दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Jaipur Bomb Blast Case : 15 साल बाद भी न्याय नहीं सिर्फ इंतजार मिला, हर साल 13 मई को जख्म फिर हो जाते हैं हरे

जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट की आज 15वीं बरसी है. इस बम ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 185 से अधिक लोग घायल हो गए थे. इस हादसे के शिकार 15 साल बाद भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं.

Jaipur Bomb Blast Case
Jaipur Bomb Blast Case

By

Published : May 13, 2023, 7:27 AM IST

15 साल बाद भी न्याय नहीं सिर्फ इंतजार मिला, देखिए रिपोर्ट

जयपुर. 13 मई 2008 की वो शाम जब गुलाबी नगरी 8 सीरियल बम धमाकों के बाद लाल हो गई. परकोटे में अलग-अलग जगहों पर हुए बम ब्लास्ट में 71 लोग की मौत हो गई थी. 185 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. जिनके शरीर और जहन दोनों में उस भयावह मंजर के निशां अब तक बाकी है, लेकिन इन धमाकों के आरोपी आज भी सजा से दूर हैं. जिन्हें पहले निचली अदालत ने तो मृत्यु दंड दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी पर सवाल उठाते हुए उन्हें बरी कर दिया. इस फैसले के खिलाफ पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई तक आरोपियों और राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है.

न्याय के इंतजार के आज 15 साल बीत गए, लेकिन इंसाफ अभी भी नहीं मिला. जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में कई परिवार उजड़ गए. 1293 गवाह और सबूत पेश किए गए. फिर भी चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर ब्लास्ट करने वाला सरवन आजमी, सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर के बम ब्लास्ट का दोषी सलमान, माणक चौक खंदे का आरोपी मोहम्मद सैफ और छोटी चौपड़ ब्लास्ट करने का आरोपी सैफुर्रहमान आज भी सजा से दूर है. पुलिस ने चार आरोपियों सहित सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 13 को आरोपी बनाया था. इनमें तीन फरार चल रहे हैं जबकि तीन तिहाड़ जेल में बंद है. दो मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं, जबकि एक को कोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था.

यूं दहल उठा था जयपुर

पहला ब्लास्ट- शाम 7:20 बजे

हवामहल के सामने माणक चौक के खंदे में हुए बम ब्लास्ट में 1 महिला की मौत हो गई. जबकि 18 लोग घायल हुए थे.

दूसरा ब्लास्ट - शाम 7:25 बजे

त्रिपोलिया बाजार स्थित मनिहारों के खंदे में ताला चाबी वालों की दुकानों के पास हुआ. इसमें 6 लोगों की मौत हो गई. जबकि 27 घायल हो गए.

तीसरा ब्लास्ट- शाम 7:30 बजे

छोटी चौपड़ पर कोतवाली के बाहर पार्किंग में हुए ब्लास्ट में 2 पुलिसकर्मियों सहित 7 की मौत हो गई. जबकि 17 घायल हुए थे.

चौथा ब्लास्ट - शाम 7:30 बजे

त्रिपोलिया बाजार में हुए धमाके में 5 की मौत हो गई थी. जबकि 4 घायल हुए थे.

पांचवां ब्लास्ट - शाम 7:30 बजे

चांदपोल हनुमान मंदिर के बाहर पार्किंग स्टैंड पर धमाका हुआ. इनमें सबसे ज्यादा 25 लोगों की मौत हुई. जबकि 49 घायल हुए.

छठवां ब्लास्ट - शाम 7:30 बजे

जौहरी बाजार में नेशनल हैंडलूम के सामने धमाका हुआ था, जिसमें 8 की मौत हो गई. जबकि 19 घायल हुए.

सातवां ब्लास्ट - शाम 7:35 बजे

छोटी चौपड़ पर फूलों के खंदे में ब्लास्ट हुआ, जिसमें 2 की मौत हुई. जबकि 15 घायल हुए थे.

आठवां ब्लास्ट - शाम 7:36 बजे

सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर के बाहर हुए ब्लास्ट में 17 लोगों की मौत हुई थी. जबकि 36 घायल हुए. इसके अलावा चांदपोल बाजार से ही एक जिंदा बम भी मिला था. जिसका रात 9 बजे का टाइमर सेट था, लेकिन 15 मिनट पहले बम स्कॉड टीम ने इसे डिफ्यूज कर दिया था.

आज पूरा शहर बम धमाकों की बरसी के मौके पर कहीं मार्च निकालेगा, कहीं सभाएं होंगी, तो कहीं धरने दिए जाएंगे. लेकिन जिन लोगों के जहन में उस भयावह शाम की दुखद यादें घर की हुई हैं, वो आज ही सिर्फ न्याय का ही इंतजार कर रहे हैं. ईटीवी भारत शहर के सांगानेरी गेट, छोटी चौपड़ और चांदपोल हनुमान मंदिर पहुंचा. जहां 10 से 15 मिनट में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे, इन धमाकों के प्रत्यक्षदर्शी सांगानेरी गेट हनुमान मंदिर के पुजारी भंवर लाल शर्मा ने बताया कि उस दिन मंगलवार का दिन था. बजरंगबली के दुग्ध अभिषेक होना था. मंदिर में जोर शोर से तैयारी चल रही थी, इसी दौरान बम ब्लास्ट हुआ. जिसमें साथी पंडित, प्रसाद वितरक, उसका बच्चा और भिक्षा मांगने वाले इसकी चपेट में आ गए और पूरी जगह लहूलुहान हो गई.

पढ़ें : Jaipur Serial Blast : ATS की जांच पर सवाल, जानिए किसने क्या कहा

वहीं, छोटी चौपड़ पर 2 बम ब्लास्ट हुए थे. कोतवाली थाने के बाहर हुए बम ब्लास्ट में 2 पुलिसकर्मी भारत भूषण और दीपक यादव शहीद हो गए थे. फूलों के खंदे में हुए ब्लास्ट के चपेट में आए पीड़ित ने बताया कि वो हमेशा की तरह यहां मौजूद मंदिर में पूजा कर रहे थे. बरामदे के पास एक साइकिल रखी थी, जिसमें ब्लास्ट हुआ और उनके भी एक छर्रा जा लगा. जब अस्पताल से लौटे तो आसपास के कई व्यापारी और परिचित लोग की इस धमाके की वजह से मौत हो चुकी थी. वहीं, चांदपोल मंदिर के बाहर मिले पीड़ित देवी सिंह ने बताया कि वो हॉकर हुआ करते थे और पेपर बांट कर लौट रहे थे. तभी ब्लास्ट हुआ और उनके शरीर में दो छर्रे लगे. इनमें से एक से किडनी डैमेज हो गई आज वो सिर्फ एक गुर्दे के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं. कोई भारी सामान नहीं उठा सकते घर की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं और सरकार से राहत की अपेक्षा लगाए बैठे हैं.

बहरहाल, गुनहगारों को सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. शहर वासियों को उम्मीद है कि उन्हें न्याय मिलेगा. लेकिन फिलहाल 15 साल में हर साल 13 मई पीड़ितों के जख्मों को हरा कर जाती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details