हैदराबाद: 31 अगस्त 2021 का दिन भारतीय न्यायपालिका के लिहाज से ऐतिहासिक दिन रहा. इस दिन पहली बार देश की सर्वोच्च अदालत के 9 जजों को एक साथ शपथ दिलाई गई, इनमें 3 महिला जज भी शामिल थीं. क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति कैसे होती है ? इसकी क्या प्रक्रिया है ? जानने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्सप्लेनर (etv bharat explainer)
कैसे होती है सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति ?
संविधान में अनुच्छेद 124 (2) के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के परामर्श पर की जाती है. कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज होते हैं. यही कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट के साथ राज्यों के हाईकोर्ट के न्यायधीशों की नियुक्ति की भी सिफारिश करता है.
कॉलेजियम सिस्टम का इतिहास
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादलों को लेकर जो कॉलेजियम सिस्टम आज है वो न्यायपालिका के तीन फैसलों का नतीजा है. जिसे 'थ्री जजेज केसेस' (three judges cases) के नाम से जाना जाता है.
फर्स्ट जज केस, 1981- सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि ठोस तर्क या कारण के आधार पर राष्ट्रपति, चीफ जस्टिस की सिफारिश दरकिनार कर सकते हैं. इस फैसले ने न्यायपालिका में नियुक्तियों को लेकर कार्यपालिका को शक्तिशाली बना दिया. ये स्थिति 12 साल तक रही.
सेकेंड जजेज केस, 1993- सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने बहुमत से ये व्यवस्था दी कि भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के प्रावधान का अर्थ उनकी मंजूरी लेना है. फैसले में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश और दो वरिष्ठ न्यायाधीशों का एक कॉलेजियम ये नियुक्तियां करेगा.
थर्ड जजेज केस, 1998- यहां कॉलेजियम में कुछ बदलाव किए गए और सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति वाले कॉलेजियम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के अलावा सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीश सदस्य होंगे.
कॉलेजियम की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति तथा तबादलों का फैसला भी कॉलेजियम ही करता है. इसके अलावा उच्च न्यायालय के कौन से जज पदोन्नत होकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे यह फैसला भी कॉलेजियम ही करता है.
किसी भी जज की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जो सिफारिश करता है, वो सबसे पहले केंद्रीय कानून मंत्रालय पहुंचती है. अध्ययन के बाद इसे प्रधानमंत्री के पास भेजा जाता है. फिर प्रधानमंत्री इस सिफारिश को अपनी राय के साथ राष्ट्रपति के पास भेजते है. राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद नोटिफिकेशन जारी होता है और जजों की नियुक्ति होती है. सरकार एक बार किसी एक या अधिक नामों को पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम के पास वापस भेज सकती है. लेकिन अगर कॉलेजियम दोबारा नाम भेजती है तो इस सिफारिश को मानना ही पड़ेगा.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (chief justice of india) की नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का पद भारतीय गणतंत्र का सबसे ऊंचा न्यायिक पद है. सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिश पर ही की जाती है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस राष्ट्रपति को सिफारिश करने से पहले कोलोजियम के अन्य 4 वरिष्ठों जजों के साथ परामर्श करते हैं. लेकिन संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत चीफ जस्टिस की नियुक्ति के समय राष्ट्रपति सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है. लेकिन अन्य जजों की नियुक्ति के लिए अगर कॉलेजियम सिफारिश (अधिकतम दूसरी बार) भेज दे तो उसे मानना होगा.