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आंखों में बेबसी और जिम्मेदारियों का बोझ लेकर फिर लौटने लगे प्रवासी मजदूर ! - migrant labour

पिछले साल लॉकडाउन के कारण 'रिवर्स माइग्रेशन' जैसी खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो गई थी. किसी को भी अंदाजा नहीं था कि लॉकडाउन से कैसे निपटा जाए. आवागमन के साधन भी नहीं थे. लिहाजा मजदूर पैदल ही अपने घर लौटने लगे थे. इस समय कोरोना की दूसरी लहर चल रही है. पहली लहर के मुकाबले यह अधिक खतरनाक है. कई राज्य सरकारों ने आंशिक लॉकडाउन की घोषणा कर दी है. अब एक बार फिर से बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ दिखने लगी है. दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब से सबसे अधिक पलायन देखने को मिल रहा है. हालांकि इस बार केंद्र और राज्य सरकारें मुस्तैद हैं. क्या है अलग-अलग जगहों पर स्थिति, आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

लौटने लगे प्रवासी मजदूर
लौटने लगे प्रवासी मजदूर

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Published : Apr 21, 2021, 5:03 AM IST

हैदराबाद : कोरोना की दूसरी लहर 'मौत' की लहर बनती जा रही है. स्थिति पर नियंत्रण लगाने के लिए कई राज्य सरकारों ने आंशिक तौर पर लॉकडाउन की घोषणा कर दी है. इसकी वजह से प्रवासी मजदूरों में चिंता व्याप्त हो गई है. दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक से मजदूरों का पलायन फिर से शुरू हो गया है. हालांकि, इस बार पिछले साल जैसी स्थिति नहीं है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें पहले से अलर्ट हैं. राज्य सरकारों ने मजदूरों को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया है. रेलवे ने कई रूटों पर मजदूरों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए अतिरिक्त ट्रेनों की घोषणा कर दी है.

लौटने लगे प्रवासी मजदूर

केंद्र सरकार ने देश भर में फैले 20 कंट्रोल रूम को फिर से एक्टिव कर दिया है. यहां पर केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर मजदूरों के वेतन संबंधी शिकायतों का निपटारा करती है.

मजदूरों का पलायन

दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात में स्थिति विशेष रूप से खराब है. यहां के बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ देखी जा रही है. नागपुर, पुणे, ठाणे, मुंबई और नासिक से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर घर को जा रहे हैं. लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले ही यहां से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया था.

रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूर.

हालांकि, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लॉकडाउन के दौरान निर्माण क्षेत्र के 12 लाख मजदूरों को 15-15 सौ रुपये की मदद देने की घोषणा की है. लाइसेंसधारी रिक्शा चालकों को भी इतने ही रुपयों की मदद मिलेगी. इसके बावजूद लोगों की चिंताएं कम नहीं हो रहीं हैं.

राजस्थान में श्रमिकों का पलायन रोकाने के लिए समस्त उद्योग एवं निर्माण से संबंधित इकाईयों में कार्य करने की अनुमति दी गई है. बस स्टैण्ड, रेलवे, मेट्रो स्टेशन और हवाईअड्डे से आने जाने वाले व्यक्तियों को यात्रा टिकट दिखाने पर आवागम की अनुमति है.

अपने घरों को लौटते प्रवासी मजदूर.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगने से लोगों और मजदूरों में दशहत पैदा किए बिना कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों और इससे संबंधित मौतों में हो रही खतरनाक वृद्धि पर लगाम लगने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूर यहीं पर सुरक्षित रह सकते हैं. यहां पर 15 दिनों का लॉकडाउन लागू है. गहलोत ने कहा कि पिछले वर्ष लगाए गए संपूर्ण लॉकडाउन से मजदूरों का पलयान हुआ था, इसलिए फिर से वैसी स्थिति पैदा न हो इसके लिए सरकार ने संतुलित दिशा-निर्देश बनाए हैं. इसमें प्रतिबंध के साथ-साथ जहां आवश्यकता है वहां छूट भी प्रदान की गई है.

बच्चे समेत घर जाने को मजबूर लोग.

गुजरात से भी पलायन जारी है. सूरत से वापस उत्तर प्रदेश जाने वाले एक मजदूर अमरजीत यादव से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की, उन्होंने बताया कि रात आठ बजे के बाद बाजार बंद हो जाते हैं, लेकिन हमलोगों का कारोबार इसी समय होता है, लिहाजा हमने घर वापस लौटने का निर्णय लिया. ऐसी ही चिंताएं उन मजदूरों में व्याप्त हैं, जो आश्वासन मिलने के बावजूद रूकना नहीं चाहते हैं. पिछले साल का उनका अनुभव बहुत खराब रहा है.

बिहार लौट रहे मजदूर

प्रवासी मजदूर एक बार फिर भारी संख्या में ट्रेनों के जरिए बिहार पहुंचने लगे हैं. बिहार के तमाम छोटे-बड़े स्टेशनों पर ट्रेनों से उतरते मजदूरों की तस्वीरें देखने को मिल रही हैं. लौट रहे मजदूरों ने अपनी पूरी व्यथा बताई.

अपनी बारी का इंतजार करते श्रमिक.

'मुंबई में काम करते थे. कल कारखाना बंद हो गया इसलिए वापस लौट आए हैं. कपड़े के दुकान में काम करते थे अब दुकान बंद है तो क्या करेंगे. लौटना ही पड़ेगा ना नहीं तो खाएंगे क्या.'- दुर्गानंद, महाराष्ट्र से लौटे प्रवासी

रोजगार कम हो गया था, और घर में शादी थी तो वापस आ गए हैं. जैसे ही कोरोना के मामलों में कमी आएगी, फिर काम की तालाश में मुंबई जाना ही पड़ेगा.- देवेंद्र कुमार, प्रवासी

कोरोना ने एक बार फिर रुलायाबिहार जाने वाली ट्रेनें खचाखच भरी हुई चल रही हैं. हालत यह है कि कोचों में बैठने की जगह नहीं मिल रही है. फिर भी लोग वापस लौट रहे हैं. सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी उड़ाई जा रही है. ऐसे हालात में प्रशासनिक इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं. हालांकि प्रशासन की ओर से तमाम तैयारियों का दावा किया जा रहा है. लेकिन दावों की सच्चाई तस्वीरें बयां करने के लिए काफी है.

पूछताछ करते लोग.

'स्टेशन में गाइडलाइन का पालन हो रहा है. लेकिन फिर भी कुछ लोग नियम का पालन नहीं करते हैं उन सब पर हमारी नजर है'.- शंभु शाह, एएसआई

महाराष्ट्र से आने वाली ट्रेनों में बड़ी तादद में प्रवासी किशनगंज रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं. किशनगंज रेलवे स्टेशन में महाराष्ट्र से आने वाले सभी ट्रेनों में सवार प्रवासियों का स्टेशन परिसर में ही कोरोना जांच की व्यवस्था की गई है.

पूरे मामले पर फिर से शुरू हुई राजनीति

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रवासी मजदूर एक बार फिर पलायन कर रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि उनके बैंक खातों में रुपए डाले जाएं. लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के लिए जनता को दोष देने वाली सरकार क्या ऐसा जन सहायक क़दम उठाएगी ?

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी केंद्र सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी की भयावहता देखकर यह तो स्पष्ट था कि सरकार को लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़ेंगे, लेकिन प्रवासी श्रमिकों को एक बार फिर उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. क्या यही आपकी योजना है ? नीतियां ऐसी हों, जो सबका ख्याल रखे.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर ठीक से प्रबंधन नहीं करने का आरोप लगाया है.

केजरीवाल के आरोपों का उत्तर प्रदेश के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने खुद लॉकडाउन का फैसला जल्दीबाजी में उठाया है. दिल्ली सरकार ने प्रवासी मजदूरों को बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया. अब उनकी मदद यूपी सरकार कर रही है.

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