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लोकायुक्त जस्टिस ध्रुव नारायण उपाध्याय का कोरोना से निधन - Died during treatment in Delhi AIIMS

झारखंड के लोकायुक्त जस्टिस ध्रुव नारायण उपाध्याय का दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया. कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था.

ध्रुव नारायण उपाध्याय
ध्रुव नारायण उपाध्याय

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Published : Jun 29, 2021, 9:32 AM IST

रांची : झारखंड के लोकायुक्त जस्टिस ध्रुव नारायण उपाध्याय का निधन (Lokayukta Justice Dhruv Narayan Upadhyay dies of corona) हो गया है. कोरोना वायरस (corona virus) की चपेट में आने के बाद दिल्ली एम्स में उनका इलाज चल रहा था, जहां इलाज के दौरान उनका निधन (Died during treatment in Delhi AIIMS) हो गया है. रात करीब 2.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.

झारखंड के लोकायुक्त जस्टिस ध्रुव नारायण उपाध्याय (Dhruv Narayan Upadhyay) के निधन की खबर से शोक की लहर है. कोरोना संक्रमित होने के कारण गंभीर स्थित में रांची से दिल्ली एम्स में जस्टिस उपाध्याय को भर्ती कराया गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान उनका निधन सोमवार देर रात करीब 2.30 बजे हो गया. लोकायुक्त ध्रुव नारायण उपाध्या 15 मई से कोरोना संक्रमित थे. प्रारंभ में रांची के बरियातू स्थित रामप्यारी अस्पताल में एडमिट हुए. जिसके बाद 25 मई को मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया था. स्थिति गंभीर होने पर 11 जून को एम्स दिल्ली में वेंटिलेशन पर उन्हें भर्ती कराया गया.

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न्यायिक फैसले के लिए हमेशा जाने जायेंगे उपाध्याय
जस्टिस ध्रुव नारायण उपाध्याय एक कुशल न्यायिक अधिकारी रहे. बतौर झारखंड हाई कोर्ट के जज उन्होंने कई फैसले सुनाये, जो हमेशा याद रखा जायेगा. हाई कोर्ट से सेवानिवृत्ति के बाद झारखंड के लोकायुक्त बने. जस्टिस उपाध्याय का अभी एक साल का कार्यकाल शेष था. 67 साल के जस्टिस ध्रुव नारायण उपाध्याय फरवरी 2022 में लोकायुक्त झारखंड के पद से सेवानिवृत्त होने वाले थे.

जमशेदपुर में शुरू हुई थी प्रारंभिक शिक्षा
10 अगस्त 1954 को जमशेदपुर में जन्मे जस्टिस ध्रुव नारायण उपाध्याय की प्रारंभिक शिक्षा यहीं हुई. उन्होंने आर डी टाटा हायर सेकेंडरी स्कूल जमशेदपुर से स्कूलिंग की, जिसके बाद उन्होंने कोऑपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर से स्नातक करने के बाद वहीं से एलएलबी किया. तीन जनवरी 1979 से 1997 तक जमशेदपुर सिविल कोर्ट में वकालत की. बचपन से ही बेहद ही मृदभाषी और बेबाक बोलने के कारण अलग पहचान रखनेवाले ध्रुव नारायण उपाध्याय बतौर लोकायुक्त सरकारी सिस्टम में फैली खामियों पर टिप्पणी करने से परहेज नहीं करते थे. राज्य में फैले भ्रष्टाचार और उस पर अंकुश लगाने के लिए लोकायुक्त की भूमिका को सशक्त करने की मांग करते रहे.

जस्टिस उपाध्याय के निधन से शोक की लहर
लोकायुक्त ध्रुव नारायण उपाध्याय के निधन से शोक की लहर है. राजनीतिक, सामाजिक और न्याय जगत से जुड़े लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. झारखंड स्टेट बार कॉसिल ने लोकायुक्त डी. एन. उपाध्याय के निधन पर दुख जताते हुए बड़ी क्षति बताया है, वहीं झारखंड हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने इसे अपूरणीय क्षति बताते हुए झारखंड के लिए एक बड़ी क्षति बताया है.

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