वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ कॉरिडोर धाम (Kashi Vishwanath Corridor ) का भव्य अनुष्ठान के बाद लोकार्पण किया है. इस मौके उन्होंने सभी का अभिवादन करते हुए कहा कि काशी के सभी बंधुओं के साथ हम शीश नवाते हैं, माता अन्नपूर्णा को नमन करता हूं. पीएम ने कहा कि ये भव्य धाम भक्तों को अतीत के गौरव का एहसास कराएगा. इससे पहले उन्होंने कहा कि अभी मैं बाबा के साथ साथ नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके आया हूं, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूं. काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है. मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं.
इस मौके पर उन्होंने करीब 50 मिनट का संबोधन भी दिया. उन्होंने इस कॉरिडोर को बनाने वाले श्रमिकों को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने 35 माह में इसको पूरा किया. इस दौरान उन्होंने पूर्व की सरकारों और इतिहास की गर्त में समा चुके आतताइयों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि काशी में यहां के कोतवाल की इजाजत के बिना कुछ नहीं हो सकता है. कोई बड़ा होगा तो वो अपने घर का होगा. यहां पर बाबा विश्वनाथ की इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है.
उन्होंने काशी के लोगों से तीन संकल्प मांगे. ये तीन संकल्प थे - स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास.
पीएम ने देश दुनिया के उन लोगों का आभार व्यक्त किया जो दूर होकर भी इस पल के साक्षी बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि साथियों हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सभी पापों से मुक्त हो जाता है. हमारी इस वाराणसी ने युगों को जिया है, इतिहास को बनते बिगड़ते देखा है. कितने ही कालखंड आये, कितनी ही सल्तनतें उठी और मिट्टी में मिल गई. फिर भी बनारस बना हुआ है. बनारस अपना रस बिखेर रहा है.
पीएम ने कहा कि आतताइयों ने इस नगरी पर आक्रमण किए. औरंगजेब ने सभ्यता को तलवार के दम पर कुचलने की कोशिश की. लेकिन इस देश की मिट्टी पूरी दुनिया से अलग है. अगर यहां औरंगबेज आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं.उन्होंने कहा कि आज समय का चक्र देखिए, आतंक के वो पर्याय इतिहास के काले पन्नों में सिमट कर रह गए हैं और मेरी काशी आगे बढ़कर अपने गौरव को नई भव्यता दे रही है.
बनारस वो नगर है, जहां जगतगुरु शंकराचार्य को भी प्रेरणा मिली और उन्होंने देश को एक सूत्र में बांधने का संकल्प लिया.पीएम ने कहा कि काशी भारत की आत्मा का एक जीवंत अवतार भी है. काशी में मंदिर तोड़ा गया तो महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका निर्माण करवाया, मैं उन्हें नमन करता हूं. महारानी अहिल्याबाई होल्कर के बाद काशी के लिए इतना काम अब हुआ है. महाराजा रंजीत सिंह जी ने मंदिर के शिखर पर स्वर्ण जड़वाया था.