नई दिल्ली : सूचना का अधिकार कानून के लिए कई दशकों तक लड़ाई चली. इस दौरान कई एक्टिविस्टों की जान तक चली गई. लेकिन शुक्रवार को सूचना के अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी टिप्पणी कर दी, जिसे लेकर बहस तेज हो गई है. कोर्ट ने कहा कि आरटीआई के तहत मिलने वाली सूचनाओं पर बहुत अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता है. कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इस बयान से सहमति जताई है.
आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक अग्रवाल ने ईटीवी भारत से कहा कि कई बार आरटीआई का दुरुपयोग होता है. वहीं दूसरी ओर आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद का कहना है कि कई बार यह देखा गया है कि संबंधित अधिकारी पर्याप्त जानकारी देने से बचते हैं.
अशोक अग्रवाल ने कहा कि इस कानून के जरिए भ्रष्टाचार को उजागर करना प्रमुख उद्देश्य रहा है. लेकिन यह भी देखने को मिला है कि बहुत सारे आरटीआई एक्टिविस्ट ने माफिया के खिलाफ आरटीआई लगाई, उसके बाद उन एक्टिविस्टों को मौत के घाट उतार दिया गया. कई बार यह भी देखने को मिला है कि आरटीआई एक्टिविस्ट ने दूसरों को प्रताड़ित करने के लिए भी आरटीआई का सहारा लिया है.
आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद का कहना है कि आरटीआई में जानकारी मांगने पर अधिकारी कई बार सूचना या तो छुपाते हैं या फिर देने से कतराते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी आरटीआई एक्टिविस्ट को केवल पीआईओ के द्वारा दिए गए जवाब पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर न्याय चाहिए तो सही जानकारी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. आरटीआई कानून के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि अब तक सौ से अधिक एक्टिविस्ट की जान जा चुकी है.