तेजपुर (असम) : अरुणाचल प्रदेश पर चीन के लगातार दावों के बावजूद भारत ने अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ सीमा पर संचार की सुविधा प्रदान की है. हाल ही में, भारत सरकार ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा एलएसी को जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण और सीमा पर अतिरिक्त 1800 किलोमीटर सड़कों के निर्माण का कार्य हाथ में लिया है. असम में ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के नीचे सड़क सह-रेल सुरंग बनाई जाएगी.
आज तेजपुर में 'प्रोजेक्ट वर्तक' (Project Vartak) में सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी (BRO DG Lt General Rajeev Chaudhry) ने ईटीवी भारत के वरिष्ठ पत्रकार प्रणब कुमार दास के साथ खास बातचीत में कहा कि 1800 किलोमीटर लंबी सड़क संपर्क का काम शुरू किया गया है और दो महत्वपूर्ण सुरंगों को पूरा किया गया है.
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 10 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश के पहले सीमावर्ती गांव किबिथू से वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम वीवीपी का शुभारंभ किया. देश में वीवीपी के तहत कुल 1662 गांवों में से 441 गांवों को अकेले अरुणाचल प्रदेश में शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिए कुल 4,800 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से 50% या 2,500 करोड़ रुपये अकेले सीमा सड़कों के निर्माण के लिए आवंटित किए गए हैं.
एक महत्वपूर्ण रणनीति सड़क बीआरओ परियोजना अरुणंग (BRO project Arunang ) हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पास पूरी हुई. अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी सोवनसिरी जिले का माज़ा गांव अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से संचार पूरा करने वाला पहला गांव है और सीमा सड़क परियोजना के अंतर्गत है.