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जानें मध्यप्रदेश के खंडवा महादेव मंदिर और ज्ञानवापी का आपसी कनेक्शन, अगर ऐसा हुआ तो हिंदू पक्ष में होगा फैसला...

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Published : Jul 24, 2023, 7:50 AM IST

Updated : Jul 24, 2023, 8:00 AM IST

Khandwa Shiva Temple: मध्यप्रदेश के खंडवा महादेव मंदिर और ज्ञानवापी का आपस में स्पेशल कनेक्शन है, अगर आप इस कनेक्शन को समझेंगे तो आपको समझ आएगा कि अगर ऐसा हुआ तो हिंदू पक्ष में फैसला जाएगा. आइए जानते हैं क्या है खंडवा महादेव मंदिर और ज्ञानवापी का कनेक्शन-

gyanvapi mosque connection with khandwa temple
हिंदू पक्ष में आएगा ज्ञानवापी मस्जिद का फैसला

खंडवा महादेव मंदिर और ज्ञानवापी का आपसी कनेक्शन

खंडवा।जिले के महादेवगढ़ शिव मंदिर और ज्ञानवापी का आपस में गहरा कनेक्शन है. दरअसल कुछ समय पहले ऐसे ही खंडवा में ASI ने सर्वे कर शिव मंदिर को कार्बन डेटिंग के आधार पर 12वीं सदी का बताया था, अब अगर ऐसा ही ज्ञानवापी में होता है तो फैसला हिंदू पक्ष में जाएगा. आज सुबह 7 बजे से ज्ञानवापी मस्जिद का साइंटिफिक सर्वे शुरू हो गया है. वजू स्थल छोड़कर सभी परिसर की जांच के आदेश वाराणसी कोर्ट ने दिए हैं, कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है.

खंडवा महादेव मंदिर और ज्ञानवापी का कनेक्शन:दरअसल खंडवा शहर के इतवारा बाजार में स्थित पुरातन महादेवगढ़ मंदिर का अर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने जांच की थी, इसी सर्वे के आधार पर मंदिर के पक्ष में फैसला आया था. जांच टीम ने कार्बन डेटिंग कर इस मंदिर को को बारहवीं सदी का बताया था. इसकी जानकारी मिलने पर ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू धर्म के पक्षकार वकील विष्णु शंकर जैन खण्डवा पहुंचे थे, उन्होंने सोशल मीडिया पर महादेव गढ़ मंदिर की फोटो के साथ आर्टिकल शेयर कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाया था. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया था कि "जब एएसआई खंडवा में शिवलिंग की जांच कर उसके ऐतिहासिक महत्व को बता सकता है, तो ज्ञानवापी में क्यों नहीं?" उनके इस ट्वीट को हजारों लोगों ने लाइक किया और सैकड़ों लोगों ने रीट्वीट भी किया.

बाहरवीं सदी का है खंडवा शिव मंदिर:इतवारा बाजार स्थित महादेवगढ़ मंदिर 12वीं सदी का है, मंदिर समय के साथ अपना अस्तित्व खो चुका था. पत्थर में उत्कीर्ण किए शिवलिंग के पास कुछ लोगों ने भैंसों का तबेला बना रखा था, नदी को भी खंडित कर दिया गया था. जब इस मंदिर को वापस अस्तित्व में लाने का प्रयास किया गया तो मोहम्मद लियाकत पवार ने हाईकोट में याचिका लगाते हुए कहा था कि "मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है." इसके बाद कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश पर पुरातत्व विभाग से सर्वे करवाया. इंदौर पुरातत्व विभाग के उपसंचालक तकनीकि सहायक डाक्टर जीपी पांडे ने जांच के बाद 13 फरवरी 2015 को कलेक्टर कार्यालय को जो रिपोर्ट सौंपी, उसी रिर्पोट ने यह स्पष्ट कर दिया कि महादेवगढ़ मंदिर 12वीं सदी का है.

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सनातन की जीत होगा ज्ञानव्यापी पर फैसला:महादेव गढ़ शिव मंदिर टीन शेड में है. यहां प्राचिन मंदिर के अवशेष हैं, मुख्य रूप से पत्थर से उत्कीर्ण किया हुआ शिवलिंग है. प्राचीनता को दर्शाता हुआ खंबा भी है, जिसे सहेज कर रखा गया है. शिवलिंग और खंडित नंदी की प्रतिमा परमार काल के कलाओं की स्मरण कराती है, मंदिर के लिए लड़ाई लड़कर उसे वापस अपने अस्तित्व में लाने वाले महादेवगढ़ मन्दिर के संरक्षक अशोक पालीवाल का कहना है कि "अब खंडवा की ही तरह ज्ञानव्यापी का सर्वे होकर हिंदुओं के पक्ष में उचित फैसला आएगा, इससे मैं काफी खुश हूं. यह एक तरह से सनातन धर्म की जीत है"

Last Updated : Jul 24, 2023, 8:00 AM IST

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