नई दिल्ली : दिल्ली के बॉर्डरों पर तीन कृषि कानून के विरोध और एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य करने के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन काे 26 मई को 6 महीने पूरे हाे जाएंगे.
इसी दिन मोदी सरकार के कार्यकाल के भी 7 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन को 'काला दिवस' के रूप में मनाए जाने की अपील की है. संयुक्त किसान मोर्चा लगातार किसानों से अपील कर रहा है कि वह दिल्ली के बॉर्डरों पर पहुंचें और वहां मोर्चा संभालें.
हालांकि कोरोना महामारी के बढ़ते प्रभाव के कारण कई राज्यों में लॉकडाउन है और इस कारण लोगों के लिए बाहर निकलना संभव नहीं. इस बात को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सह संयोजक अविक साह ने शनिवार को 'प्रोटेस्ट फ्रॉम होम' की अपील की है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन की अपील की है और आम जनता को भी इसमें जुड़ना चाहिए, इसलिए लोग अपने घरों, ऑफिस और दुकानों पर काले झंडे लगा कर 26 मई के विरोध दिवस को अपना समर्थन दे सकते हैं.
शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख कर बातचीत दोबारा शुरू करने की अपील की थी साथ ही यह भी कहा था कि किसानों द्वारा बहिष्कृत तीन कृषि सुधार कानूनों को निरस्त करने का निर्णय सरकार को अब जल्द लेना चाहिए और एमएसपी पर खरीद को अनिवार्य करने के लिए कानून बना देना चाहिए.
इससे यह स्पष्ट होता है कि आंदोलनरत किसान मोर्चा सरकार से अपने शर्तों पर ही बातचीत की शुरुआत करना चाहता है. सरकार और किसान मोर्चा के बीच आखिरी वार्ता 22 जनवरी को हुई थी.
12 दौर की वार्ता के बाद भी दोनों पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके थे. सरकार ने अधिकतम 1.5 वर्ष तक कृषि कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव को अपना अंतिम प्रस्ताव बताया था, लेकिन किसानों ने उसे नामंजूर कर दिया था.