बेंगलुरु : तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि त्वचा के काले रंग को लेकर नस्लीय टिप्पणी 'क्रूरता' के बराबर है. पति ने फैमिली कोर्ट से तलाक न दिए जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में अपील याचिका दायर की थी. सब-डिवीजन बेंच ने कहा कि पत्नी ने लगातार पति को उसके काले रंग के लिए अपमानित किया. पति ने अपनी पत्नी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह उसके त्वचा के काले रंग के कारण ताना मारती है.
पीठ ने कहा कि इस तथ्य को छिपाने के लिए पत्नी ने उन पर अवैध संबंध का आरोप लगाया था. इसने यह भी रेखांकित किया कि इसे निस्संदेह क्रूरता माना जायेगा. हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया जाता है. अदालत ने पति को तलाक दे दिया.
इस जोड़े ने 2007 में शादी की थी लेकिन पति ने 2012 में तलाक के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अदालत ने 13 जनवरी, 2017 को पति की याचिका रद्द कर दी थी. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि शादी के बाद उसकी पत्नी हमेशा उसे काला आदमी कहकर ताने मारती थी और अपमानित करती थी. उन्होंने अपनी बेटी की खातिर किसी तरह अपमान सह लिया. उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनकी पत्नी ने 2011 में उनकी वृद्ध मां और परिवार के सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.