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मोहल्ले का गुंडा कैसे बन गया यूपी का कुख्यात अपराधी, बड़ी दिलचस्प है अनिल दुजाना की कहानी

मेरठ में यूपी के कुख्यात अपराधी अनिल दुजाना का यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर कर दिया. चलिए जानते हैं कि आखिर मोहल्ले का एक मामूली गुंडा कैसे यूपी का कुख्यात गैंगस्टर बना.

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Published : May 4, 2023, 4:41 PM IST

लखनऊ: जो दर्जनों पुलिस फोर्स के बीच बुलेट प्रूफ जैकेट पहनता था, जिसके हाथों में हथकड़ी होती थी वो शख्स कोई और नही बल्कि अपराध की दुनिया में हाफ सेंचुरी लगा चुका गैंगेस्टर अनिल दुजाना था. गुरुवार को 25 वर्ष की पूरी हुई यूपी एसटीएफ ने बीते 21 साल से अपराध की दुनिया में अलग मुकाम स्थापित कर चुके अनिल दुजाना को एनकाउंटर में ढेर कर दिया. आइए जानते है कि कैसे मुकदमों की हाफ सेंचुरी लगा चुका अनिल दुजाना उर्फ अनिल नागर बना कुख्यात अपराधी और देखते देखते साइकिल चोरी के पहले मुकदमे से हत्या, लूट और अपहरण के 60 से अधिक मुकदमे उस पर दर्ज हो गए.

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में बादलपुर इलाके का दुजना गांव का एक सीधा साधा लड़का अनिल नागर की असल कहानी शुरू 2002 से होती है. जब उसके उसके खिलाफ गांव के महेन्द्र राठी ने साइकिल चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके बाद एक के बाद एक खौफनाक घटनाओं को अंजाम देते हुए उसने अपने ऊपर 18 मर्डर समेत 60 से ज्यादा अपराधिक मुकदमों की फेहरिस्त दर्ज करा दी थी.

अनिल नागर उर्फ अनिल दुजाना ऐसे ही जरायम की दुनिया का बादशाह और दिल्ली हरियाणा और यूपी पुलिस का मोस्ट वांटेड अपराधी नही बना था. महज एक चोरी के मुकदमे से 18 मर्डर समेत रंगदारी, लूटपाट, जमीन पर कब्जा, कब्जा छुड़वाना और आर्म्स एक्ट समेत 60 से भी अधिक मुकदमों का कुख्यात गैंगस्टर बना अनिल दुजना का इतिहास जानना हो तो सबसे पहले दुजाना गांव के बारे में जानना होगा. उस गांव के बारे में जानना होगा जिस गांव की मिट्टी में एक मासूम सा अनिल नागर गैंगस्टर अनिल दुजाना बना था.

यूपी के गौतमबुद्ध नगर में बादलपुर थाना क्षेत्र है और इसी इलाके के दुजाना गांव में एक कुख्यात अपराधी सुंदर नागर उर्फ़ सुंदर डाकू हुआ करता था. 70 के दशक में सुंदर का दिल्ली तक खौफ था. कहा जाता है सुंदर डाकू ने अपने सनकी मिजाज के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी हत्या की धमकी दी थी. हालांकि कई बार गिरफ्तार होने के बाद अंत में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में सुंदर दुजाना को मार गिराया गया था.

सुंदर डाकू की मौत के बाद सालों इस गांव की आबोहवा शांत रही लेकिन तब तक अनिल नागर का जन्म हो चुका था. अनिल नागर की जैसे जैसे उम्र बढ़ रही थी, वैसे-वैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मिट्टी रक्तरंजित हो रही थी. आपसी रंजिश के चलते साइकिल चोरी के आरोप में अनिल जेल गया तो जेल के अंदर ही उसने अपना नाम के आगे से नागर को हटा दिया. अब उसे जरायम की दुनिया का सबसे बड़ा गैंगेस्टर बनना था, इसलिए उसने सुंदर दुजाना की ही तरह अपने गांव का नाम सरनेम में जोड़ लिया. जेल से निकलने के बाद अनिल दुजाना के पास कोई भी मदद के लिए आता और किसी भी व्यक्ति से अपनी जान का खतरा बताता तो दुजाना उसकी हत्या कर देता था. एनसीआर समेत पश्चिमी यूपी में जमीन पर कब्जा करना, कब्जा छुड़वाना, लूट करना और रंगदारी मांगना, अब हर तरह के अपराध में अनिल दूजाना माहिर हो चुका था. अनिल की उम्र के बढ़ने के साथ-साथ पश्चिमी यूपी में गैंगवार भी उफान पर थी. गैंगवार की शुरुआत महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर की आपसी अदावत से हुई थी. इसी बीच सतबीर गैंग के ही दो जिगरी दोस्तों के बीच जंग छिड़ गयी. कभी एक दूसरे पर जान छिड़कने वाले नरेश भाटी और सुंदर भाटी एक दूसरे के खून के प्यासे चुके थे.

कहा जाता है कि साल 2002 में आपसी रंजिश के चलते साइकिल चोरी के इल्जाम में जब अनिल नागर जेल गया तो उसने अब अपना भविष्य जरायम की दुनिया में लिखना तय कर लिया था. अनिल पैसे लेकर जमीन में कब्जा दिलाने और लूट की घटनाओं को अंजाम देने लगा लेकिन इस दौरान अनिल की दबंग छवि ने पश्चिमी यूपी के एक और गैंगेस्टर नरेश राठी के संपर्क मे ला दिया और उसके एक काम ने उसे बना दिया पश्चिमी यूपी में अपराध की दुनिया का आका.


सुंदर भाटी की हत्या के लिए दुजाना ने चलाई थी AK47
अनिल दुजना कैसे गैंगेस्टर नरेश भाटी के गैंग का भरोसेमंद शार्पशूटर बन गया इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है. दरअसल, साल 2004 को जिस नरेश भाटी को माफिया सुंदर भाटिया ने भारी सुरक्षा के बावजूद मौत के घाट उतार दिया था, उसी नरेश के छोटे भाई रणदीप ने सुंदर भाटी की हत्या करने की कसम खा ली थी. रणदीप की कसम पूरी करने को अमलीजामा पहनाने के लिए आगे आया उसका मामा अमित कसाना. उस वक़्त अनिल दुजाना अमित कसाना का जिगरी यार हुआ करता था. इस वजह से अमित ने अनिल दुजाना को भी अपने साथ ले लिया. नवंबर 2011 को सुंदर भाटी को मारने के लिए तीनों ने गाजियाबाद के साहिबाबाद में होने वाली सुंदर भाटी के साले की शादी चुनी. मकसद था रणदीप का बदला चुकाना और लोगों के सामने हत्या कर अपनी दहशत कायम करना. रणदीप, कसाना और दुजाना ने 18 अक्टूबर 2011 को गैंगस्टर सुंदर भाटी पर एके-47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई, लेकिन भाटी बच निकला लेकिन इस घटना में तीन लोग मारे गए.

जेल से जरायम की दुनिया का बनने लगा बादशाह
इस तिहरे हत्याकांड के बाद पुलिस ने अनिल दुजाना को गिरफ्तार कर लिया हालांकि उसकी गिरफ्तारी सुंदर भाटी की हत्या के मामले में नही बल्कि एक प्रधान की हत्या के मामले में हुई थी. दरअसल, 22 नवंबर 2011 को खेड़ीगांव के प्रधान जयचंद को गोलियों से भून दिया गया था और इस हत्याकांड में अनिल दुजाना नामजद आरोपी था लेकिन जिस मकसद से अनिल दुजाना ने सुंदर भाटी पर ak47 से गोलियों की शादी में बौछार की थी वो अब तक पूरा नही हुआ था. जरायम की दुनिया में छा जाने का सपना अब वो जेल से पूरा करने लगा और वहीं से गैंग को ऑपरेट करना शुरू किया


भाई की हत्या के बाद दुजाना ने मुन्ना बजरंगी को दी भाटी की सुपारी
अनिल दुजाना जेल से अपना गैंग ऑपरेट कर रहा था. जेल के बाहर सुंदर भाटी और दुजाना गैंग के बीच गैंगवार चल रही थी और इसी बीच साल 2014 को अनिल के छोटे भाई जय भगवान की उसके सीने में 10 गोलियां दाग कर हत्या कर दी गयी. आरोप लगा कि सुंदर भाटी के गैंग ने जय भगवान की हत्या की है बस क्या था पश्चिमी यूपी गोलियों से थर्रा उठा. भाटी दूजाना गैंग के बीच गैंगवार बढ़ गयी.. अब सुंदर भाटी और अनिल दुजाना किसी भी कीमत में एक दूसरे को मारना चाहते थे. इस वजह से अनिल दुजाना ने पूर्वांचल के गैंगेस्टर मुन्ना बजरंगी को जेल में बंद सुंदर भाटी की हत्या करने की एक करोड़ की सुपारी दे डाली.दिल्ली में पेशी के दौरान सुंदर को मारने की योजना बनी लेकिन बजरंगी के गुर्गे उसे मार नही सके लेकिन दूजाना के गैंग ने सुंदर के सबसे खास राहुल की हत्या कर दी.


राजनीति में भी दुजाना अजमा चुका है किस्मत
जरायम की दुनिया में एक अलग मुकाम पाने की चाहत के साथ अनिल दुजाना ने राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाने की ख्वाहिश पाल साल 2016 के पंचायत चुनाव में जेल के अंदर से ही चुनाव लड़ा था. बुलेटप्रूफ जैकेट पहन प्रचार कर रहे विरोधी प्रत्याशी संग्राम को 10 हजार वोटों से मात दे दी थी. बताया जाता था कि प्रचार के दौरान अनिल के विरोधी प्रत्याशी संग्राम के साथ 30 पुलिसकर्मियों की भारीभरकम फौज चलती थी.


दुजाना के खिलाफ बुलेट प्रूफ जैकेट पहन विपक्षी कर रहा था प्रचार
दुजाना गांव के चोरी की घटना से 18 हत्याओं को अंजाम देने वाला अनिल दूजाना ने अपने खौफ से पश्चिमी यूपी में सिक्का जमा लिया था. आम से लेकर खास तक के दिल में दुजाना नाम के दहशत घर कर चुकी थी. जेल में बंद रहने के बाद भी दुजाना की तूती बोलती थी ऐसे में उसने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया. दुजाना ने जेल से पर्चा भरा उसके खिलाफ भी कई महारथी चुनाव की मंशा पाले हुए थे लेकिन दुजाना गैंग की दहशत से पीछे हट गए. इन्ही के बीच ग्राम सिंह ने अचानक अनिल दुजाना के खिलाफ पर्चा दाखिल कर दिया. जेल के अंदर रहने के बाद भी अनिल दुजाना की दहशत इस कदर थी कि संग्राम बुलेटप्रूफ़ जैकेट पहन 30 पीएसी जवानों के साथ चुनाव प्रचार में निकलता था. हालांकि परिणाम दुजाना के पक्ष में आये और वो 10 हजार वोटों से जीत गया.

कोर्ट में पेशी के दौरान गैंगस्टर दुजाना ने की थी सगाई
अनिल दुजाना की अपराध की कहानियां जितनी रोचक है उतनी ही उसकी सगाई और शादी के किस्से भी कम रोचक नही है. बागपत की रहने वाली पूजा से साल 2019 को अनिल दुजना ने पेशी के दौरान कोर्ट में ही अंगूठी पहना कर सगाई कर ली थी. यही नही साल 2021 को जैसे ही दूजाना जेल से जमानत पर रिहा हुआ उसने शादी भी कर ली थी. कहा जाता है कि जिस पूजा से अनिल दुजाना ने शादी की थी उसके पिता लीलू का बागपत के ही राजकुमार से 40 बीघा ज़मीन को लेकर सालों से विवाद चल रहा था. राजकुमार ने अपनी दो बेटियों की शादी कुख्यात अपराधी हरेंद्र खड़खड़ी और उसके भाई से कर दी थी. जिसके बाद राजकुमार के मुकाबले पलड़ा कमजोर न हो जाए, इसलिए पूजा के पिता ने अपनी बेटी के लिए हरेंद्र से भी बड़े अपराधी अनिल दुजाना से उसकी शादी फिक्स कर दी. अब अनिल दूजाना जेल में बंद था और तो शादी कैसे हो इसको लेकर चर्चा गर्म होने लगी. अनिल दूजाना ने 16 फरवरी 2019 की तारीख सगाई के लिए मुक़र्रर की. इस दिन दुजना कोर्ट में पेशी के लिए महराजगंज जेल से गौतमबुद्ध नगर जिला जेल पहुंचा और पेशी के लिए पेश हुआ वहीं बागपट की पूजा भी दुल्हन की तरह तैयार होकर कोर्ट पहुंची और दोनो ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई और सगाई कर ली वहीं, दो साल बाद 2021 को जमानत में जेल से बाहर आने के बाद उसने पूजा से शादी कर की.


आखिरकार वर्ष 2021 को दुजाना जमानत पर जेल से बाहर आ गया लेकिन पुराने मामलों को लेकर कोर्ट ने उसके खिलाफ NBW जारी कर दिया था यही नही उसके ऊपर यूपी पुलिस ने 75 हजार का इनाम भी घोषित कर रखा था. अनिल दुजाना जेल से बाहर यह सोच कर आया था कि वो एक बार फिर यूपी में अपनी दहशत कायम कर सकेगा लेकिन उस दौरान सूबे में जरायम की दुनिया के एक से एक बादशाह एनकाउंटर में मारे जा रहे थे. एक ओर दुजाना को जान का डर था दूसरी ओर उसे अपने खासमखास राहुल सिंह नागर की हत्या का बदला भी लेना था जिसकी हत्या सुंदर भाटी के गुर्गों ने दिल्ली के एक बिजनेसमैन की मदद से की थी. अनिल दुजाना उसी बिजनेसमैन की हत्या करने दिल्ली के मंडावली पहुंचा था. 7 जनवरी 2022 को दिल्ली की क्राइम ब्रांच से उसे उसके 2 साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया. हालांकि कुछ लोग ये भी कहते है कि दुजाना ने एनकाउंटर के डर से साठगांठ कर दिल्ली में खुद की गिरफ्तारी करवाई थी.

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