जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों को उनकी मातृभूमि पर लौटने से कोई नहीं रोक सकता है और उनके 'नस्ली सफाये' के साजिशकर्ताओं को कभी भी जम्मू-कश्मीर नहीं मिलेगा.
उन्होंने हालांकि कहा कि घाटी में दोनों समुदायों के बीच राजनीतिक लाभ के लिए 'निहित स्वार्थों' द्वारा वर्षों से 'जानबूझकर फैलायी गयी' नफरत के कारण उनकी वापसी के लिए अभी उपयुक्त समय नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में कहा, '(कश्मीरी) मुसलमानों ने आपको आपके घरों से नहीं निकाला...इसके पीछे जो लोग थे उनकी सोच थी कि इस नस्ली सफाये से कश्मीर उनका हो जाएगा. मैं इस मंच से दोहराता हूं... भले ही आसमान और धरती मिल जाएं, जम्मू-कश्मीर कभी उनका नहीं होगा.'
कश्मीरी पंडित 1990 के दशक की शुरुआत में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मद्देनजर घाटी से पलायन कर गए थे. यहां नेकां के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में प्रवासी पंडितों की एक सभा को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि समुदाय का इस्तेमाल एक राजनीतिक दल द्वारा 'वोट बैंक' के रूप में किया जा रहा है जो केवल इसके हमदर्द होने का दावा करता है.
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