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जम्मू कश्मीर HC ने फिर खोली नदीमर्ग नरसंहार केस की फाइल

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने पुलवामा के नदीमर्ग में 23 मार्च 2003 की रात हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का केस 11 साल बाद दोबारा खोलने का आदेश दिया है. 21 दिसंबर 2011 को उच्च न्यायालय ने इस मामले में पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी. इस मामले में लश्कर के आतंकियों ने सेना की वर्दी पहनकर 24 कश्मीरी पंडितों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

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Published : Aug 27, 2022, 9:43 AM IST

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने एक बड़े घटनाक्रम में नदीमर्ग नरसंहार मामले को फिर से खोलने का आदेश दिया है. 2003 में नदीमर्ग में 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी. नदीमर्ग मामले को फिर से खोलने पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस संजय धर ने कहा, 'मुकदमे के स्थगन के दौरान अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत के समक्ष एक अर्जी दाखिल कर आयोग से अभियोजन पक्ष के महत्वपूर्ण गवाहों की जांच करने की अनुमति मांगी.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, ये गवाह कश्मीर घाटी से चले गए थे और कथित खतरे को देखते हुए शोपियां ट्रायल कोर्ट के सामने अपना बयान देने से हिचक रहे थे.' उन्होंने कहा, 'उक्त आवेदन को शोपियां के प्रधान सत्र न्यायाधीश ने अपने आदेश दिनांक 09.02.2011 के तहत खारिज कर दिया था. उक्त आदेश को अभियोजन पक्ष द्वारा आपराधिक पुनरीक्षण याचिका संख्या 18/2011 के तहत चुनौती दी गई थी.

21.12.2011 को, उक्त आदेश पुनरीक्षण याचिका को इस न्यायालय (उच्च न्यायालय) ने खारिज कर दिया था.' उसके बाद, 2014 में उच्च न्यायालय में अभियोजन द्वारा एक नई याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप तय करने और मामले की पुनर्विचार की तारीख से निचली अदालत की कार्यवाही को चुनौती दी गई थी. ट्रायल या विकल्प के लिए निर्देश देने की मांग की गई.

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मामले को जम्मू में सक्षम क्षेत्राधिकार की किसी भी अदालत में स्थानांतरित करने के की मांग की गयी ताकि इस मामले में सभी गवाहों के बयान बिना किसी डर के दर्ज किए जा सकें. हालांकि, 2014 में इस याचिका को हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की 2014 की विशेष अनुमति अपील का जिक्र करते हुए जस्टिस संजय धर ने कहा, 'याचिकाकर्ता इस अदालत में रिकॉल याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है. 23 मार्च, 2003 को नकली सैन्य वर्दी पहने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के नदीमर्ग पहुंचे और 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में खड़ा किया और उन्हें गोली मार दी. पीड़ितों में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और दो छोटे लड़के शामिल हैं, जिनमें से एक 2 साल का था.

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