लखनऊ : प्रदेश में विधान सभा चुनावों को लेकर सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. बहुजन समाज पार्टी भी सत्ता में लौटने की उम्मीद लेकर इन चुनावों में अपनी ताकत झोंक रही है. पार्टी की इन विधानसभा चुनावों में क्या रणनीति होगी ? वह किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी? भाजपा की 'बी' टीम कहे जाने पर क्या कहती है पार्टी ? क्या बसपा ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से चुनावी गठबंधन करेगी ? इन सभी विषयों पर ईटीवी भारत ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया से बात की.
सुधींद्र भदौरिया इमरजेंसी के दौरान जॉर्ज फर्नांडीज के साथ 19 माह जेल में रहे. वह लॉ से ग्रेजुएट हैं और जेएनयू से समाज विज्ञान में एमफिल हैं. भदौरिया 1977 में युवा जनता के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. वह लगभग तीन दशक से बसपा में सक्रिय राजनीति कर रहे हैं और लंबे अर्से से पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. भदौरिया ने पंजाब में आतंकवाद से मुक्ति के लिए स्वर्ण मंदिर से राजघाट (दिल्ली) तक पद यात्रा की थी, जिसे आज भी याद किया जाता है. सुधींद्र भदौरिया ने युवाओं के रोजगार हेतु दिल्ली से कालाहांडी तक पद यात्रा की और किसानों और बहुजनों के हक की लड़ाई के प्रतीक स्वरूप दिल्ली से कटनी तक पद यात्रा के लिए वह चर्चाओं में रहे. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
बसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया से खास बातचीत. 'जनता भी चाहती है कि बसपा की सरकार आए'
चुनावों में उनकी पार्टी की तैयारी के विषय में पूछे जाने पर भदौरिया कहते हैं कि बहुजन समाज पार्टी चुनावों को लेकर हमेशा तैयार रहती है. उनकी पार्टी चुनाव के समय ही सक्रिय नहीं होती है. हमेशा उनकी पार्टी जनता के प्रश्न और समस्याएं उठाती रहती है. सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि 2022 का चुनाव प्रदेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बाद 2024 का चुनाव होगा और इससे बहुत सारी चीजें तय होंगी. उन्होंने कहा हमारी कोशिश होगी कि सांप्रदायिक शक्तियां हारें. उन्होंने बताया कि लोग आज भी वह दिन याद करते हैं और कहते हैं कि जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तो किसानों को कोई समस्या नहीं होती थी, उनका भुगतान नहीं रुकता था. अब जनता भी चाहती है कि बसपा की सरकार आए.
इसे भी पढ़ें-यूपी की सियासत और ब्राह्मण पॉलिटिक्स पर कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने जानिए क्या कहा
'उत्तर प्रदेश की जनता बेरोजगारी से त्रस्त'
2007 में बसपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. 2012 और 2017 में जनता ने उसे पूरी तरह नकार दिया. इसके बाद दस साल निकल गए और बसपा की स्थिति लगातार कमजोर हुई. यह बात और है कि 2019 में सपा से गठबंधन के बाद लोक सभा चुनावों में कुछ लाभ मिला. इस लाभ के बावजूद आपकी पार्टी गठबंधन से अलग हुई है. इसका बसपा को नुकसान नहीं होगा ? इस सवाल पर सुधींद्र भदौरिया कहते हैं कि पहले भी कई बार हमारा गठबंधन अन्य पार्टियों के साथ भी हुआ है. हर समय एक जैसा नहीं होता, समय और स्थिति के अनुसार निर्णय लिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता बेरोजगारी से त्रस्त है, किसान तबाह हो चुके हैं, कोरोना काल में सरकार की असफलता सबके सामने है. इन सब विषयों को अगर देखें तो उत्तर प्रदेश की जनता विकल्प को तलाश रही है. लोग ऐसे नेतृत्व को वोट देना चाहते हैं, जिसकी साख हो और जिसने पहले भी सरकार चलाकर दिखाया हो. जनता किसी नए प्रयोग में नहीं जाएगी और चार बार मुख्यमंत्री रह चुकी मायावती को चुनेगी, ऐसा हमारा पूरा विश्वास है.
'कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भाजपा सरकार असफल'
बसपा को भाजपा की 'बी' टीम कहे जाने पर भदौरिया कहते हैं कि 'ए' और 'बी' टीम की बहस निरर्थक है. समय-समय पर सब लोगों ने सबके साथ काम किया है. भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के साथ काम किया तो क्या वह उनकी 'बी' टीम हो गई. उन्होंने कहा हम जनता के दिल में बसे हुए हैं और हम ही 'ए' टीम हैं. प्रदेश में हमारी ही सरकार बनेगी. सुधींद्र भदौरिया कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भाजपा सरकार को असफल बताते हैं. बहुजन समाज पार्टी सड़क पर जनता के मुद्दों के लिए कभी संघर्ष क्यों नहीं करती ? इस सवाल पर भदौरिया कहते हैं कि यदि कोरोना काल में भाजपा की तरह लोगों को भीड़ में झोंक देते तो यह गैर जिम्मेदारी होती. हां, हल्लाबोल की हमारी संस्कृति नहीं है. यह संस्कृति आम जनता पसंद करती है.
'जुमलेबाजों को लोग पहचान गए हैं'
बसपा का कोर वोटर अब आपके साथ नहीं है, क्या आप इससे सहमत हैं ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा भ्रम फैलाने का काम करती है. यह थोथे दावे हैं, इनसे कुछ होने वाला नहीं है. जुमलेबाजों को लोग पहचान गए हैं. इस बार उप्र से भाजपा का सफाया होगा. इस चुनाव में क्या आप ओवैसी की पार्टी से समझौता करेंगे ? इस पर उन्होंने कहा कि बसपा अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. गठबंधन पर कोई भी निर्णय मायावती ही करेंगी.