नई दिल्ली : गृह मंत्रालय के अनुसार अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद अलगाववादियों का समर्थन आधार कम हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार 2018 में 58 हुर्रियत नेताओं को हिरासत में लिया गया. उसके बाद 2019 में 70 नेताओं को और वर्ष 2020 में हुर्रियत के 6 नेताओं को सुरक्षा की दृष्टि से हिरासत में लिया गया.
हुर्रियत नेताओं को सरकारी खर्च से प्रदान की गई राशि वापस ले ली गई है. अलगाववादियों के 82 बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए गए हैं. एमएचए ने कहा कि एक राष्ट्र, एक कानून, एक प्रतीक का सपना पूरा किया जा रहा है. प्रावधानों को प्रभावी ढंग से हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नई शुरुआत नामक पुस्तक में कहा गया है कि धारा 370 के खात्मे से तस्वीर बदल गई है.
सूचना प्रसारण मंत्रालय और गृह मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी 32 पृष्ठों की पुस्तक में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर के कई सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है. एमएचए ने आगे कहा कि आतंक की घटनाओं में काफी कमी आई है और घाटी में शांति और सुरक्षा का एक नया वातावरण मिल गया है.
हर हाथ में पुलवामा-पेंसिल शीर्षक वाले एक अध्याय में MHA ने कहा कि पुलवामा का नाम अब 14 फरवरी 2019 के आतंकी हमले की छवि नहीं बनेगी. इसके बजाय यह एक नए भारत की तस्वीर पेश करेगा. केंद्र सरकार की पहल पर पुलवामा के उक्खु गांव को पेंसिल वाला गांव का टैग दिया जा रहा है. इसलिए पुलवामा अब गांव के बच्चों की वर्णमाला सीखने की पेंसिल के रूप में शिक्षा जगत में जाना जाएगा.
गृह मंत्रालय ने कहा कि पेंसिल को देश में कहीं भी इस्तेमाल करने वाले हाथों ने शायद अंदाजा नहीं लगाया होगा कि पेंसिल का निर्माण कहां हुआ और उन तक कैसे पहुंचा. यह एक सुखद तथ्य है कि भारत में 90 प्रतिशत पेंसिलें उसी पुलवामा से निकलती हैं. अब तक पुलवामा का उक्खु गांव पेंसिल तैयार करने के लिए पूरे देश में केवल पेंसिल स्लैट (लकड़ी की पट्टी) भेजता था. लेकिन अब पूरे देश को पुलवामा में निर्मित पेंसिल की आपूर्ति की जाएगी.