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हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से लेकर स्पूत्निक-वी, जानिए क्यों दुनिया में चर्चित हुआ हिमाचल का बीबीएन एरिया

कोरोना महामारी के मुश्किल दौर में हिमाचल का बीबीएन एरिया चर्चा में बना हुआ है. यहां सालाना हजार करोड़ रुपये से अधिक की दवाएं बनती हैं. हिमाचल में करीब 700 दवा उद्योग स्थापित हैं. पेनेशिया बॉयोटेक में ही स्पूत्निक-वी का निर्माण होगा. इससे पूर्व को-वैक्सीन के निर्माण को लेकर भी यही कंपनी सक्रिय हुई है. डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी में रेमडेसिविर इंजेक्शन भी तैयार किया जाता रहा है. बद्दी में सिंगल विंडो क्लियरिंग एजेंसी ऑफिस खुलने से यहां 5 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाले उद्यमियों को उद्योग शुरू करने के लिए मंजूरी आसानी से मिल जाती है.

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Published : May 28, 2021, 9:59 PM IST

शिमला : दुनिया में जिस समय वैश्विक महामारी कोरोना का संकटपूर्ण दौर आया, सबसे पहले चर्चा में आने वाला शब्द हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन था. इन दिनों देश-दुनिया में एक और शब्द की चर्चा है. ये नाम स्पूत्निक-वी का है. रूस की इस वैक्सीन का उत्पादन हिमाचल में शुरू होना प्रस्तावित है.

इस तरह वैश्विक महामारी कोरोना के कठिन समय में हिमाचल का एक खास एरिया लगातार चर्चा में बना हुआ है. इस इलाके का नाम बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ है. इसे शॉर्ट में बीबीएन कहते हैं. बीबीएन एशिया का फार्मा हब है. यहां सालाना 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक की दवाएं बनती हैं.

देश में सालाना 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का फार्मा कारोबार है. इसका बड़ा हिस्सा हिमाचल के सोलन जिला के बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ में तैयार होता है. पिछले साल यहां से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों को भेजी गई. अकेले अमेरिका को 50 लाख टैबलेट भेजी गई थीं. रेमडिसिवर इंजेक्शन भी यहीं की कंपनी डॉ. रेड्डीज लैब में तैयार होता है.

को-वैक्सीन के बाद अब स्पूत्निक टीके के उत्पादन के कारण बीबीएन सुर्खियों में है. इसके लिए पेनेशिया बॉयोटेक का नाम सुखियां बटोर रहा है. ये कंपनी भी बद्दी में है. आखिर क्या है बीबीएन की खासियत और क्यों इसे एशिया का फार्मा हब कहते हैं, इन जिज्ञासाओं का शमन करने के लिए आगे की खबर पढ़ना जरूरी है.

अमेरिका तक को दी गई यहां से दवा

दुनिया भर में जितनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन तैयार होती है, उसका सत्तर फीसदी भारत में बनता है. देश में भी अधिकांश हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बीबीएन में बनती है. अमेरिका को भी यहीं से सप्लाई की गई थी. कोरोना की पहली लहर में उक्त दवा के लिए दुनिया की नजरें भारत पर थीं.

देश में मिलने वाली हर तीसरी दवा का निर्माण बीबीएन में होता है. हिमाचल में करीब 700 दवा उद्योग स्थापित हैं. जिनमें से 200 से ज्यादा ईयू से, इतने ही डब्ल्यूएचओ व जीएमपी से तथा अन्य इकाइयां यूएसएफडीए से मंजूर हैं. यदि यहां और अधिक फार्मा इकाइयों को लाइसेंस मिल जाए तो देश भर की दवाइयों की जरूरत अकेले बीबीएन पूरी कर सकता है.

हिमाचल में मात्र चार से पांच फीसदी दवा निर्माताओं के पास क्लोरोक्वीन व एंटीबॉयोटिक एजिथ्रोमाइसिन टैबलेट का लाइसेंस है. यदि प्रदेश के हर फार्मा उत्पादक को लाइसेंस मिल जाता है तो पूरे देश के लिए यह दवा यहां से उपलब्ध करवाई जा सकती है. कैडिला कंपनी सहित तीस अन्य कंपनियां हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बनाती हैं.

शांत वातावरण में खिल रहा फार्मा कारोबार

हिमाचल के सोलन जिला का बीबीएन इलाका तीन क्षेत्रों को मिलाकर बना है. बद्दी-बरोटीवाला और नालागढ़. बीबीएन की अहमियत का पता इस बात से चलता है कि यहां के लिए अलग से पुलिस का एसपी तैनात है. इसे पुलिस जिला बनाया गया है. वैसे तो ये विशाल इंडस्ट्रियल एरिया है, लेकिन इसकी पहचान एशिया का फार्मा हब के तौर पर है.

कोरोना के समय में इस एरिया की अहमियत और भी बढ़ी है. विप्रो, कोलगेट-पामोलिव, डाबर, सिप्ला, रैनबेक्सी, टौरेक्स फार्मा और कैडिला सहित पेनेशिया बॉयोटेक यहीं पर काम कर रही हैं. पेनेशिया बॉयोटेक में ही स्पूत्निक-वी का निर्माण होगा. इससे पूर्व को-वैक्सीन के निर्माण को लेकर भी यही कंपनी सक्रिय हुई है. डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी में रेमडेसिविर इंजेक्शन भी तैयार किया जाता रहा है.

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अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर कानून-व्यवस्था

देश-दुनिया की विभिन्न प्रतिष्ठित दवा कंपनियां हिमाचल के इस शांत वातावरण में निर्भय होकर से कारोबार कर रही हैं. श्रमिक हड़ताल को लेकर कहीं से कोई खबर नहीं सुनाई देती. दिन भर काम-काज की भागम-भाग के बाद उद्यमियों, फैक्ट्री प्रबंधकों, अधिकारियों व कर्मियों को गपशप लगाते आराम से घर जाते देखा जा सकता है. देश के अन्य राज्यों के मुकाबले कानून-व्यवस्था की बेहतर स्थिति के कारण यहां उद्योग-धंधा खूब फल-फूल रहा है.

देश में सालाना 75 हजार करोड़ के दवा उद्योग का अधिकांश कारोबार अकेले इसी औद्योगिक क्षेत्र में है. बद्दी तो दवा उद्योग के बादशाह के रूप में पहचान बना ही चुका है, साथ लगते औद्योगिक क्षेत्र बरोटीवाला व नालागढ़ में पैकेजिंग यूनिट्स, स्पिनिंग मिल्स व इंजीनियरिंग सहित कल-पुर्जों के कारखाने मौजूद हैं.

ऐसा है माहौल बीबीएन का

राजधानी शिमला से चलें तो परवाणू बैरियर पार करते ही हरियाणा की सीमा शुरू हो जाती है. यहां पुराने शहर कालका से एक संपर्क मार्ग बद्दी के लिए मुड़ता है. पूर्व में हिमाचल को विशेष औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद से यहां निवेश बढ़ा तो हरियाणा सरकार ने मुंह बना लिया था. खैर, बाद के समय में दोनों पड़ोसी राज्यों में कई विवाद सुलझे.

बद्दी पहुंचने पर नामी कंपनियों की बड़ी इमारतें दूर से ही दिखाई देती हैं. रिहाइश के लिए सन सिटी ने आधुनिक सुविधाओं से युक्त फ्लैट बनाए हैं. महिला व पुरुष कामगारों के लिए हॉस्टल की सुविधा है. लगभग सभी फार्मा कंपनियां एक कतार में खड़ी हैं. बड़ी बात ये है कि व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के अलावा इनमें कोई दूरी नहीं है.

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उद्योग शुरू करने के लिए आसानी से मिलती है मंजूरी

उद्यमियों की सुविधा के लिए हिमाचल सरकार ने बद्दी में सिंगल विंडो क्लियरिंग एजेंसी ऑफिस खोला है. यदि कोई निवेशक पांच करोड़ रुपए तक की मशीनरी का प्लांट लगाता है तो उसे कहीं भटकने की जरूरत नहीं है. मंजूरी से संबंधित सभी औपचारिकताएं इसी कार्यालय से पूरी हो जाती हैं. इससे ऊपर की मशीनरी लागत वाली इकाइयां मुख्य कार्यालय शिमला से मंजूर होती हैं. प्लांट व मशीनरी पर पचास फीसदी उपदान यानी सब्सिडी मिलती है. इसके अलावा सेंट्रल ट्रांसपोर्ट सब्सिडी की सुविधा है. प्लांट व भूमि नो प्रॉफिट-नो लॉस के आधार पर उपलब्ध है.

विशेष औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद हिमाचल में बढ़ा निवेश

बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ इंडस्ट्रीज एरिया के लिए खास औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद से हिमाचल में निवेश तेजी से बढ़ा. यहां देश के अन्य राज्यों की तरह ट्रेड यूनियन के अनुचित लफड़े नहीं हैं. बड़ी बात ये है कि उद्योग की सबसे अहम जरूरत के तौर पर बिजली आपूर्ति ठीक है.

बद्दी में अंबेलिक चौक के पास कोलगेट-पामोलिव कंपनी है. यहां उत्तर प्रदेश से भी कई श्रमिक काम करते हैं. ठेकेदार लेबर की सप्लाई सुनिश्चित करते हैं. इसी तरह कैडिला, सिप्ला, डाबर आदि कंपनियों में सैंकड़ों श्रमिक काम करते हैं.

दो सौ से अधिक प्रमुश कंपनियां सक्रिय

बीबीएन (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़) में फार्मा इंडस्ट्री के मुख्य घटक फार्मूलेशन का काम होता है. दो सौ से अधिक प्रमुख कंपनियां यहां सक्रिय हैं. नामी निजी बैंकों की शाखाएं यहां चल रही हैं. इनमें एचडीएफसी, सिडबी, एक्सिस बैंक, येस बैंक, आईसीआईसीआई, आईडीबीआई, इंडसइंड बैंक प्रमुख हैं. यहां सालाना पांच लाख करोड़ का कारोबार होता है. इस क्षेत्र के विकास के लिए बीबीएन विकास प्राधिकरण की स्थापना की गई है.

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हिमाचल में उद्योग

हिमाचल में कुल 45 हजार से अधिक लघु, मध्यम व बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें से 37 हजार से अधिक लघु इकाइयां हैं. हिमाचल को वर्ष 2003 में विशेष औद्योगिक पैकेज मिला था. शुरू में यह दस साल की अवधि के लिए था, लेकिन इसकी अवधि बाद में 2007 तक की गई और फिर 2010 में इसे समाप्त कर दिया गया.

प्रदेश सरकार यहां फार्मा सेक्टर को हरसंभव सहायता कर रही है. हिमाचल के उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर का कहना है कि कोरोना काल में बीबीएन की अहमियत निखर कर सामने आई है. यहां बन रही दवाइयों की सप्लाई देश-दुनिया में होती है. सरकार इस सेक्टर को हर संभव सहयोग दे रही है.

वैक्सीन उत्पादन में सरकार कंपनियों का करेगी सहयोग

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि स्पूत्निक-वी वैक्सीन के उत्पादन के लिए पनेशिया बॉयोटेक को सभी तरह से सहयोग दिया जाएगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार ऊना में बल्क ड्रग पार्क योजना सिरे चढ़ने पर हिमाचल दुनिया में फार्मा सेक्टर का बादशाह बन जाएगा. बद्दी में एशिया का फार्मा हब होने के कारण दवाइयों पर भारत की विदेशों पर निर्भरता बहुत कम है.

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