिचा मंदिर में नौ दिन के लिए ठहरते हैं.
भगवान विष्णु को समर्पित 12वीं शताब्दी के मंदिर में तय समय से पहले सभी अनुष्ठान किए गए और इस दौरान सेवादारों के बीच उत्साह देखा गया. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि देव प्रतिमाओं को गर्भगृह से रथ तक ले जाने का अनुष्ठान 'पहंडी' सुबह सात बजे ही शुरू हो गया था. मंगला आरती, अवकाश, शाकला धूप और मंगलार्पण भी तय समय से पहले किया गया. पहले 'बड़ा ठाकुर' या भगवान बलभद्र को गर्भगृह से बाहर लाया गया, इसके बाद देवी सुभद्रा फिर भगवान सुदर्शन और उसके बाद भगवान जगन्नाथ को धड़ी पहंडी के तहत रथों पर आसीन किया गया. सभी देव प्रतिमाओं की पहंडी की प्रक्रिया सुबह नौ बजे तक पूरी हुई.
देव प्रतिमाओं को उनके रथों- तालध्वज, दर्पदलन और नंदीघोष पर तय समय से पहले ही आसीन किया गया. परंपरा के अनुसार, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने कुछ शिष्यों के साथ रथों पर देव प्रतिमाओं के दर्शन किए. इसके बाद पुरी के 'राजा' गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने सोने की झाड़ू से रथों का मार्ग साफ करने की रस्म अदा की, जिसके बाद रथों को खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई. रथों की साफ-सफाई की रस्म के बारे में जगन्नाथ संप्रदाय के शोधकर्ता रविनारायण मिश्रा ने कहा, 'इस रस्म का स्पष्ट संदेश है कि भगवान के सामने सभी बराबर हैं.' आसित मोहंती नामक एक अन्य शोधकर्ता ने कहा कि सदियों से यह रस्म समाज को यह संदेश देने के लिए पूरी की जाती है कि जाति, पंथ या किसी अन्य सामाजिक बाधा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.
राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी ने दी बधाई :राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने के अवसर पर लोगों को बधाई दी और सभी के लिए सुख, शांति तथा समृद्धि की कामना की है. राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, 'भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पुनीत अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. मेरी कामना है कि महाप्रभु जगन्नाथ के आशीर्वाद से सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार हो.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, 'रथ यात्रा के खास दिन की बधाई. हम भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करते हैं कि वह अपना आशीर्वाद हम पर हमेशा बनाए रखें. सभी के लिए अच्छे स्वास्थ्य और खुशियों की कामना करता हूं.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के दौरान रथयात्रा के महत्व पर साझा किए विचारों का एक वीडियो भी ट्विटर पर साझा किया.