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दुनिया में सालाना 73 करोड़ से ज्यादा महिलाएं होती हैं अपराध की शिकार, जानिए भारत की क्या है स्थिति - महिलाओं के खिलाफ क्राइम

महिला सुरक्षा के लिए बने कानून के बावजूद उनके खिलाफ अपराध नहीं थम रहे हैं. इसके पीछे मुख्य कारण समाज की मानसिकता और ठोस कानून का अभाव है. साथ ही सरकार के पास कानून को जमीन पर लागू करने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति व आधारभूत संरचना का अभाव माना जाता है. भारत व वैश्विक स्तर पर महिलाओं के खिलाफ अपराध का क्या हाल है, इसके लिए पढ़ें पूरी खबर. Crime Against Women In India, Violence against Women, Ministry of Women and Child Development, Elimination of Violence against Women.

International Day for the Elimination of Violence against Women
महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 25, 2023, 12:02 AM IST

हैदराबाद : लोकतंत्र हो या राजतंत्र या तानाशाहा का शासन, महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा-अपराध, मानवाधिकार उल्लंघन के मामले हर जगह देखने को मिल जाते हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार वैश्विक स्तर पर 73.600 करोड़ महिलाएं (736 मिलियन) या कहें तो 3 में से 1 महिला अपने पूरे जीवन काल में कम से कम एक बार शारीरिक या यौन हिंसा या दोनों प्रकार की हिंसा की शिकार हुई हैं. महिलाएं व लड़कियां घर में, कार्यस्थल पर, यात्रा के दौरान हिंसा व उत्पीड़न का शिकार होती हैं. महिलाओं के सुरक्षित समाज बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for the Elimination of Violence against Women) मनाया जाता है.

महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस

हिंसा के उन्मूलन के लिए एक दिन
25 नवंबर 1981 को महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए दिवस (A Day Against Gender Based Violence) के रूप में मनाया. इस तारीख को 1960 में डोमिनिकन गणराज्य के शासक राफेल ट्रूजिलो (1930-1961) के आदेश पर तीन राजनीतिक कार्यकर्ताओं मिराबल बहनों की हत्या कर दी गई थी. मिराबल बहनों को सम्मानित करने के लिए इस दिन का चुनाव किया गया था.

महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस

20 दिसंबर 1993 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक संकल्प के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन पर घोषणा को अपनाया. इसके माध्यम से दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त हुआ. इसके बाद 7 फरवरी 2000 को महासभा ने आधिकारिक तौर पर 25 नवंबर की तारीख को महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया गया. संयुक्त राष्ट्र की ओर से इस दिन विभिन्न सरकारों, अंतरराष्ट्री संगठनों, गैर सरकारी संगठनों से महिलाओं की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई गतिविधियों के आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

सरकारों की मजबूत इच्छाशक्ति जरूरी
महिलाओं के खिलाफ अपराध, हिंसा, उत्पीड़न व मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को रोकने के लिए समाज और सरकार दोनों को एक साथ काम करना होगा. इसके लिए ठोस कानून, आधुनिक शिकायत निवारण व निगरानी प्रणाली, पूंजी निवेश, बेहतर डाटा प्रणाली के साथ सरकारों की मजबूत इच्छाशक्ति जरूरी है.

संयुक्त राष्ट्र के डेटा के अनुसार

  1. हर घंटे 5 से अधिक महिलाओं या लड़कियों की उनके ही परिवार में किसी न किसी सदस्य द्वारा हत्या कर दी जाती है.
  2. लगभग तीन में से एक महिला को अपने जीवन में कम से कम एक बार शारीरिक और/या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है.
  3. 86 फीसदी महिलाएं और लड़कियां लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ कानूनी सुरक्षा के बिना देशों में रहती हैं.

भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा

  1. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताजा डेटा के अनुसार 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15.3 फीसदी की वढ़ोतरी हुई है.
  2. हिंसा के ज्यादातर मामले पीड़ित महिला के पति या उनके रिश्तेदारों की ओर से अंजाम दिए जाते हैं. सबसे ज्यादा 31 फीसदी महिलाएं पीड़ित हैं.
  3. लज्जा भंग करने के इरादे से 20.8 फीसदी महिलाओं पर हमला किया गया.
  4. 17.6 फीसदी महिलओं के अपहरण के मामले दर्ज किए गये.
  5. 7.4 फीसदी महिलाओं के साथ रेप के मामले दर्ज किए गये.
  6. महिलाओं के खिलाफ अपराध दर के मामले में असम शीर्ष पर (168.3 प्रतिशत) रहा. वहीं इसके बाद बाद ओडिशा, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान रहा.
  7. दर्ज किए गए अपराध के मामलों में उत्तर प्रदेश टॉप स्टेट रहा. 2021 में 56,083 मामले दर्ज था. इसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा व अन्य राज्य आते हैं. अर्थात महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए हैं.
  8. केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ क्राइम की दर सबसे अधिक 147.6 प्रतिशत थी. साथ ही दर्ज मामलों की पूर्ण संख्या में भी यह टॉप पर रही.

महिलाओं के खिलाफ दर्ज नहीं होने के कारण
कई कारणों से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा (Violence against women and girls-VAWG) रिपोर्ट नहीं की जाती है. इनमें मुख्य कारण दोषियों के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं होना से पीड़ितों में सरकारी एजेंसियों के प्रति विश्वास की कमी, पीड़िता व उनके परिवार की चुप्पी, कलंक और शर्मिंदगी मुख्य रूप से शामिल है.

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को सामान्य शब्दों में किसी महिला-लड़की का शारीरिक, यौन और मनोवैज्ञानिक रूपों में प्रकट करता है.

  1. अंतरंग साथी हिंसा (पीटना, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार, वैवाहिक बलात्कार, स्त्री हत्या).
  2. यौन हिंसा और उत्पीड़न (बलात्कार, जबरन यौन कृत्य, अवांछित यौन प्रयास, बाल यौन शोषण, जबरन शादी, सड़क पर उत्पीड़न, पीछा करना, साइबर उत्पीड़न).
  3. मानव तस्करी (गुलामी, यौन शोषण).
  4. महिला जननांग अंगभंग.
  5. बाल विवाह.

महिलाओं की सुरक्षा के लिए भारत में मुख्य कानून

  1. बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006
  2. अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956
  3. दहेज निषेध अधिनियम 1961:
  4. गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971
  5. महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम 1986
  6. सती आयोग (रोकथाम) अधिनियम, 1987
  7. गर्भधारण-पूर्व और प्रसव-पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994
  8. आपराधिक कानून (संशोधन), अधिनियम 2013
  9. मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017

महिलाओं की सुविधा के लिए प्रमुख उपाय

  1. महिला हेल्पलाइन के सार्वभौमीकरण की योजना
  2. यौन अपराधियों पर राष्ट्रीय डेटाबेस
  3. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
  4. महिला पुलिस स्वयंसेवक
  5. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
  6. महिला शक्ति केंद्र
  7. वन स्टॉप सेंटर
  8. निर्भया फंड
  9. उज्जवला
  10. स्वाधार गृह

2021 में खुदकुशी के कारण हुई मौत, एनसीआरबी ने जारी किए हैं ये आंकड़े

गृहणी-23178

छात्राएं-5693

कामकाजी महिलाएं-1752

दिहाड़ी मजदूर 4246

कृषि क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं-653

स्वरोजगार-1426

2021 में खुदकुशी के कारण अलग-अलग महिलाओं का आय समूह NCRB

एक लाख से नीचे- 32,397

एक-पांच लाख -10,973

5-10 लाख-1234

10 लाख से ज्यादा-422

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