हैदराबाद: भारत और ब्रिटन की सरकार के बीच वैक्सीनेशन और क्वारंटीन नियमों को लेकर तनातनी का दौर खत्म हो चुका है. भारत से करारा जवाब मिलने के बाद ब्रिटेन को झुकना पड़ा है. दरअसल ब्रिटेन ने पहले तो भारत में लग रही कोविशील्ड वैक्सीन को मान्यता नहीं दी, जबकि ये वही वैक्सीन है जो ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका के नाम से लग रही है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और भारत के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित वैक्सीन का नाम भारत में कोविशील्ड और ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका है.
फिर बीते दिनों ट्रैवल एडवाइजरी जारी की थी जिसके मुताबिक भारत से आने वाले सभी यात्रियों को टीकाकरण के बावजूद एयरपोर्ट पर पहुंचने और फिर 8 दिन बाद अपनी जेब से कोविड-19 आरटीपीसीआर टेस्ट करवाना होगा. साथ ही 10 दिनों तक अनिवार्य रूप से क्वारंटाइन रहना होगा.
भारत ने दिया करारा जवाब
कोविशील्ड को मान्यता ना देने की ब्रिटने की नीति पर भारत ने आपत्ति जताई थी. ब्रिटेन के यात्रियों के लिए अपने खर्च पर 10 दिन का अनिवार्य क्वारंटीन और आरटीपीसीआर टेस्ट का नियम बना दिया. इसी हफ्ते भारत ने अपनी हॉकी टीमों को कोविड का खतरा बताते हुए अगले साल बर्मिंगम में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों में भेजने से इनकार कर दिया था. भारत की तरफ से बनाए गए दबाव के बाद ब्रिटेन की सरकार बैकफुट पर आ गई.
ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों के लिए नए नियम
भारत के सख्त रवैये के बाद ब्रिटेन ने कोविशील्ड को मान्यता दे दी है और क्वारंटीन नियमों में भी बदलाव किया है. जिन भारतीयों ने कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज ली होंगी, उन्हें क्वारंटीन नहीं रहना होगा. इसके अलावा जिस वैक्सीन को ब्रिटिश सरकार ने मंजूरी दी होगी, उसकी पूरी डोज लेने वाले भारतीयों को भी क्वारंटीन की जरूरत नहीं होगी. 11 अक्टूबर से ये नियम लागू होंगे. अब इससे ब्रिटेन जाने वाले यात्रियों खासकर छात्रों या रोजगार के लिए जाने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है.
भारत सरकार ने कुल 6 वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है. इसमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा स्पूतनिक वी, फाइजर, जायडस कैडिला और जॉनसन एंड जॉनसन शामिल है. इनमें में कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड के साथ और कोवैक्सीन को भारत बायोटैक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर बनाया है. इन दोनों में से कोविशील्ड को अधिकतर देशों ने मान्यता दी है. इन दोनों भारतीय वैक्सीन को कितने देशों ने मान्यता दी है इससे पहले ये जान लीजिये कि कितने देशों में रहते हैं भारतीय.
दुनिया के 210 देशों में हैं भारतीय
भारत के विदेश मामलों के मंत्रालय के 2018-19 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के कुल 210 देशों में 1.34 करोड़ से ज्यादा गैर प्रवासी भारतीय और 1.86 करोड़ भारतीय मूल के लोग हैं. जिनकी कुल संख्या 3.21 करोड़ के पार पहुंचती है.
दुनिया में सबसे ज्यादा प्रवासी हैं भारतीय
भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला मुल्क है. लेकिन भारत से बाहर दुनिया के अलग-अलग देशों में रहने वाले प्रवासियों के मामले में भारतीय अव्वल हैं. संयुक्त राष्ट्र भी इस बात से इनकार नहीं करता. संयुक्त राष्ट्र 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक 1.8 करोड़ से ज्यादा भारतीय अपने जन्म स्थान से दूर दुनिया के अन्य देशों में रहते हैं. भारत के बाद मैक्सिको और रूस ऐसे देश हैं जिनकी करीब 1 करोड़ से लेकर 1.10 करोड़ आबादी दूसरे देशों में रही है.
अमेरिका के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, कुवैत, मॉरिशियस, कतर, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों में प्रवासी भारतीयों की अच्छी खासी आबादी है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक भारतीयों के प्रवास की मुख्य वजह रोजगार और पारिवारिक कारण रहे. अमेरिका अब भी प्रवासियों का सबसे पसंदीदा देश बना हुआ है. साल 2020 में कुल 5.1 करोड़ अंतरराष्ट्रीय प्रवासी रहते थे, जो दुनिया में कुल अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों का 18% है. सबसे ज्यादा प्रवासियों की पसंदीदा देश के मामले में अमेरिका के बाद जर्मनी (1.6 करोड़), सऊदी अरब (1.3 करोड़), रूस (1.2 करोड़) और ब्रिटेन (90 लाख) है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी की वजह से साल 2020 के मध्य में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या की वृद्धि में करीब 20 लाख की कमी आई जो साल 2019 के अनुमान के मुताबिक 27 फीसद कम है.