नई दिल्ली : इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है, इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कोई भी ठोस कदम उठाने में नाकामयाब रहा है. वह यह निर्णय नहीं ले पा रहा है कि गाजा के आमलोगों को युद्ध के बीच किस तरह से मानवीय मदद दी जा सके. मानवीय आधार पर अमेरिका ह्युमैनिटेरियन पॉज चाहता है, ताकि लोगों तक सहायता सामग्री पहुंच सके, जबकि सुरक्षा परिषद के दूसरे देश चाहते हैं कि अविलंब सीजफायर हो.
अमेरिका के राजदूत रॉबर्ट वूड ने कहा कि सुरक्षा परिषद में मतभेद है. उनके अनुसार कुछ देश सीजफायर चाहते हैं, जबकि कुछ देश पॉज चाहते हैं. उनका बयान उस समय आया है, जबकि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने तुरंत सीजफायर की अपील की है. यह पांचवीं बार है कि गाजा मामले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद शांति स्थापित करने के लिए कोई भी संकल्प पारित नहीं करा सका.
सबसे पहले 16 अक्टूबर को रूस एक प्रस्ताव लेकर सामने आया था. इसमें उसने कहा था कि जिन लोगों को बंधक बनाया गया है, उसे रिहा किया जाए और आम लोगों तक सहायता शीघ्र से शीघ्र पहुंचाया जाए. इस प्रस्ताव के पक्ष में रूस के अलावा चीन और यूएई ने मतदान किया, जबकि फ्रांस, जापान, अमेरिका और यूके ने विरोध में मत किया, जबकि छह सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. इनमें ब्राजील, ईक्वाडोर और स्विटजरलैंड शामिल है.
इसके दो दिन बाद ब्राजील प्रस्ताव लेकर आया. इसने गाजा में मानवीय मदद पहुंचाए जाने की अपील की. नागरिकों पर हो रहे हिंसा की निंदा करने करने का प्रस्ताव दिया. प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि इजराइल के उस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए, जिसमें उसने फिलिस्तीनियों को उत्तरी गाजा छोड़कर दक्षिणी गाजा में जाने को कहा है. यूएनएससी के 12 सदस्यों ने फेवर में मतदान किया, रूस और यूके गैर हाजिर रहे, जबकि अमेरिका ने इस प्रस्ताव को ही वीटो कर दिया.
फिर 25 अक्टूबर को एक नया प्रस्ताव सामने लाया गया. इसे भी रूस लेकर आया. इसने इजराइल को उस आदेश को वापस लेने को कहा, जिसमें फिलिस्तीनियों को उत्तरी गाजा छोड़ने को कहा गया था. इसमें कहीं भी इजराइल के सेल्फ डिफेंस के अधिकार का जिक्र नहीं था. जाहिर है, अमेरिका और यूके ने इसे वीटो कर दिया. नौ देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, जबकि रूस, चीन, यूएई और गिबॉन ने समर्थन किया था.
उसी दिन अमेरिका एक और प्रस्ताव लेकर सामने आया. इसने अपने प्रस्ताव में ह्युमैनिटेरियन पॉज शब्द का इस्तेमाल किया, न कि सीजफायर का. इसने सभी देशों को अपने आत्म रक्षा करने के अधिकार का समर्थन किया. इसने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की भी सलाह दी, साथ ही हमास द्वारा बंदी बनाए गए सभी लोगों को तुरंत रिहा किए जाने की अपील की. 10 देशों ने इसका समर्थन किया, जबकि रूस और चीन ने इसे वीटो कर दिया, जबकि ब्राजील और मोजांबिक गैर हाजिर रहे.