हैदराबाद : कोरोना की दूसरी लहर 'मौत' की लहर बनती जा रही है. स्थिति पर नियंत्रण लगाने के लिए कई राज्य सरकारों ने आंशिक तौर पर लॉकडाउन की घोषणा कर दी है. इसकी वजह से प्रवासी मजदूरों में चिंता व्याप्त हो गई है. दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक से मजदूरों का पलायन फिर से शुरू हो गया है. हालांकि, इस बार पिछले साल जैसी स्थिति नहीं है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पहले से अलर्ट हैं. राज्य सरकारों ने मजदूरों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया है. रेलवे ने कई रूटों पर मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की घोषणा कर दी है.
केंद्र सरकार ने देश भर में फैले 20 कंट्रोल रूम को फिर से एक्टिव कर दिया है. यहां पर केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर मजदूरों के वेतन संबंधी शिकायतों का निपटारा करती है.
मजदूरों का पलायन
दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात में स्थिति विशेष रूप से खराब है. यहां के बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ देखी जा रही है. नागपुर, पुणे, ठाणे, मुंबई और नासिक से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर घर को जा रहे हैं. लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले ही यहां से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया था.
हालांकि, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लॉकडाउन के दौरान निर्माण क्षेत्र के 12 लाख मजदूरों को 15-15 सौ रुपये की मदद देने की घोषणा की है. लाइसेंसधारी रिक्शा चालकों को भी इतने ही रुपयों की मदद मिलेगी. इसके बावजूद लोगों की चिंताएं कम नहीं हो रहीं हैं.
राजस्थान में श्रमिकों का पलायन रोकाने के लिए समस्त उद्योग एवं निर्माण से संबंधित इकाईयों में कार्य करने की अनुमति दी गई है. बस स्टैण्ड, रेलवे, मेट्रो स्टेशन और हवाईअड्डे से आने जाने वाले व्यक्तियों को यात्रा टिकट दिखाने पर आवागम की अनुमति है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगने से लोगों और मजदूरों में दशहत पैदा किए बिना कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों और इससे संबंधित मौतों में हो रही खतरनाक वृद्धि पर लगाम लगने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूर यहीं पर सुरक्षित रह सकते हैं. यहां पर 15 दिनों का लॉकडाउन लागू है. गहलोत ने कहा कि पिछले वर्ष लगाए गए संपूर्ण लॉकडाउन से मजदूरों का पलयान हुआ था, इसलिए फिर से वैसी स्थिति पैदा न हो इसके लिए सरकार ने संतुलित दिशा-निर्देश बनाए हैं. इसमें प्रतिबंध के साथ-साथ जहां आवश्यकता है वहां छूट भी प्रदान की गई है.
गुजरात से भी पलायन जारी है. सूरत से वापस उत्तर प्रदेश जाने वाले एक मजदूर अमरजीत यादव से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की, उन्होंने बताया कि रात आठ बजे के बाद बाजार बंद हो जाते हैं, लेकिन हमलोगों का कारोबार इसी समय होता है, लिहाजा हमने घर वापस लौटने का निर्णय लिया. ऐसी ही चिंताएं उन मजदूरों में व्याप्त हैं, जो आश्वासन मिलने के बावजूद रूकना नहीं चाहते हैं. पिछले साल का उनका अनुभव बहुत खराब रहा है.
बिहार लौट रहे मजदूर
प्रवासी मजदूर एक बार फिर भारी संख्या में ट्रेनों के जरिए बिहार पहुंचने लगे हैं. बिहार के तमाम छोटे-बड़े स्टेशनों पर ट्रेनों से उतरते मजदूरों की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं. लौट रहे मजदूरों ने अपनी पूरी व्यथा बताई.