उदयपुर.यूनियन ऑफ इंडिया काउंसलिंग की वेस्ट जोन (Union of India Counseling West Zone conference) की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस शनिवार से शुरू हुई है. कॉन्फ्रेंस के शुभारंभ में भारत सरकार के दो मंत्रियों ने भी शिरकत की. देश भर के 300 से ज्यादा अधिवक्ताओं ने कॉन्फ्रेंस में भाग लिया. विधि मंत्री किरण रिजिजू, विधि राज्य मंत्री एसपीएस बघेल, सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस अजय रस्तोगी और एक्टिंग सीजे राजस्थान एमएम श्रीवास्तव भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. कार्यक्रम में रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सवाल खड़े करने के साथ ही हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट में व्यवस्थाओं पर चर्चा की.
देश के कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiran Rijiju Udaipur visit)ने देश की ज्यूडिशरी के कॉलेजियम सिस्टम को लेकर पहली बार सख्त शब्दों के साथ सार्वजनिक तौर पर सवाल खड़े किए हैं. राजस्थान के उदयपुर में यूनियन ऑफ इंडिया वेस्ट जोन एडवोकेट की कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कोई सिस्टम अगर ठीक से नहीं चल रहा है. उसमें क्या बदलाव होना चाहिए, इसकी चिंता करना हम सभी का कर्तव्य है.
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जजों की नियुक्ति का एक सिस्टम हैः उन्होंने कहा कि देश की लोअर कोर्ट में जजों की नियुक्ति का एक सिस्टम है, उसके अनुसार ही नियुक्तियां होती हैं. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हम चाहते हैं कि जजों की नियुक्तियां हों. विधि मंत्री बनने के बाद हमने प्रयास किए हैं कि वैकेंसी के प्रतिशत को कम कर सकें. मंत्री ने कहा कि सरकार की मंशा सभी को मालूम है. हम चाहते हैं कि वैकेंसी कम से कम हो, अभी भी हमें लगता है कि काफी गुंजाइश है वैकैंसी को कम करने की. हम इसे कम करके 150 तक लाना चाहते हैं. अगर हम ऐसा कर सके तो ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.
लेकिन जो अभी का कॉलेजियम सिस्टम है, उसके चलते ये असंभव तो नहीं है. बहुत मुश्किल काम है. हम चाहते हैं कि ज्यूडिशरी में ज्यादा से ज्यादा जज हों, पूरी ताकत के साथ ज्यूडिशियल पॉवर के साथ काम करें. लेकिन जो सिस्टम बनाया गया है, उस सिस्टम के समक्ष हमें संघर्ष करना पड़ता है
अपने तरीके से काम करते हैं कॉलेजियमः कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि सिस्टम के तहत हमें जो करना होता है वो हमें करना ही है. कॉलेजियम का एक विजडम होता है और वो चाहे सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का कॉलेजियम हो. वो अपने तरीके से काम करते हैं. लेकिन कोई भी सिस्टम 100 प्रतिशत परफेक्ट नहीं हो सकता है, उसमें सुधार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी जो कॉलेजियम सिस्टम चल रहा है, उसे बेहतर प्रयोग करके भरपूर फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं.
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रिजिजू ने कहा कि राजस्थान वाले ये सोच सकते हैं कि उनके हाईकोर्ट के लिए नाम गए हुए है. लेकिन समय लग रहा है. अंदर का जो पूरा प्रोसेस है उसकी यहां सार्वजनिक चर्चा नहीं कर सकते. सिस्टम जैसा है उसके तहत बहुत मुश्किल होता है. मुझे अच्छा नहीं लगता कि किसी का नाम रोक कर रखें. कोई जज बनने जा रहे हैं और हम उनको 2 महीना देर करवाएं. ये किसी के लिए भला नहीं है.
ये परिस्थितियां भी खराब होती रहेंगीः रिजिजू ने कहा कि जब तक ये कॉलेजियम सिस्टम चलेगा, ये परिस्थितियां भी खराब होती रहेंगी. उन्होंने कहा कि ये चीज केवल सरकार को नहीं सोचनी है, सुप्रीम कोर्ट में बैठे जज को भी सोचना होगा. सिस्टम अगर ठीक से नहीं चल रहा है तो उस सिस्टम में बदलाव क्या होना चाहिए?. ये चिंता करना हम सभी के लिए सामूहिक दायित्व है. मेरे मन में कोई नेगेटिव चीज हम पैदा नहीं करते. क्योंकि हमारे पीएम का एक लक्ष्य हैं कि हम हर काम देश के लिए करते है और देश को मजबूत बनाना है. कानून मंत्री ने कहा कि देश को मजबूत बनाने के लिए ज्यूडिशरी के स्तंभ को मजबूत करना और उसके बारे में सोचना हमारी प्राथमिकता है.
कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि जो सिस्टम चल रहा है, उससे कुछ तकलीफ तो हो रही है और ये सभी को पता है. इसलिए आगे इस पर चर्चा होगी कि कैसे क्या करना है. कुछ मुद्दे थे, जिसे मैंने सभी के सामने रखा है. यहां पर जज, एडवोकेट और लॉ आफिसर भी हैं. इस तरह के कांफ्रेंस में कुछ मुद्दे ऐसे होते है, जिन्हें सामने रखने पर ये पता चलता है कि लॉ मिनिस्टर के मन में क्या चल रहा है और सरकार क्या सोचती है. मैने मेरे मन की बात रखी है और उनकी बातें भी मैंने सुनी है.
राजस्थान के जजों के नाम हमारी वजह से पेंडिंग नहींःराजस्थान हाई कोर्ट कॉलेजियम की ओर से भेजे गए नाम लंबे समय से पेंडिंग होने के सवाल पर कानून मंत्री ने कहा कि मैंने उदयपुर में ये बात इसलिए रखी है कि राजस्थान हाईकोर्ट के लिए कई जज नियुक्त होने हैं. उनके नाम अभी पेंडिंग हैं और वे नाम लॉ मिनिस्टर की वजह से पेंडिंग नहीं हैं, बल्कि जो व्यवस्था बनाई हुई है उस व्यवस्था के चलते पेंडिंग हैं.
कार्यक्रम में भाग लेने देश के कानून मंत्री किरण रिजिजू भी उदयपुर पहुंचे. कॉन्फ्रेंस में रिजिजू ने इमर्जिंग लीगल इश्यूज पर चर्चा के दौरान कहा कि फाइलों के दौर से आगे निकल कर अब हर चीज को डिजिटल किए जाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके साथ ही आने वाले दिनों में देश के सभी हाईकोर्ट में एडिशनल सोलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया लगाए जाएंगे ताकि भारत सरकार के मामलों की प्रभावी पैरवी हो सके. उन्होंने कहा कि जहां-जहां यह पद खाली हैं वहां जल्द भरे जाएंगे.
अदालतों की बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जाएं
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट की बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रभावी कदम उठा रही है. न्यायिक सिस्टम को रीलुक करने का समय आ गया है. इस बीच उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल भी खड़े किए. कॉलेजियम सिस्टम पर विचार करने की जरूरत है ताकि जल्दी न्यायालय में नियुक्तियां हो सकें. कानून मंत्री ने कहा कि भारत की न्यायपालिका स्वतंत्र है लेकिन सोशल मीडिया में न्यायपालिका की छवि पर विपरीत और गलत टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के सीजे ने भी चिंता जताई है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अजय रस्तोगी उद्घाटन सत्र में मौजूद रहे. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अदालतें खोलने की बजाय मौजूदा अदालतों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाए. नए मजिस्ट्रेट को बेहतर ट्रेनिंग की जरूरत जिससे वह और अच्छा काम कर सकें. उनको तकनीकी रूप से सशक्त करने की आवश्यकता पर भी बल दिया जाना चाहिए.
देश के नए कानूनों पर अपडेट होने पर जोर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि लीगल प्रोफ़ेशन एक पायस वर्क है और युवा वकीलों को इसमें खूब पढ़ाई के साथ ही तकनीक का इस्तेमाल करना आना चाहिए. साइबर क्राइम, व्हाइट कॉलर क्राइम और बेमानी संपत्ति के मामले बढ़ रहे हैं. अपराध के ये नए तरीके देखने को मिल रहे हैं.
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री मोदी के संदेश को भी पढ़कर सुनाया गया. उद्घाटन सत्र के बाद आज दो तकनीकी सत्र का आयोजन किया जा रहा है. इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, मध्य प्रदेश के 300 से ज्यादा अधिवक्ताओं और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों और विभागों के गवर्नमेंट काउंसिल शिरकत कर रहे हैं.