मुंबई : शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि 'संयुक्त विपक्ष' को लगता है कि अडाणी समूह की कंपनियों की जांच आवश्यक है और उनकी पार्टी इस मांग का समर्थन करती है. पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा कि वह जांच की प्रकृति को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मतभेदों के बीच में नहीं फंसना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "संयुक्त विपक्ष को लगता है कि अडाणी की कंपनियों की जांच जरूरी है और शिवसेना (यूबीटी) इसका (विपक्ष का) हिस्सा है." राज्यसभा सदस्य ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच और संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच साथ-साथ भी हो सकती है.
राउत ने कहा कि उद्योगपतियों का समर्थन किया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें 'भ्रष्ट' नहीं होना चाहिए. गौरतलब है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने एक साक्षात्कार में शुक्रवार को कहा था कि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा शेयर के दाम के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप अडाणी समूह पर लगने के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच समिति द्वारा पड़ताल ज्यादा उपयोगी सिद्ध होगी. पवार ने कहा था कि जेपीसी में सत्ताधारी पार्टी (भाजपा) का बहुमत होगा. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन में है. राउत ने कहा, "पवार ने अडाणी के खिलाफ जांच का विरोध नहीं किया है. मुद्दा सिर्फ यह है कि जांच जेपीसी की होनी चाहिए या उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली."
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए राउत ने दावा किया कि मुख्यमंत्री और उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले शिवसेना के अन्य नेता पृथ्वीराज चव्हाण (कांग्रेस नेता) के मुख्यमंत्री रहते हुए भी ऐसा करने की योजना बना रहे थे. उन्होंने दावा किया, "इन लोगों ने दिल्ली में (कांग्रेस नेता) अहमद पटेल से मुलाकात की थी." चव्हाण नवंबर 2010 से सितंबर 2014 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. राउत ने कहा कि शरद पवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार द्वारा विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाए जाने पर रुख स्पष्ट करना चाहिए. राउत ने दावा किया, "(गौतम) अडाणी को इसलिए निशाना बनाया गया है, क्योंकि वह मोदी के बहुत करीब हैं और प्रधानमंत्री के करीबी होने के कारण उनके धन में वृद्धि हुई है."