एर्नाकुलम: केरल उच्च न्यायालय ने बलात्कार पीड़ितों के बच्चों के डीएनए परीक्षण के लिए खून के नमूने लेने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है. अदालत ने केरल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के पीड़ित अधिकार केंद्र परियोजना समन्वयक द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर मामले को उठाया. हाई कोर्ट ने पॉक्सो (POCSO) पीड़ितों समेत बच्चों के खून के नमूनों की जांच पर रोक लगा दी है.
यह रोक मंजेरी पोक्सो कोर्ट और कोल्लम अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा पारित आदेशों पर लागू है. केरल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण पीड़ित अधिकार केंद्र रिपोर्ट द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट महाधिवक्ता द्वारा विचार के लिए न्यायालय में प्रस्तुत की गई थी. अदालत ने स्वेच्छा से रिपोर्ट में हस्तक्षेप किया और पार्वती मेनन को न्याय मित्र नियुक्त किया.
केस को मजबूत करने के आधार पर ही निचली अदालत ने यातना की शिकार महिलाओं से पैदा हुए बच्चों के डीएनए सैंपल परीक्षण का आदेश दिया था. लेकिन केरल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रस्ताव दत्तक ग्रहण अधिनियम, 2022 के प्रावधानों के खिलाफ है और यह बच्चों की व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता का उल्लंघन करता है.
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डीएनए परीक्षण की प्रक्रिया का असर बच्चों को गोद लेने वाले परिवारों पर भी पड़ेगा. बता दें कि कानूनी सेवा प्राधिकरण की ओर से दुष्कर्म पीड़ितों के पुनर्वास के व्यापक स्तर पर प्रबंध किए जाते हैं. मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता के आर्थिक रूप से कमजोर होने पर निशुल्क कानूनी सहाल की व्यवस्था की जाती है. इसके तहत पीड़ितों को मुआवजे का भी प्रावधान है.