नई दिल्ली : स्ट्रैटजिक ऑटोनॉमी यानी 'रणनीतिक स्वायत्तता' अब भारतीय विदेश नीति के लिए एक कल्पना नहीं है. अब भारत विश्व के ताकतवर देशों के दबाव में फैसले नहीं लेता. 24 फरवरी को यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई से शुरू होने के बाद से यह बदलाव भारत को दुनिया के मुख्य ताकतवर देशों के बीच स्थिति मजबूत कर रहा है. हाल में ही कई ऐसी घटनाएं हुईं, जहां भारतीय विदेश नीति में बदलाव के संकेत मिले.
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के दो साल पुराने युद्धरत गतिरोध के बीच रविवार को समाप्त हुए सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग में भारत ने जो रुख अपनाया, उस पर गौर करना जरूरी है. शांगरी-ला डायलॉग में अमेरिका ने एलएसी का मुद्दा उठाया मगर भारत ने इस मंच पर चीन की आलोचना नहीं की. शनिवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने अपने शांगरी-ला भाषण में कहा था कि चीन ने भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी स्थिति सख्त करना जारी रखा है. ऑस्टिन के बयान के बाद अमेरिकी सेना के पैसिफिक कमांडिंग जनरल जनरल चार्ल्स ए फ्लिन ने 8 जून को नई दिल्ली में कहा कि लद्दाख के पास चीनी गतिविधि "आंख खोलने वाली" है और एलएसी पर चीनी सेना पीएलए की ओर से बनाई जा रही कुछ बुनियादी सुविधाएं 'खतरनाक' हैं. शांगरी-ला डायलॉग की मेजबानी अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) करता है. इस संगठन का हेडक्वॉर्टर लंदन में है.
अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के बयान पर चीन ने रविवार को शांगरी-ला डायलॉग में ही प्रतिक्रिया दी. चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने ऑस्टिन के बयान का खंडन करते हुए कहा कि अच्छे संबंध के कारण भारत और चीन दोनों को लाभ हो रहा है. वेई ने कहा कि चीन और भारत पड़ोसी हैं और अच्छे संबंध बनाए रखना दोनों देशों के हित में है. और इसी पर हम काम कर रहे हैं. भारत के साथ चीन की कमांडर स्तर पर 15 दौर की बातचीत हो चुकी है और हम इस क्षेत्र (LAC) में शांति के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने शुक्रवार को अमेरिका पर आग में घी डालने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि अमेरिका क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान देने वाले और काम कर सकता है. चीन-भारत सीमा प्रश्न दोनों देशों के बीच का मामला है.
भारत इस मसले पर जो प्रतिक्रिया दी, वह काफी दिलचस्प है. भारत ने बड़ी सफाई से अमेरिकी रक्षा मंत्री बयान से दूरी बनाने का संकेत दे दिया. गुरुवार (9 जून) को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत सरकार ने हाल के वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई उपाय किए हैं. इन उपायों से न सिर्फ भारत की रणनीतिक और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा बल्कि क्षेत्र के विकास के लिए आर्थिक सुविधा भी दी जा सकेगी. पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर अरिंदम बागची ने कहा कि जहां तक मौजूदा स्थिति का सवाल है, हमने डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनल के जरिये चीनी पक्ष के साथ लगातार बात की है. भारतीय प्रवक्ता ने कहा कि भारत पूर्वी लद्दाख में मुद्दों को हल करने के लिए चीनी पक्ष के साथ अपनी बातचीत जारी रखेगा.