पटना:केंद्र की सत्ता में काबिज नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियां गोलबंद हो रही हैं. विपक्षी एकता की पहली बैठक राजधानी पटना में आयोजित की जा रही है. इसकी खास बात यह है कि जिस दिन बैठक का आयोजन होना है, उस दिन यानी 12 जून को देश पर इमरजेंसी थोपी गई थी और कांग्रेस विरोधी पार्टियां इस दिन को लोकतंत्र के काला अध्याय के रूप में मानाती है. इस लिहाज से जून महीने को भारत की राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ऐसे में इस दिन बैठक से कांग्रेस कितनी सहज रहेगी, इस पर चर्चा शुरू है.
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नीतीश कुमार ने सभी विपक्षी दलों को दिया है न्योता: एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम में जुटे हैं. इस क्रम में नीतीश कुमार की मुलाकात राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मलिक्कार्जुन खरगे, शरद पवार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे और नवीन पटनायक सरीखे नेताओं से हो चुकी है. नीतीश कुमार ने तमाम नेताओं से मुलाकात कर उन्हें बैठक में आने का न्योता भी दिया है. वहीं दूसरी तरफ 12 जून को राजधानी पटना के ज्ञान भवन में महागठबंधन के घटक दलों की बैठक होनी है और इसमें कांग्रेस भी शामिल होगी.
इस बैठक में क्या सहज रहेगी कांग्रेस: अब ऐसे में इस बैठक को लेकर कई तरह के कई तरह के सवाल सुगबुगाने लगे हैं. यह बैठक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ तमाम भाजपा विरोधी विपक्षी पार्टियों की है और इसमें कांग्रेस भी शामिल है. ऐसे में बैठक के लिए 12 जून की तिथि तय करने के क्या मायने हो सकते हैं. इस पर जेपी आंदोलन पर पैनी नजर रखने वाले बुद्धिजीवी प्रेम कुमार मणि का विचार एकदम अलग है. उन्होंने कहा कि 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी पर फैसला आया था. इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
कांग्रेस विरोधी औजार से बीजेपी का विरोध: प्रेम कुमार मणि ने कहा कि 12 जून को ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जगमोहन लाल सिन्हा ने फैसला सुनाया था. इसके बाद ही 25 जून 1975 को इमरजेंसी थोपी गई थी. क्या उस इमरजेंसी के दौर को ये लोग इस दिन बैठक कर याद दिलाना चाहते हैं. वहीं इस बैठक के प्रस्तावक जो तथाकथित सोशलिस्ट लोग हैं. वोलोग चाहते हैं कि वही कांग्रेस विरोधी औजार और कांग्रेस विरोधी तौर-तरीके अपना कर भाजपा के साथ मुकाबला करें.
"12 जून 1975 को इंदिरा गांधी पर फैसला आया था. इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. इसके बाद ही 25 जून 1975 को इमरजेंसी थोपी गई थी. क्या उस इमरजेंसी के दौर को ये लोग इस दिन बैठक कर याद दिलाना चाहते हैं. वहीं इस बैठक के प्रस्तावक जो तथाकथित सोशलिस्ट लोग हैं. वोलोग चाहते हैं कि वही कांग्रेस विरोधी औजार और कांग्रेस विरोधी तौर-तरीके अपना कर भाजपा के साथ मुकाबला करें" - प्रेम कुमार मणि, बुद्धिजीवी
क्या संदेश देना चाहता है महागठबंधन: प्रेम कुमार मणि का मानना है कि 12 जून की तारीख का ऐलान कर महागठबंधन नेता क्या संदेश देना चाहते हैं. यह मेरे समझ से परे है. वह भाजपा से लड़ना चाहते हैं या फिर कांग्रेस से. कांग्रेस के लोगों ने इसे कैसे स्वीकार कर लिया, या तो कांग्रेस बहुत होशियार या नासमझ. भाजपा विधानमंडल दल के नेता विजय सिन्हा ने कहा है कि जो लोग जयप्रकाश नारायण के रास्ते पर चलने की बात कहते हैं. उन्होंने जेपी से गद्दारी की है. जेपी को धोखा दिया है. कांग्रेस के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करने वाले जेपी के नाम पर बैठक कर रहे हैं, लेकिन इन लोगों ने कांग्रेस से ही हाथ मिला लिया है.
जेडीयू ने जेपी से की नीतीश कुमार की तुलना: इधर जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी कहा कि नीतीश कुमार पीएम के उम्मीदवार नहीं, विपक्ष की आवाज हैं. इमरजेंसी की दौर में लोकनायक जयप्रकाश क्या थे विपक्ष की आवाज थे. उसी भूमिका में नीतीश कुमार हैं. 2024 के चुनाव में आपको विपक्षी एकता का असर देखने को मिलेगा. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता असीत नाथ तिवारी ने कहा है कि लंबे समय से बैठक को लेकर चर्चा चल रही थी. कोई तारीख या महीना किसी घटना से जुड़ जाए तो उसके पीछे कोई राजनीतिक वजह तलाशने की जरूरत नहीं है.
"नीतीश कुमार पीएम के उम्मीदवार नहीं, विपक्ष की आवाज हैं. इमरजेंसी की दौर में लोकनायक जयप्रकाश क्या थे विपक्ष की आवाज थे. उसी भूमिका में नीतीश कुमार हैं"-नीरज कुमार, प्रवक्ता, जेडीयू
12 जून को ही हुई थी आपातकाल की घोषणा: 12 जून की तारीख इतिहास के पन्नों में भी दर्ज है. इसी दिन 1975 को स्वर्गीय इंदिरा गांधी के फैसले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. आपको बता दें कि राजनारायण ने इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने अपनी याचिका में इंदिरा गांधी पर चुनाव में धांधली और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया था. उनका आरोप था कि इंदिरा गांधी ने गलत तरीके अपनाकर चुनाव में जीत हासिल की है.
"लंबे समय से बैठक को लेकर चर्चा चल रही थी. कोई तारीख या महीना किसी घटना से जुड़ जाए तो उसके पीछे कोई राजनीतिक वजह तलाशने की जरूरत नहीं है"-असीत नाथ तिवारी, प्रवक्ता, कांग्रेस
इसी दिन कांग्रेस के खिलाफ जेपी ने तेज किया था आंदोलन: 12 जून एक और भी एक महत्वपूर्ण कार्य के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज है. जेपी आंदोलन का चौथा चरण चल रहा था और 12 जून को ही जेपी ने छात्र संघर्ष समिति से विधानसभा के समक्ष आंदोलन करने को कहा था. साथ ही सभी गैर कांग्रेस विधायकों से इस्तीफा देने को कहा था अर्थात केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ आंदोलन और तीव्र किए गए थे.
"जो लोग जयप्रकाश नारायण के रास्ते पर चलने की बात कहते हैं. उन्होंने जेपी से गद्दारी की है. जेपी को धोखा दिया है. कांग्रेस के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करने वाले जेपी के नाम पर बैठक कर रहे हैं, लेकिन इन लोगों ने कांग्रेस से ही हाथ मिला लिया है"-विजय सिन्हा, नेता प्रतिपक्ष