कोरबा: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के पानी को लेकर विवाद की मुख्य वजह ओडिशा के हीराकुंड बांध को माना जाता है. केंद्र सरकार ने संबलपुर में हीराकुंड बांध बनाया. बाद में ओडिशा सरकार को सौंपा गया. दोनों राज्यों के बीच महानदी विवाद की शुरुआत 1983 में हुई. उस समय छत्तीसगढ़ राज्य भी नहीं था. मध्य प्रदेश और ओडिशा के बीच यह विवाद चल रहा था. कई पॉलिसी बनी, अनुबंध भी हुए लेकिन उनका पालन नहीं हुआ. आगे चलकर ओडिशा सरकार ने 19 नवंबर 2016 को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय) के पास अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत एक शिकायत दर्ज कराई.
ओडिशा ने केंद्र सरकार से लगाई थी गुहार: ओडिशा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह महानदी और उसके तटवर्ती राज्यों के बीच जल विवाद के निपटारे के लिए ISRWD अधिनियम, 1956 की धारा 4(1) के तहत एक न्यायाधिकरण का गठन करे. तब केंद्र सरकार ने बातचीत के माध्यम से विवाद के निपटारे के लिए एक वार्ता समिति का गठन किया था. नेगोशिएशन कमेटी ने मई 2017 में अपनी रिपोर्ट सौंपी. कमेटी ने रिपोर्ट में जिक्र किया कि ओडिशा राज्य से कोई भागीदारी नहीं हुई. तब निष्कर्ष निकाला गया कि विवाद को बातचीत से हल नहीं किया जा सकता. इसके बाद, केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर 12 मार्च 2018 को महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण(Mahanadi water dispute tribunal) का गठन किया.
ट्रिब्यूनल के पास है मामला: अब यह मामला ट्रिब्यूनल के समक्ष निर्णय के लिए लंबित है. ट्रिब्यूनल की लगभग 40 सदस्यीय टीम ने हाल ही में दो चरण में रायपुर, बिलासपुर और कोरबा जैसे जिलों का दौरा किया. महानदी और हसदेव नदी पर बनी जल परियोजनाओं का जायजा लिया. अधिकारियों ने भी डिटेल्ड जानकारी दी. इसके लिए दोनों राज्य की सरकारों ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे. इनसे ट्रिब्यूनल ने आवश्यक जानकारी ली है.
ओडिशा का पक्ष: 2016 में यह विवाद ज्यादा बढ़ा जब ओडिशा ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में महानदी पर कई बांध बना दिए गए हैं, जिससे नदी की धारा प्रभावित हुई है. हीराकुंड बांध में जलभराव कम हुआ है. खास तौर पर गैर मानसून सीजन में नदी पूरी तरह से सूख जाती है. महानदी के अस्तित्व पर भी संकट है. आम लोगों के साथ ही सिंचाई और उद्योगों को भी पानी नहीं मिल पा रहा है.
छत्तीसगढ़ का पक्ष: छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि हीराकुंड बांध के लिए निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक पानी का इस्तेमाल हो रहा है. धमतरी से महानदी का उद्गम, दोनों राज्यों की लाइफलाइन: छत्तीसगढ़ के धमतरी स्थित सिहावा पर्वत से महानदी का उद्गम होता है. नदी की कुल लंबाई 851 किलोमीटर है. इतनी दूरी तय करने के बाद नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. महानदी का फैलाव पांच राज्यों छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड के बीच है. हालांकि इसका कैचमेंट एरिया 53 फीसदी छत्तीसगढ़ में और 46.5 फीसदी ओडिशा में है. लेकिन महानदी में जो पानी बहकर जाता है, उसमें ज्यादातर योगदान छत्तीसगढ़ की नदियों का है. शिवनाथ और हसदेव से 80 से 90 फीसदी जल महानदी में जाता है. जबकि ओडिशा स्थित महानदी की सहायक नदियों का योगदान काफी कम है. यही वजह है कि महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा माना जाता है. जबकि दोनों राज्यों की खेती, उद्योग और अर्थव्यवस्था में महानदी का अहम स्थान है.
महानदी कितनी अहम: महानदी का कुल क्षेत्रफल 1,41,589 वर्ग किलोमीटर है. छत्तीसगढ़ में 73214 वर्ग किलोमीटर और ओडिशा में 65845 वर्ग किलोमीटर एरिया कवर होता है. वहीं झारखंड, महाराष्ट्र और एमपी में 2528 वर्ग किलोमीटर एरिया है. नदी की कुल लंबाई 851 किलोमीटर है. छत्तीसगढ़ में महानदी की प्रमुख सहायक नदियां शिवनाथ, हसदेव, मांड, ईब हैं. वहीं ओंग, तेल और जोंक ओडिशा में महानदी की सहायक नदियां हैं. महानदी पर प्रमुख जल संसाधन परियोजनाएं हीराकुंड बांध, मिनीमाता बांगो प्रोजेक्ट, महानदी रिजरवायर कॉमप्लेक्स(रविशंकर सागर, मुर्रम सिल्ली, दुधावा) हैं. महानदी पर कुल 76 सिंचाई परियोजनाएं हैं. इनमें 22 वृहद, 54 मध्यम हैं. महानदी का जल दोनों ही राज्य छत्तीसगढ़ और ओडिशा के उद्योगों को पालता है.