लखनऊ :वाराणसी के स्कूल प्रबंधक से वीडियो कॉल में घूस मांगने के मामले में आईपीएस अनिरुद्ध सिंह को दोषी पाया गया है. उनके खिलाफ वृहद दंड की कार्रवाई की तैयारी है. दरअसल, 12 मार्च को उनका घूस मांगने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिस पर डीजीपी मुख्यालय ने वीडियो और घूसकांड की जांच वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को सौंपी थी. अपर पुलिस आयुक्त क्राइम संतोष कुमार सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया था.
वाराणसी घूसकांड : IPS अनिरुद्ध सिंह जांच में पाए गए दोषी, कार्रवाई की तैयारी - वीडियो वायरल
मार्च 2023 को सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद हड़कंप मच गया था. यह वीडियो आईपीएस अनिरुद्ध सिंह का बताया जा रहा था.
मार्च 2023 को सोशल मीडिया में अचानक एक 33 सेकंड का वीडियो वायरल हुआ था. वीडियो में दिखने वाले शख्स 2018 बैच के आईपीएस अधिकारी अनिरुद्ध सिंह थे, जो स्कूल प्रबंधक से वीडियो कॉल के दौरान 20 लाख रुपए की घूस मांग रहे थे. वीडियो में आईपीएस अनिरुद्ध एक व्यापारी से पूछ रहे हैं 'आज कितना भेज रहे हैं?' फिर कहते हैं, 'मिनिमम 20 भेजिए'. डीजीपी मुख्यालय ने इस वीडियो की वाराणसी कमिश्नर को सौंपते हुए तीन दिन में जांच रिपोर्ट तलब की थी, हालांकि जांच रिपोर्ट पूरी करने और उसे सौंपने में ढाई माह लग गए. जांच में आईपीएस अनिरुद्ध सिंह को दोषी मानते हुए कहा गया है कि जब अनिरुद्ध को उनका घूस मांगते हुए वीडियो बनाए जाने की सूचना मिली तो उन्होंने अपने पक्ष में तस्करा डाला कि वह आरोपित को ट्रैप करने के लिए वीडियो कॉल कर रहे थे.
दरअसल, अनिरुद्ध सिंह का घूस मांगते हुए यह वीडियो पहली बार वायरल नहीं हुआ था. डेढ़ वर्ष पहले वाराणसी के चेतगंज एसीपी रहते अनिरुद्ध सिंह का यह वीडियो वायरल हुआ था, जिस पर डीजीपी मुख्यालय ने पुलिस कमिश्नर के स्तर से आरंभिक जांच करवाई थी, उसमें भी आरोप सही पाए जाने पर डीजीपी मुख्यालय ने अनिरुद्ध को वाराणसी से इंटेलिजेंस मुख्यालय से अटैच कर दिया था. डीजीपी मुख्यालय ने अनिरुद्ध सिंह की विभागीय जांच करवाई थी, जो एडीजी स्तर के अधिकारियों ने को थी, इसमें स्कूल कारोबारी को भी बयान के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आए, वहीं अनिरुद्ध ने कमिटी के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि 'स्कूल संचालक उन्हें केस को उनके पक्ष में करने के लिए लालच दे रहे थे, इसलिए वह उन्हें ट्रैप कर रहे थे. इसी दौरान स्कूल संचालक ने उनका वीडियो रिकॉर्ड कर लिया. इस आधार पर कमिटी ने अनिरुद्ध को बरी कर दिया था.'