नई दिल्ली : कर्नाटक सरकार ने एक व्यक्ति के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में चल रहे वैवाहिक दुष्कर्म मामले का समर्थन किया है. प्रदेश सरकार ने कहा कि राज्य के उच्च न्यायालय ने कानून के सभी संबंधित पहलुओं पर विचार किया है. यह कदम उस बहस के बीच उठाया गया है कि कानून में उस धारा को क्या खत्म कर दिया जाना चाहिए जो पति द्वारा दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी से बाहर करती है.
न्यायालय के समक्ष दाखिल एक हलफनामे में कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने की मांग की है और वैवाहिक बलात्कार के आरोपी पति के खिलाफ मुकदमा चलाने का समर्थन किया है. हलफनामे में कहा गया, 'यह सम्मानपूर्वक प्रतिवेदित है कि याचिका न तो कानून में और न ही तथ्यों के आधार पर सुनवाई योग्य है और इसे शुरुआत में ही खारिज करने की आवश्यकता है.'
इसमें कहा गया, 'यह सम्मानपूर्वक प्रतिवेदित किया गया है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने वर्तमान याचिका में शामिल कानून के सभी प्रश्नों पर विचार किया है और इस न्यायालय द्वारा किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.' मामले का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार ने कहा कि आरोप अंतत: टिकता है या नहीं, यह सुनवाई का विषय है और भारतीय दंड विधान (भादंवि) के तहत पतियों को वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करने के बावजूद आरोपी को इस स्तर पर दोषमुक्त नहीं किया जा सकता है.