तिरुवनंतपुरम:केरल में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक समान कानून की वर्षों से आवश्यकता है. वर्तमान में राज्य में जनस्वास्थ्य से संबंधित दो कानून थे. पहला है त्रावणकोर-कोचीन पब्लिक हेल्थ एक्ट, 1955 जो त्रावणकोर-कोचीन क्षेत्रों में लागू है, दूसरा 1939 का मद्रास पब्लिक एक्ट है, जो मालाबार क्षेत्र में लागू है. सरकार अब इन दोनों कानूनों को बदलने के लिए एक एकीकृत कानून लाई है. 4 अक्टूबर, 2021 को उक्त विधेयक को असाधारण राजपत्र में विधानसभा विधेयक संख्या 77 के रूप में प्रकाशित किया गया था. इसे 27 अक्टूबर को सदन में पेश किया गया था और उसी दिन विचार के लिए प्रवर समिति को भेजा गया था.
कोविड और निपाह वायरस से मिला सबक: कोविड और निपाह जैसी महामारियों ने प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र के सामने बड़ी चुनौती पेश की है. आज विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक में उन चुनौतियों सहित संक्रामक रोगों की रोकथाम, उपचार और परीक्षण के लिए विस्तृत प्रस्ताव शामिल हैं. जलवायु परिवर्तन, मानव-पशु संपर्क आदि के कारण नए वायरस, रोगजनकों और संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने के लिए इसमें विशिष्ट सिफारिशें हैं.
संक्रामक रोग को मनुष्यों या जानवरों में लक्षणों के साथ या बिना संक्रमण के कारण होने वाली बीमारी के रूप में परिभाषित किया गया है. नए बिल में सामाजिक मेलजोल, आइसोलेशन, क्वारंटाइन, टीकाकरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा सभी शामिल हैं. यदि किसी रोग की पहचान की जाती है जिसके लिए सरकार को सूचना प्राप्त करनी चाहिए या उपचार के मानकों को पूरा करना चाहिए, तो उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के रोगों के रूप में अधिसूचित किया जा सकता है.