कोच्चि :केरल उच्च न्यायालय (kerala high court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि सोशल मीडिया योग्य लोगों के हाथों में अच्छा है, लेकिन कुछ की निरंकुश भावनाओं के लिए यह एक अनियंत्रित 'खेल का मैदान' है. साथ ही, अदालत ने कहा कि वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक महत्वपूर्ण अधिकार है, लेकिन कुछ लोग इसका अत्यधिक दुरूपयोग करते हैं.
न्यायमूर्ति दीवान रामचंद्रन (Justice Devan Ramachandran) ने एक पूर्व न्यायिक अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की. इस पूर्व न्यायिक अधिकारी ने प्राचीन वस्तुओं के स्वयंभू विक्रेता मोनसन मवुनकल के खिलाफ जांच के सिलसिले में उच्च न्यायालय के आदेशों के बारे में अमर्यादित और कटु टिप्पणी की थी. अदालत ने इस बात का जिक्र किया कि पूर्व न्यायिक अधिकारी ने न्यायाधीश के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी भी की थी.
न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा कि इसके बाद उन्होंने पूर्व न्यायिक अधिकारी के खिलाफ अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू करने से पहले उन्हें अदालत में पेश होने और यह बताने को कहा कि वह (अदालत) कहां गलत है. हालांकि, पूर्व न्यायिक अधिकारी अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए, जिसपर अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह एक 'कायर' हैं.
अदालत ने कहा, 'आज के समय की यह विडंबना है कि व्यस्त लोगों को लगता है कि वे सोशल मीडिया पर यह सोच कर कड़े शब्दों में टिप्पणी कर सकते हैं कि उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी.' अदालत ने कहा, 'सोशल मीडिया भले और योग्य लोगों के हाथों में अच्छा है. लेकिन कुछ के लिए यह उनकी निरंकुश भावनाओं के लिए अनियंत्रित खेल का मैदान है.'