Karnataka News: देश का भला सोचना पूरे देश की जिम्मेदारी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत रविवार को कर्नाटक के बेल्लारी पहुंचे. यहां उन्होंने सोंथालिंगन्ना कॉलोनी में विजयभारती के नए भवन के उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यशैली के बारे जानकारी दी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत
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Published : Jun 25, 2023, 9:46 PM IST
बल्लारी: कर्नाटक के बेल्लारी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि पूरे समाज को देश का भला सोचना चाहिए. निर्देशों को स्वीकार किया जाए और यह कार्य जारी रखा जाए. रविवार को बल्लारी शहर के सोंथालिंगन्ना कॉलोनी में विजयभारती के नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, भागवत ने कहा कि शुद्ध प्रेम सामाजिक संगठन का स्वाभाविक आधार है. आपसी प्रेम और सह-अस्तित्व भारतीयों में प्राचीन काल से ही अंतर्निहित रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है. उनका मानना था कि प्रगति के लिए सभी का योगदान आवश्यक है.मोहन भागवत ने कहा कि विकास तभी संभव है जब समाज देश की प्रगति में शामिल हो. संघ का कार्य पिछले 98 वर्षों से चल रहा है. यह एक उपदेश है. इसका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित कर भारत को परम वैभव की ओर ले जाना है. किसी भी अच्छे कार्य के लिए उपकरण आवश्यक हैं.
उन्होंने आगे कहा कि इसी प्रकार, कार्यालय संघ के कार्य के उपकरण हैं. यहां स्वयंसेवक सभी के साथ सात्विक (शुद्ध) प्रेम, आत्मीयता, ईमानदारी और निस्वार्थता गुणों के साथ व्यवहार करते हैं. अन्य संगठन देश व समाज की समस्याओं पर अधिक चर्चा करते हैं. लेकिन आरएसएस और उसके कार्यकर्ता समस्या का समाधान निकाल लेंगे. हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम (विश्व एक परिवार है) कहती है. हम सबको स्वीकार करते हैं.
उन्होंने कहा कि देश और समाज में कोई भी विपत्ति या संकट आने पर स्वयंसेवक निस्वार्थ बुद्धि और चतुराई से कार्य करते हैं. यह दूसरों के लिए भी अनुकरणीय है. यही आरएसएस की नीति है. स्वयंसेवक के ये सभी गुण उसे राष्ट्र के कार्य में सक्रिय बनाते हैं. हम कई वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रधान कार्यालय पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज फहराते आ रहे हैं. साथ ही झंडा वंदन भी कर रहे हैं.
भागवत ने कहा कि आजादी के समय आरएसएस के संस्थापक हेडगेवार ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ पथ संचलन करने को कहा था. उस समय राष्ट्रीय ध्वज के बारे में उचित निर्णय नहीं लिया गया था. तो उस दिन भगवा ध्वज के साथ हमारा रूट मार्च था. मंचीय कार्यक्रम से पहले विजयभारती के नये भवन का पूजन और गृह प्रवेश का धार्मिक अनुष्ठान हुआ.